पेंशनरों की मांग जल्द गठित की जाए जेसीसी, बढ़ रही नाराजगी
मेडिकल बिलों का नही हो रहा समय पर भुगतान, सरकार के प्रति बढ़ा रोष
हिमाचल प्रदेश के डेढ़ लाख पेंशनरों के वर्षों से लंबित मामलों का अभी तक निपटारा नहीं हो पाया है। इसके चलते सरकार के प्रति पेंशनरों की नाराजगी बढ़नी स्वाभाविक बात है।
प्रदेश के पेंशनर लंबे समय से पेंशनरों की संयुक्त सलाहकारी समिति (जेसीसी) गठित करने की मांग उठा रहे हैं। लेकिन प्रदेश सरकार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है।
प्रदेश सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लंबित मसले सुलझाने के लिए जेसीसी की बैठक कर ली है और प्रदेश के ढाई लाख कर्मचारियों ने राहत की सांस ली है।
एक ओर जहां छठे वेतन आयोग को लागू किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर इसमें भी संबंधित प्रावधान नहीं किए गए हैं। इससे कर्मचारियों में भी निराशा है।
राज्य के पेंशनर पंजाब की तर्ज पर 65, 70 और 75 साल की आयु में पेंशन वृद्धि मांग रहे हैं। पंजाब में पेंशनरों को तय अवधि के बाद 5, 10 और 15 फीसदी की पेंशन वृद्धि प्रमुख मांग शामिल है। प्रदेश सरकार ने पेंशनरों की इस मांग को दर किनारा कर रखा है। इससे सरकार के खिलाफ पेंशनरों की नाराजगी बढ़ गई है।
यही नहीं पेंशनरों के मेडिकल बिल भी समय पर पास नहीं हो रहे हैं। पेंशनरों को दवाइयां खरीदने के लिए पुराने मेडिकल बिलों का भुगतान न होने के कारण उपचार कराने में भी परेशानी हो रही है। पेंशनरों की मांग है की हैं मेडिकल के लंबित बिलों के भुगतान लंबे तक न रोका जाए।
पेंशनरों के मेडिकल बिलों का भुगतान करने के लिए हर साल अलग से धनराशि जारी की जाए। पेंशनर कई अन्य मामले सुलझाना चाह रहे है, लेकिन उसके लिए सरकार ने कोई मंच पेंशनरों के लिए उपलब्ध नहीं किया है।
हिमाचल प्रदेश पेंशनर कल्याण संघ के महासचिव हरी चंद गुप्ता ने कहा कि प्रदेश के डेढ़ लाख पेंशनरों के मसले सुलझाने के लिए अलग से जेसीसी का गठन किया जाए, ताकि पेंशनरों के साथ भी न्याय हो सके।
पेंशनरों को पंजाब की तर्ज पर वित्तीय लाभ से वंचित रखा गया है। मेडिकल बिलों के समय पर भुगतान सहित कई अन्य मसले लंबित पडे़ हैं।