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कोरोना अपडेट : हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य सेवाओं पर किया जवाब तलब….

कोरोना अपडेट : हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य सेवाओं पर किया जवाब तलब….
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इन गंभीर आरोपों पर केंद्र और राज्य सरकार से मांगा जवाब….

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10 मई को होगी इन आरोपों पर सुनवाई…

न्यूज़ घाट/शिमला

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कोरोना संक्रमण के कारण चिकित्सा सुविधाओं को बढ़ाए जाने को लेकर दायर याचिका में केंद्र व राज्य सरकार से आरोपों पर जवाब-तलब किया है।

याचिका कर्ता आशुतोष गुप्ता का आरोप है कि प्रदेश में तीव्र चिकित्सा संकट है, जिस कारण ना केवल शहरों में बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी संक्रमण में अचानक बढ़ोतरी हुई है।

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याचिका दायर कर्ता के अनुसार पिछले कुछ दिनों से प्रदेश में बहुत सी मौतें हुई हैं, जिसका कारण ऑक्सीजन की भारी किल्लत होना है।

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इतना ही नहीं बल्कि प्रदेश में लाइफ सेविंग ड्रग्स विशेषतया रेमडेसीविर, टॉइलीजुमाव व फवीपीरावीर की भारी किल्लत है, जो कोरोना मरीजों के लिए जीवनोपयोगी है।

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यही नहीं प्रदेश में केवल 5 मुख्य शहरों के अस्पतालों को डेडिकेटेड कोविड-19 हॉस्पिटल बनाया गया है, जैसे कि शिमला, धर्मशाला, मंडी, नाहन व चंबा परंतु अन्य जिलों के मुख्यालय में ऐसी कोई सुविधा नहीं दी गई है। जिस कारण मरीजों को इन पांच अस्पतालों में ही आना पड़ रहा है।

याचिका दायर कर्ता का कहना है कि यहां प्रदेश में कोई ऐसा सिस्टम विकसित नहीं किया गया है, जिससे यह पता चल सके कि प्रदेश के सरकारी व निजी अस्पतालों में कितने नॉर्मल बैड हैं, कितने आईसीयू हैं और कितने वेंटीलेटर्स उपलब्ध है।

उन्होंने ये भी आरोप लगाया है कि आरटी- पीसीआर की रिपोर्ट 3 से 5 दिनों में आ रही है, जिस दौरान कई मरीजों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है।

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देरी से रिपोर्ट आने के कारण मृतकों के शवों को परिवार के सदस्यों को सौंप दिया जाता है और उनका अंतिम संस्कार कोविड-19 प्रोटोकॉल के अनुसार नहीं किया जा रहा है।

कुछ मामलों में शवो को घर ले जाने की इजाजत भी दी जा रही है। इस वजह से कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा पारिवारिक सदस्यों व अन्य लोगों को भी हो रहा है।

सरकार की ओर से मास्क ना पहनने वालों और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन ना करने वालों पर कोई नजर नहीं रखी जा रही है। केवल अमीर और प्रभावशाली लोगों को ही उन अस्पतालों में दाखिल किया जा रहा है, जिसमें ऑक्सीजन उपलब्ध है।

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वहीं मध्यमवर्गीय लोग, गरीब तथा गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों को बिना चिकित्सा के ही छोड़ दिया गया है।

लाइफ सेविंग ड्रग्स की सप्लाई को लेकर केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों के साथ भेदभाव पूर्ण रवैया अपनाया जा रहा है।

न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश सीबी बारोवालिया की खंडपीठ ने केंद्र व राज्य सरकार से इन सभी बिंदुओं पर अगली सुनवाई तक जवाब तलब किया है। मामले पर अगली सुनवाई 10 मई को निर्धारित की गई है।

Written by newsghat

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