ऑनलाइन फंड ट्रांसफर के लिए क्या हैं 4 जरूरी ऑप्शन ? UPI, NEFT और IMPS व RTGS में क्या है अंतर ? क्या हैं इसके फायदे
आज के समय में ऑनलाइन ट्रांजैक्शन का बोलबाला तेजी से बढ़ रहा है, और वर्तमान में फंड ट्रांसफर के लिए मुख्य रूप से चार विकल्प डिजिटल रूप में उपलब्ध हैं।
पहला ऑप्शन UPI है जो कि आज के समय में बेहद पॉप्लुयर माध्यम बन गया है, और हर महीने यूपीआई की मदद से 10 लाख करोड़ से ज्यादा का ट्रांजैक्शन हो रहा है।
इसके अलावा NEFT, IMPS और RTGS आदि के माध्यम से भी ऑनलाइन फंड ट्रांसफर किया जा रहा है और आपके मन में यह सवाल जरूर उठता होगा कि फंड ट्रांसफर के लिए चार-चार विकल्प क्यों हैं और इसके क्या फायदे हैं, जो कि निम्न है–
UPI ट्रांसकेशन क्या है…
आज के समय में हम जानते हैं कि यूपीआई की मदद से हम 24 घंटे ट्रांजैक्शन कर सकते हैं, और NPCI की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, आज के समय में यूपीआई के माध्यम से एकबार में अधिकतम 2 लाख रुपए का ट्रांजैक्शन किया जा सकता है, इस तरह से यूपीआई के मदद से कभी भी और किसी को भी ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर किया जा सकता है।
UPI जिसे यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस कहते हैं, और पिछले कुछ सालों से इसकी लोकप्रियता काफी बढ़ गई है, और हर महीने 10 लाख करोड़ का ट्रांजैक्शन यूपीआई की मदद से हो रहा है, और ट्रांजैक्शन की संख्या 600 करोड़ से ज्यादा हैन UPI को साल 2016 में लॉन्च किया गया था तथा इसकी सुविधा 24×7 उपलब्ध होती है, और अभी तक यह पूरी तरह मुफ्त है।।
RTGS के फायदे और अन्य जानकारी
वर्तमान में फंड ट्रांसफर के चारों ऑप्शन का एक अपनी अलग-अलग खासियत है, और यही वजह है कि चारों विकल्प आज के समय में काफी पॉप्युलर हैं, इंडियन पेमेंट इकोसिस्टम में चारों का अपना-अपना स्थान है, और सबसे पहले RTGS यानी रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट के बारे में जानते हैं, आपको बता दे कि इसे साल 2004 में लॉन्च किया गया था।
उससे पहले बैंक की तरफ से इंडिविजुअल तौर पर फंड ट्रांसफर किया जाता था, और इसमें रियल टाइम आधारित ट्रांजैक्शन सेटल किया जाता था, और इसका संचालन खुद रिजर्व बैंक करता है, और आरटीजीएस की कोई अपर लिमिट नहीं होती है, हालांकि मिनिमम ट्रांजैक्शन वैल्यु 2 लाख रुपए होना अनिवार्य था, और 14 दिसंबर 2020 से इसकी सुविधा 24 घंटे उपलब्ध है, और वर्तमान समय में 2-5 लाख के ट्रांजैक्शन पर 25 रुपए तथा 5 लाख से ज्यादा का ट्रांजैक्शन करने पर 50 रुपए की प्रोसेसिंग फीस लगती है, इस तरह से इसकी विशेषता है।
NEFT के फायदे और अन्य जानकारी :
आज के समय में ऑनलाइन पेमेंट का दूसरा तरीका NEFT है जिसे नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर भी कहते हैं, यह काफी ज्यादा पॉपुलर है आज के समय में। NEFT की शुरुआत 2005 में हुआ था और आज की तारीख में यह बेहद पॉप्युलर फंड ट्रांसफर ऑप्शन में से एक है, लेकिन अभी UPI और IMPS का चलन ज्यादा है।
लेकिन वही हम साल 2017 तक की बात करे तब नेफ्ट में सालाना आधार पर 40 फीसदी का उछाल देखा जा सकता था, और पहले नेफ्ट ट्रांसफर अलग-अलग बैच में सेटल किया जाता था, जो एक दिन में एकबार होता था, तथा बाद में इसे घटाकर 2-2 घंटे का कर दिया गया था।
लेकिन वर्तमान समय में अब हर बैच आधे-आधे घंटे में हो जाता है, और वर्तमान में नेफ्ट के लिए मिनिमम ट्रांजैक्शन की लिमिट नहीं है, इसके माध्यम से आप 1 रुपए भी ट्रांसफर कर सकते हैं, तथा इसका संचालन रिजर्व बैंक करता है, तथा आरबीआई ने चार्ज नहीं वसूलने का निर्देश दिया है, पर बैंक 2.25 रुपए से 24.75 रुपए तक चार्ज वसूल रहा है।
IMPS के फायदे और अन्य जानकारी :
IMPS यानी इमीडिएट पेमेंट सिस्टम होता है तथा इसे साल 2010 में लॉन्च किया गया था। उस समय तक RTGS, NEFT की मदद से लिमिटेड टाइम में ऑनलाइन फंड ट्रांसफर किया जाता था।
बाद में NPCI यानी नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ने कुछ बैंकों के साथ मिलकर आईएमपीएस को शुरू किया गया था और यह 24×7 ट्रांजेक्शन का काम करता है, तथा आधिकारिक रूप से इसे नवंबर 2010 में लॉन्च किया गया था और शुरु में इसकी लिमिट 2 लाख थी, जिसे बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर दिया गया था।
इसकी मदद से 24 घंटे रियल टाइम फंड ट्रांसफर किया जा सकता है, और कई बैंक के लिए यह फ्री है, वही कई बैंक 2.5 रुपए से लेकर 25 रुपए तक चार्ज वसूली प्रोसेसिंग फीस के नाम पर कर रहे है।
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