कैसे बदला कन्हैया का DNA……? वामपंथी से कांग्रेस की ओर
यह बात बताने की आवश्यकता नहीं है, कि अपने तेज तरार भाषण के लिए जाने जाने वाले कन्हैया कुमार विशुद्ध वामपंथी हैं।
लेकिन अब सवाल यह है, कि क्या कन्हैया कुमार ने विचारधारा को सिर्फ वस्त्रों की तरह धारण किया था। जो मौसम बदलते ही बदल दिया ?
क्या कन्हैया कुमार का डीएनए भी सिर्फ सत्ता के सिंहासन तक सीमित है ? गौरतलब है, कि विचारधारा में परिवर्तन इतना आसान नहीं होता।
जितनी आसानी से कन्हैया कुमार ने स्वयं को वामपंथी से कांग्रेसी होना स्वीकार कर लिया है। कन्हैया कुमार का निर्णय स्पष्ट तौर पर बयां करता है, कि कन्हैया कुमार का स्थाई दृष्टिकोण नहीं और न ही कोई स्थाई विचार है। नेताओं की तरह वह भी सिर्फ सत्ता के सिंहासन तक सीमित है।
राजद्रोह के आरोपी रहे हैं, कन्हैया
कन्हैया कुमार पर 2016 में राजद्रोह का आरोप लगाया गया था। जब इनके नेतृत्व में हो रहे एक आयोजन में कथित तौर पर राष्ट्रीय अखंडता को बाधित करने वाले कुछ नारे लगाए गए थे।
गौरतलब है, कि राजद्रोह के मुकदमे में कन्हैया कुमार को गिरफ्तार किया गया था। लेकिन आरोप सिद्ध होने से उन्हें बरी कर दिया गया था।
कन्हैया को मारने लिए घोषित था, इनाम
आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि, जब कन्हैया कुमार पर राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया, तो विपक्ष के कई नेता इन्हें जान से मारने की अभिलाषा पाल बैठे।
जानकारी के मुताबिक, किसी ने कन्हैया की जुबान काटने वाले को 5 लाख ईनाम देने की घोषणा की थी। तो किसी ने कन्हैया को मारने वाले के लिए 11 लाख के नाम घोषित किया था। बहरहाल दोष सिद्ध न होने से कन्हैया को अदालत ने बरी कर दिया।
योग्यता में कमी नहीं, पर विचारधारा में परिवर्तन अविश्वसनीय
अगर बात कन्हैया कुमार की योग्यता की की जाए। तो इसमें निसंदेह कोई कमी नहीं मिलेगी वह जितने अच्छे पाठक हैं, उतने ही अच्छे वक्ता है। लेकिन वैचारिक अस्थिरता उनकी अस्थिर और अवसर पटक राजनीति प्रवृत्ति दर्शाती है।
अर्थात किसी को भी कन्हैया कुमार को किसी विचारधारा का स्थाई चेहरा नहीं मानना चाहिए। अपितु उन्हें अवसर के साथ खड़े देखना चाहिए।