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हिप्र विश्वविद्यालय में दिव्यांगों के लिए उच्च शिक्षा अब सपना नहीं, जानिये कैसे?

हिप्र विश्वविद्यालय में दिव्यांगों के लिए उच्च शिक्षा अब सपना नहीं, जानिये कैसे?

शिमला। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा प्राप्त करना दृष्टिबाधित एवं अन्य दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए अब कोई सपना नहीं है। कुलपति प्रो. सिकंदर कुमार द्वारा इस दिशा शुरू किए गए विशेष प्रयासों के परिणाम दिखने लगे हैं। अब विश्वविद्यालय में पहली बार बड़ी संख्या में दिव्यांग विद्यार्थी निशुल्क पढ़ रहे हैं और कम से कम 15 तो पीएचडी कर रहे हैं। अनेक ने जेआरएफ, नेट और सेट पास किया है।

कुलपति की पहल पर विश्वविद्यालय परिसर को बाधा रहित बनाने के लिए पांच करोड़ रुपए की लागत से शुरू हुए प्रोजेक्ट के पहले चरण में एक लिफ्ट बन चुकी है, सात लिफ्ट और कई रैम्प बनाने का कार्य जोरों पर चल रहा है। कुछ शौचालयों को भी बाधारहित बनाया जाएगा। प्रोजेक्ट के दूसरे चरण में भी लिफ्ट और रैंप बनाए जाएंगे।  विकलांगता मामलों के नोडल अधिकारी अजय श्रीवास्तव के अनुसार 2 वर्ष पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने दृष्टिबाधित एवं दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए एक नई सुगम्य लाइब्रेरी का उद्घाटन किया था। इसके 17 कंप्यूटरों में विभिन्न प्रकार के टॉकिंग सॉफ्टवेयर हैं जिनके जरिए दृष्टिबाधित विद्यार्थी सुनकर ऑनलाइन एवं प्रिंटेड पुस्तकें पढ़ते हैं।

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प्रो. सिकंदर कुमार ने प्रत्येक विषय में एमफिल और पीएचडी में हर वर्ष सीधे प्रवेश के जरिए एक सीट दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए आरक्षित कर दी। किसी भी विश्वविद्यालय में दिव्यांगों के लिए ऐसी सुविधा नहीं है। शेष कक्षाओं में दाखिलों में 5% आरक्षण लागू किया गया। विश्वविद्यालय का पोर्टल भी दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए पूरी तरह से एक्सेसिबिल कर दिया गया है।  दृष्टिबाधित एवं हाथ से लिख पाने में असमर्थ विद्यार्थियों के लिए राइटर की सुविधा को आसान बनाया गया है। यूजीसी और राज्य सरकार के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए अब पात्र दिव्यांग विद्यार्थी किसी भी शैक्षणिक योग्यता वाले व्यक्ति को अपना राइटर बना सकते हैं।

दिव्यांग विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय के हॉस्टलों से कैंपस तक लाने और वापस छोड़ने के लिए विशेष वैन की व्यवस्था की गई है। विश्वविद्यालय की बस सेवा उनके लिए मुफ्त है। विश्वविद्यालय के सभी दिव्यांग विद्यार्थियों को राज्य सरकार के माध्यम से छात्रवृत्ति भी दी जाती है। प्रोफेसर सिकंदर कुमार का कहना है कि दिव्यांगता कोई अभिशाप नहीं है। दिव्यांग विद्यार्थियों के अधिकारों के संरक्षण लिए विश्वविद्यालय प्रतिबद्ध है।

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