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ओह ! अस्पताल में भर्ती होने के बाद भी हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम मिलने में हो सकती है परेशानी, क्लेम रिजेक्ट होने पर क्या करें ?

ओह ! अस्पताल में भर्ती होने के बाद भी हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम मिलने में हो सकती है परेशानी, क्लेम रिजेक्ट होने पर क्या करें ?

ओह ! अस्पताल में भर्ती होने के बाद भी हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम मिलने में हो सकती है परेशानी, क्लेम रिजेक्ट होने पर क्या करें ?

 

कोरोना का संक्रमण फिर से तेजी पकड़ने लगा है ऐसी स्थिति में यदि आप कोरोना की चपेट में आ जाते हैं और अस्पताल में भर्ती होते हैं तो हेल्थ इंश्योरेंस होने के बावजूद भी बीमा कंपनियां आपका क्लेम रिजेक्ट कर सकती है| इसका सबसे बड़ा कारण है कि लोग हल्‍के लक्षणों पर भी अस्‍पताल में भर्ती होने को तैयार हो जाते हैं|

बीमा क्षेत्र के एक्सपर्ट्स का मानना है कि बहुत से लोग हल्की सर्दी जुकाम जैसे लक्षण दिखने पर ही अस्पताल में भर्ती होने चले जाते हैं| उन्हें इस बात का भय रहता है कि कहीं उनकी बीमारी घातक ना बन जाए| ऐसी स्थितियों में बीमा कंपनियां कोरोना का रिजल्ट पॉजिटिव आने पर भी कैशलेस इलाज का क्‍लेम रिजेक्ट कर देती है|

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क्योंकि वहां बीमा कंपनियों का कहना होता है कि बीमा धारक ने बिना किसी आवश्यकता के ही स्वयं को अस्पताल में भर्ती करवाया है| यह समस्या आजकल बहुत से बीमा धारकों के सामने आ रही है| चाहे अब उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की सलाह डॉक्टर ने ही क्यों ना दी हो| डायबिटीज या किसी अन्य बीमारी से ग्रसित व्यक्तियों को यह समस्या ज्यादा हो रही है|

ICMR के दिशा-निर्देशों का सहारा लेती हैं कंपनियां

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) द्वारा जारी किए गए हाल ही के निर्देशों का सहारा यह स्वास्थ्य बीमा कंपनियां ले रही है और धड़ाधड़ कई व्यक्तियों के क्लेम रिजेक्ट कर रही है|

ICMR द्वारा अपने प्रोटोकॉल में कहा गया है कि जहां तक सांस लेने में तकलीफ या ऑक्‍सीजन लेवल कम न हो मरीजों को घर पर ही कोविड-19 का इलाज करना चाहिए| उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की कोई आवश्यकता नहीं है| जिसके बाद से लोगों के अस्पताल में जाने की संख्या में काफी कमी देखी गई है लेकिन फिर भी कुछ व्यक्ति डर के मारे अस्पताल चले जाते हैं|

क्लेम रिजेक्ट होने पर क्या करें?

यदि स्वास्थ्य बीमा कंपनी ने आपका भी क्लेम रिजेक्ट कर दिया है लेकिन आपको लगता है कि हॉस्पिटल में भर्ती होने का आपका निर्णय सही है तो कंपनी के शिकायत निवारण प्रकोष्‍ठ (grievance redressal cell) में दावा किया जा सकता है| यदि आपको वहां पर भी जवाब नहीं मिलता है तो अपने शहर के बीमा लोकपाल कार्यालय (insurance ombudsman office) में शिकायत कर सकते हैं| यदि इस जगह पर भी आपको जवाब नहीं मिलता है तो आखिरी ऑप्शन उपभोक्ता अदालत होगा|

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Written by Newsghat Desk

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