कैसे 630 रुपए के प्रीमियम ने किया लाखों का ऋण सेटलमेंट
थोड़ी सी समझदारी ने परिवार को कर्ज के संकट से उभारा
आमतौर पर देखा जाता है कि यदि किसी कर्जदार व्यक्ति की कर्ज चुका देने से पहले अचानक मृत्यु हो जाती है तो ऐसी स्थिति में मृतक के आश्रितों पर दोहरा भार आ पड़ता है। लेकिन थोड़ी सी समझदारी से ऐसी टी
स्थिति से बचा जा सकता है। एक ऐसा ही मामला हाल ही में सामने आया है।
बीते वर्ष अक्टूबर माह में एक दुर्घटना में शिक्षा विभाग में कार्यरत जेबीटी बाबू राम शर्मा का असामयिक निधन हो गया था। उन्होंने हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक सीमित शाखा गत्ताधार से लगभग 14 लाख रुपए का ऋण लिया था।
जिसको बैंक और रॉयल सुंदरम जनरल इंश्योरेंस कंपनी द्वारा चलाई जा रही लोन प्रोटेक्टर योजना के तहत बीमित किया गया था। जिसका प्रीमियम मात्र 45 रुपए प्रति लाख रु था।
उनके स्वर्गवास के बाद बैंक शाखा द्वारा सभी आवश्यक दस्तावेज लगा कर बीमा दावा कंपनी को भेजा गया। जिसकी अंतिम राशि 14 लाख रुपए को कम्पनी द्वारा 31 जनवरी को उनकी पत्नी मोरतो देवी के खाता में जमा कर दिया गया।
इस विषय पर शाखा प्रबंधक विशाल शर्मा ने कहा कि दिवंगत की कमी को तो पूरा नहीं किया जा सकता। परंतु उन्होंने अपने दायित्व का निर्वाहन पहले से कर दिया था।
उन्होंने सभी ग्राहकों से अनुरोध किया की वो प्रत्येक ऋण के साथ बीमा अवश्य लें। जिससे की बीमित व्यक्ति के परिवार पर किसी तरह का भार न पड़े।