कभी हाई सिक्योरिटी में घूमने वाली जूली, आज बकरियां चरा रही है
आइए जानते हैं, कौन है आदिवासी महिला जूली
आपको यह सुनकर जरूर आश्चर्य होगा, कि आखिर यह कैसे हो गया कि एक महिला अर्श से फर्श पर आ गिरी।
लेकिन यह घटना पूरी तरह सच है। जो मध्य प्रदेश के उसी शिवपुरी से निकल कर आ रही है।
जहां धड़ीचा प्रथा की काली सच्चाई उजागर हुई थी, खैर जूली कभी लाल बत्ती से घूमा करती थी। लेकिन आज वह बकरी चरा कर अपना गुजर बसर कर रही है।
आइए जानते हैं, कौन है आदिवासी महिला जूली
आपको बता दें, कि जूली पेशे से मजदूर थी। लेकिन उसकी जिंदगी का पहला सीढ़ी तब आई जब कोलासर के पूर्व विधायक राम सिंह यादव ने उन्हें पंचायत चुनाव लड़ने की सलाह दे डाली और विधायक जी की बात मानकर वह चुनाव में खड़ी हुई।
स्पष्ट छवि व विधायक के समर्थन से वह चुनाव जीत गई तथा जिला पंचायत सदस्य चुन ली गई। लेकिन उसके जीवन का सबसे बड़ा तोहफा उसे तब मिला। जब उसे जिला पंचायत अध्यक्ष बना दिया गया।
आदिवासी महिला के लिए मजदूर से जिला पंचायत अध्यक्ष बनना किसी ख्वाब से कम नहीं था। जूली धीरे-धीरे पूरे राज्य में चर्चा का विषय बन गई।
इतना ही नहीं उसे लाल बत्ती वाली गाड़ी भी मिल चुकी थी। कल तक जूली कहीं जाने वाली महिला जूली मैडम कहीं जाने लगी। और वह लोगों के काम बड़ी ईमानदारी व तत्परता के साथ करती थी।
जरूरतमंदों की मदद करना, नेताओं को नहीं लगा अच्छा
आपको बता दें, कि जूली ने बताया कि वह गरीबों और जरूरतमंदों, वह मजदूर वर्ग का पूरी ईमानदारी के साथ मदद करती थी। लेकिन यह बात नेताओं को खटकने लगी।
परिणाम स्वरूप अगले चुनाव में आर्थिक सपोर्ट न मिलने के कारण वह हार गई। वह झोपड़ी बनाकर रहने को मजबूर है। इंदिरा आवास के तहत उन्हें मिली कॉलोनी को अधिकारी ने हड़प लिया।
अब वह बकरी चरा कर अपने परिवार का पेट पालने में मजबूर हैं। जुली कहती हैं कि राजनीतिक नेताओं पर पूर्ण भरोसा करना जिंदगी की बड़ी भूल साबित हुई है।