आईजीएमसी में स्वास्थ्य संकट: 155 डॉक्टर छुट्टी पर मरीज बेहाल! डॉक्टरों की लंबी छुट्टी से मरीजों में हड़कंप! एक क्लिक में देखें पूरी रिर्पोट
आईजीएमसी में स्वास्थ्य संकट: शिमला के प्रतिष्ठित इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आईजीएमसी) में इस समय एक अभूतपूर्व स्थिति उत्पन्न हो गई है।
आईजीएमसी में स्वास्थ्य संकट: 155 डॉक्टर छुट्टी पर मरीज बेहाल! डॉक्टरों की लंबी छुट्टी से मरीजों में हड़कंप! एक क्लिक में देखें पूरी रिर्पोट
यहाँ के 155 डॉक्टर 2 जनवरी से 37 दिनों के लिए विंटर वेकेशन पर गए हैं, जिसके कारण अस्पताल में मरीजों को उपचार में बड़ी परेशानी हो रही है।
इस अवधि में, जो मरीज पहले से उपचाराधीन हैं और नए मरीज जो उपचार के लिए आ रहे हैं, उन्हें डॉक्टरों के इंतजार में समय बिताना पड़ रहा है।
इसके अलावा, कई मरीजों के ऑपरेशन में देरी हो रही है, और अल्ट्रासाउंड जैसी जरूरी जांचों के लिए भी उन्हें एक या दो दिन का इंतजार करना पड़ रहा है।
इस अवकाश कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के डॉक्टर शामिल हैं। इससे पहले भी, पिछले वर्ष दिसंबर में डॉक्टरों को मिली छुट्टियों के कारण अस्पताल की सेवाएं प्रभावित हुई थीं।
इस स्थिति ने न केवल मरीजों को असुविधा में डाला है, बल्कि यह स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन पर भी सवाल उठाती है। अस्पताल प्रशासन और संबंधित विभागों को इस तरह की स्थितियों के लिए बेहतर योजना और प्रबंधन की जरूरत है।
आपातकालीन सेवाओं और नियमित चिकित्सा देखभाल में कोई बाधा न आए, इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था की योजना बनाना अनिवार्य है। मरीजों को समय पर और उचित उपचार मिलना सुनिश्चित करना अस्पताल प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए।
इसके अलावा, अस्पताल को ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए जिसमें डॉक्टरों की छुट्टी के दौरान भी मरीजों का उचित ध्यान रखा जा सके।
चिकित्सकों की अनुपस्थिति में विशेषज्ञ चिकित्सकों या अस्थायी स्टाफ की नियुक्ति, टेलीमेडिसिन सेवाओं का विस्तार, और मरीजों के लिए आवश्यक सूचनाएँ और निर्देश साझा करने के उपाय सहायक हो सकते हैं।
आखिर में, यह महत्वपूर्ण है कि अस्पताल प्रशासन इस तरह की स्थितियों के लिए पहले से तैयार रहे और मरीजों की सुविधा और सुरक्षा को सर्वोपरि रखे।
इससे न केवल मरीजों को बेहतर सेवाएं मिलेंगी, बल्कि अस्पताल की प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता भी बढ़ेगी।