गिरिपार मे सदियों से मनाया जाने वाला माघी त्यौहार कल..
जिला सिरमौर मे परंपराओं और संस्कृति के धनी गिरिपार क्षेत्र के हाटी समुदाय द्वारा हर वर्ष जनवरी माह मे मनाये जाने वाले माघी त्यौहार का कल से आरंभ हो रहा है।
वैसे तो यह पर्व 28 गते पोश यानि 11 जनवरी को मनाया जाता है लेकिन इस बार 11 जनवरी को मंगलवार का दिन आने पर एक दिन पहले सोमवार को मनाया जाएगा।
क्षेत्र के लोगों ने पर्व के लिये खरीददारी व अन्य तैयारियां पूरी कर ली है। पर्व के लिये मांसाहारी ने जहां बकरों की खरीद फरोख्त की है वहीं शाकाहारी वर्ग ने भी घी-शक्कर का इंतजाम कर लिया है।
जानकारी के मुताबिक गिरिपार क्षेत्र मे माघी त्यौहार सदियों से मनाया जाता है। जिसे स्थानीय भाषा में “भातियोज” कहा जाता है। परंपरा के मुताबिक इस पर्व पर बकरा काटा जाता है तथा मां काली के नाम की कढ़ाई चढ़ाई जाती है।
बुर्जुगों के मुताबिक मां काली पूरे साल उनकी हर कष्टों से रक्षा करती है। सदियों से मनाया जाना वाला यह पर्व क्षेत्र की जनजातीय दर्जा देने की मांग को भी पुख्ता करता है। क्योंकि इस तरह की अनूठी परंपरा अब देश मे बिरले ही बची है।
पर्व को लेकर क्षेत्र के लोगों मे उत्साह
अहम बात यह है कि इस पर्व के लिये घर से बाहर रोजी रोटी के जुगाड़ मे व नोकरीपैशा लोग भी घर जरुर आतें है। इससे परिवार मिलन भी हो जाता है और पर्व भी मनाया जाता है।
जानकारी के मुताबिक यह माघी त्योहार गिरिपार क्षेत्र के तहसील शिलाई, संगडा़ह, राजगढ़, कमरउ, उपतहसील रोनहाट तथा पांवटा तहसील की आंजभोज की पंचायतों समैत उत्तराखण्ड के जोंसार बाबर और शिमला जिले मे बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
पर्व के पहले दिन दूर-दूर से नौकरीपैशा लोग परिवार समैत अपने घर आते हैं। पूरा परिवार मिलकर पारंपरिक व्यंजनों का लुत्फ उठाता है तथा मिल जुलकर इस पर्व को मनाया जाता है।
उक्त पर्व पर क्षेत्र मे बकरे काटे जाते है।
हालांकि अब क्षेत्र मे करीब 50 फीसद से अधिक परिवार ऐसे हो चुके है जो शाकाहारी तरीके से बिना बकरे काटे इस पर्व को मनाते है। सबसे बड़ी बात यह है कि साल मे एक बार वह लोग भी घर आ जाते है जो काम के सिलसिले मे साल भर बाहर रहते है। इससे परिवार मिलन मे भी यह पर्व अपनी बड़ी भूमिका निभाता है। इस दौरान पारंपरिक गीत संगीत का दौर भी चलता है।