इनकम टैक्स का नया नियम: अब अधिकारियों को मिलेगा करदाताओं के डिजिटल स्पेस का एक्सेस
इनकम टैक्स का नया नियम: भारत सरकार और इनकम टैक्स विभाग द्वारा हाल ही में एक नया विधेयक प्रस्तुत किया गया है।
सम्भवतः यह विधेयक 1 अप्रैल 2026 से देश भर में लागू किया जाएगा जिसके अंतर्गत यह स्पष्ट किया गया है कि अब इनकम टैक्स विभाग आयकर में चोरी को रोकने के लिए नए नियम लागू करने वाला है जिसे मान्य करना सभी लोगों के लिए अनिवार्य होगा।
इन नए नियमों के अंतर्गत इनकम टैक्स विभाग ने अपनी शक्तियों को विस्तारित करने की भी बात कही है। अर्थात अब इनकम टैक्स विभाग आयकर दाताओं की पर्सनल जानकारी, डिजिटल जानकारी का एक्सेस भी प्राप्त कर सकता है।
जी हां, अब इनकम टैक्स विभाग आयकर दाताओं के डिजिटल स्पेस जैसे की ईमेल, सोशल मीडिया अकाउंट, ऑनलाइन वित्तीय खाते इत्यादि तक पहुंच पाएगा और इन सभी का विवरण इस्तेमाल करते हुए आयकर की चोरी पर लगाम लगा पाएगा।
जैसा कि हमने बताया यह नियम 1 अप्रैल 2026 से लागू कर दिया जाएगा क्योंकि इस नियम को सुप्रीम कोर्ट और भारत सरकार द्वारा मंजूरी मिल चुकी है।
क्या है Income tax act new rule के यह नए प्रावधान
इनकम टैक्स विभाग द्वारा जारी किए गए इस नए रूल के अंतर्गत आयकर विभाग अब आयकर दाताओं के डिजिटल स्पेस में प्रवेश कर पायेगा।
यहां डिजिटल स्पेस से अर्थ है ईमेल, सोशल मीडिया अकाउंट ,ऑनलाइन निवेश खाते, ट्रेडिंग खाते ,बैंकिंग खाते ,रिमोट या क्लाउड सर्वर, डिजिटल एप्लीकेशन प्लेटफॉर्म इत्यादि।
यह नियम IT अधिकारियों द्वारा केवल उन आयकर दाताओं पर लागू किया जाएगा जिन पर अधिकारियों को करचोरी का संदेह है और इसी संशय के आधार पर आयकर दाताओं पर इस नियम को लागू कर उनके पासवर्ड या सुरक्षा कोड को सुरक्षित रखते हुए उनकी डिजिटल डिटेल और गतिविधियां एक्सेस की जाएंगी।
इनकम टैक्स विभाग द्वारा पारित इस विधेयक का उद्देश्य
इनकम टैक्स विभाग द्वारा पारित इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य आयकर कानून को और ज्यादा पारदर्शी और प्रभावी बनाना है। इस विधेयक के माध्यम से देश में आयकर चोरी को रोका जा सकेगा।
कई आयकर दाता ऐसे होते हैं जो डिजिटल स्रोत के माध्यम से अपनी संपत्तियों का डाटा और अपने आय स्रोत को छुपाने की कोशिश करते हैं।
ऐसे में इस डिजिटल स्पेस में एंटर होने की परमिशन प्राप्त करते ही इनकम टैक्स विभाग जिन कर दाताओं पर संशय है उनकी डिजिटल स्पेस में पहुंचकर इनकम टैक्स चोरी का पता सकेगा।
वहीं आयकर चोरी के दौरान तकनीकी साक्ष का उपयोग कर न्यायिक प्रक्रिया को और ज्यादा तीव्र बनाया जाएगा।
इनकम टैक्स विभाग द्वारा पारित इस नियम के संभावित नुकसान क्या हो सकते हैं?
इनकम टैक्स विभाग द्वारा इस विधेयक के पारित होने के पश्चात हालांकि केवल संशय के दायरे में आने वाले उम्मीदवारों पर ही शिकंजा कसा जाएगा।
परंतु इस नियम के पारित होते ही करदाताओं की गोपनीयता भंग होने की संभावना भी बताई जा रही है।
वहीं जानकारों का मानना है कि कई IT अधिकारी करदाताओं की इस संवेदनशील जानकारी का गलत उपयोग भी कर सकते हैं जिसकी वजह से करदाताओं को अनावश्यक परेशानियों का सामना भी करना पड़ सकता है।
वहीं इस उलझन को लेकर करदाता भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बात कर रहे हैं जिससे कानूनी विवाद बढ़ने की भी संभावना जताई जा रही है।
कुल मिलाकर इनकम टैक्स विभाग द्वारा पारित किया गया यह नया कानून 1 अप्रैल 2026 से लागू कर दिया जाएगा।
इस नए कानून के माध्यम से अब इनकम टैक्स अधिकारी आयकर दाताओं के ईमेल सर्वर, सोशल मीडिया अकाउंट, ऑनलाइन निवेश खाते, ट्रेडिंग खाते, बैंकिंग खाते, रिमोट सर्वर क्लाउड सर्वर और डिजिटल एप्लीकेशन प्लेटफॉर्म इत्यादि का आसान एक्सेस प्राप्त कर पाएंगे ताकि इनकम टैक्स अधिकारी करदाताओं की डिजिटल गतिविधियों की जांच कर सके और देश में कर संबंधित होने वाली चोरियां रोकी जा सकें।