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जीवन में कितने जरूरी हैं स्पोर्ट्स, आईऐ जाने क्रिकेट, फुटबॉल और हॉकी के नियम

जीवन में कितने जरूरी हैं स्पोर्ट्स, आईऐ जाने क्रिकेट, फुटबॉल और हॉकी के नियम

जीवन में कितने जरूरी हैं स्पोर्ट्स, आईऐ जाने क्रिकेट, फुटबॉल और हॉकी के नियम

शरीर के लिए क्यों जरूरी है खेल...

दोस्तों आपको तो यह बात पता ही होगा कि जितना हमारे शरीर के लिए खाना खाना और पानी पीना जरूरी है उतना ही हमारे शरीर के लिए खेलकूद करना भी जरूरी है।

हम युवा हैं और हमारे शरीर को फिट रखना है तो हमें खेल कूद दौड़ भाग करना आवश्यक है अगर हम खेल कूद दौड़ भाग नहीं करते हैं तो हमारा शरीर मोटा हो जाए लगता है और अंत में हमारा शरीर इतना मोटा और भारी-भरकम हो जाता है कि हमारे शरीर से कुछ काम नहीं हो पाता है।

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इसके अलावा खेलकूद का हमारे जीवन में और भी कई महत्व है जैसे कि आजकल कई खेलों के खिलाड़ियों को अरबों अरब पैसे केवल उनके टैलेंट के बदौलत ही मिल रहे हैं।

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आजकल पूरी दुनिया में क्रिकेट फुटबॉल टेबल टेनिस बास्केटबॉल बैडमिंटन कबड्डी कुश्ती वॉलीबॉल मुक्केबाजी हाकी जैसे कई और खेल खेले जा रहे हैं।

जिस खिलाड़ी को जिस खेल में रुचि है या फिर जिस खेल में वह ज्यादा टैलेंटेड है उस खेल में वह खिलाड़ी बहुत आगे जा रहे हैं और अपने परिवार घर और देश का नाम रोशन कर रहे हैं। आइए अब हम इस आर्टिकल में आपको सारे खेलों के बारे में विस्तार से बताते हैं।

क्रिकेट

दोस्तों अगर बात करें क्रिकेट के बारे में तो आज ज्यादातर भारतीय क्रिकेट खेलना पसंद करते हैं।

कहने का मतलब यह नहीं है कि केवल भारत के खिलाड़ी ही क्रिकेट खेलते हैं फिर भारत में ही क्रिकेट खेला जाता है बल्कि कहने का मतलब यह है कि और सभी देशों के मुकाबले भारत में क्रिकेट का क्रेज बहुत ज्यादा है।

क्रिकेट खेल बहुत ही लोकप्रिय खेल है और इस खेल में इंटरनेशनल लेवल पर कई तरह की टूर्नामेंट का भी आयोजन किया जाता है साथ ही साथ कई देश अपने युवा खिलाड़ियों को बेहतर प्रदर्शन करने का मौका देने के लिए घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंट का भी आयोजन करती है।

क्रिकेट का नियम

क्रिकेट में दो टीम होती हैं। एक टीम में 11 खिलाड़ी होते हैं। जब मैं शुरू होता है तो दोनों टीमों के कप्तानों के बीच टॉस कराया जाता है।

जो भी टीम का कैप्टन टॉस जीता है वह अपने मन से बल्लेबाजी या गेंदबाजी कर सकता है अगर वह चाहे तो पहले बल्लेबाजी कर सकता है और चाहे तो वह विरोधी टीम को पहले बल्लेबाजी करने का न्योता भी दे सकता है।

टॉस हारे हुए कप्तान को टॉस जीते हुए कप्तान की बातों का समर्थन करना पड़ता है यह क्रिकेट का नियम है।

टॉस के दौरान ही दोनों कप्तानों को अपने-अपने प्लेइंग इलेवन को भी देना होता है कि कौन-कौन खिलाड़ी आपकी तरफ से आज के मैच में खेलेंगे।

अगर आपके द्वारा दिए गए खिलाड़ियों के नाम में से कोई चोटिल हो जाता है तो उसके जगह पर आप उसी के प्रकार का कोई खिलाड़ी ले सकते हैं जैसे कि अगर कोई बैट्समैन चोटिल हो गया है तो आप 1 बैट्समैन ले सकते हैं लेकिन अगर कोई बॉलर चोटिल हुआ है तो आप बैट्समैन नहीं ले सकते हैं आप बॉलर की जगह पर बॉलर ही ले सकते हैं।

क्रिकेट का जो पीछे होता है जिस पर बल्लेबाजी या गेंदबाजी की जाती है उसकी लंबाई 22 गज की होती है। क्रिकेट के मैदान पर दो अंपायर भी रहते हैं एक ही काम पर और एक हम पर जो कि आउट और नॉट आउट जैसे डिसीजन देते हैं।

टॉस होने के कुछ देर बाद मैच स्टार्ट होता है जिस टीम को बल्लेबाजी करना होता है वह अपने दो खिलाड़ी बल्लेबाजी करने के लिए क्रीज पर भेजते हैं और विरोधी टीम के 11 खिलाड़ी फील्डिंग करते हैं जिसमें एक खिलाड़ी गेंदबाजी करने के लिए आगे आता है।

मैच जितने भी ऑफर का हो उस ओवर में अगर बल्लेबाजों की सारी विकेट यानी कि 10 विकेट गिर जाती है तो बल्लेबाजी टीम ऑल आउट हो जाएगी और उनकी पारी खत्म हो जाएगी या फिर बल्लेबाजों की पूरी विकेट नहीं देती है लेकिन जितनी ओवर सीमित है उतनी ओवर खत्म हो जाती है तो भी पारी समाप्त हो जाती है और बल्लेबाजी टीम जीती रन बनाई है उससे एकदम ज्यादा गेंदबाजी टीम को जीत के लिए बनानी होती है।

अगर विपक्षी टीम पहले बल्लेबाजी की गई थी उसे 1 रन ज्यादा बना लेते हैं तो वह यह मैच जीतने में कामयाब रहते हैं लेकिन अगर जिस टीम ने पहले बल्लेबाजी की है और जितना लक्ष्य निर्धारित किया है बाद में बल्लेबाजी करने वाली‌ टीम को लक्ष्य तक नहीं पहुंचने देती है तो पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम बिजई हो जाती है।

फुटबॉल

अगर बात करी फुटबॉल के बारे में तो फुटबॉल दुनिया भर में खेला जाने वाला और देखा जाने वाला सबसे लोकप्रिय खेल हैं। फुटबॉल का पूरी दुनिया में क्रेज है। दुनिया के लगभग सारे देश फुटबॉल खेलते हैं।

फुटबॉल के खेल में भी क्रिकेट के जैसा है 11 खिलाड़ी 1 दिन में होते हैं और 2 टीमें होते हैं। फुटबॉल का ग्राउंड आयताकार होता है और ग्राउंड पर खास होती है। ग्राउंड के दोनों सिरों के बीच में एक-एक गोल होता है।

दोनों टीमों के खिलाड़ियों का उद्देश्य ही रहता है कि किसी भी तरह से चालाकी से या फिर अपने खेल से बोल को खोल के अंदर मार देना है।

जबकि दूसरी तरफ के खिलाड़ी का भी मानसिकता यही रहता है कि उन लोगों के द्वारा मारा गया बॉल को डिफेंड करके खुद ले जाकर उनके गोल में बॉल मार देना है।

फुटबॉल के केंद्र में किसी भी खिलाड़ी को बिंदु को हाथ से टच करने की अनुमति नहीं रहती है अगर आप हाथ से जहां भी बोल टच करते हैं तो वहीं पर बोला कि आपकी कॉलेज की तरफ विपक्षी खिलाड़ी सूट मारेगा।

अगर आप गोल के 11 गाजी के बीच में बोल को हाथ से पकड़ते हैं तो विपक्षी टीम द्वारा पेनाल्टी मारी जाएगी जिसके तहत सिर्फ गोलकीपर ही गोल बचाने के लिए होगा बाकी सब खिलाड़ी सिर्फ देखेंगे।

लेकिन गोलकीपर जो गोल बचाने के लिए रहता है उसे बोल हाथ से पकाने की अनुमति होती है। वह गोल के 11 गज के अंदर गेंद को हाथ से पकड़ सकता है।

आखिर गोलकीपर गेंद को पकड़ने में अपने हाथ के अलावा अपने शरीर के किसी भी अंग का इस्तेमाल करता है तो उसके लिए पेनल्टी मारी जाएगी।

क्योंकि फुटबॉल का नियम है की गोलकीपर सिर्फ अपने हाथों से ही गेंद को रोक सकता है बल्कि अपना शरीर से नहीं। अगर कोई गोलकीपर अपने शरीर से गेंद को रोकता है तो यह नियम के खिलाफ है।

जिस तारा से क्रिकेट का खेल ओवर के हिसाब से होता है उसी तरह फुटबॉल का खेल टाइम के हिसाब से होता है। अगर रियल टाइम आने दो फुटबॉल का खेल 90 मिनट का होता है जिसमें 45 मिनट को हाफ टाइम कहा जाता है यानी 45 मिनट के बाद प्लेयरो को 15 मिनट का राम दिया जाता है।

अगर रेफरी चाहे तो 5 मिनट तक का ज्यादा टाइम लेकर के दोनों तीनों को खेला सकता है। ये टाइम खेल शुरू होने के साथ साथ चलता रहता है चाहे बॉल आऊट जाए या फिर नही लेकिन टाइम चलता रहता है।

गेम के अंत तक जो टीम ज्यादा गोल करती है वह टीम भी चाहिए होती है और जो टीम कम कुल करती है उस टीम को हार का सामना करना पड़ता है।

अगर गेम टाइम होता है और वह मैच किसके पक्ष में जितना जरूरी होता है जैसे कि कोई टूर्नामेंट का मैच हो गया तो उस मैच में टाइम मैच होने के बाद दोनों टीमों को अतिरिक्त समय दिया जाता है अगर उस अतिरिक्त समय में भी मैच टाई रहता है।

तो दोनों टीमों को एक बराबर का पेनाल्टी आउट सूट दिया जाता है। निर्धारित पेनाल्टी में जो टीम ज्यादा गोल करती है उससे विजई घोषित किया जाता है लेकिन अगर पैनल टीम में भी स्कूल बराबर आता है तो फिर से पेनाल्टी किया जाता है यानी की पेनल्टी के माध्यम से अंत में निर्णय निकाल दिया जाता है।

हॉकी

हॉकी खेल भी थोड़ा-थोड़ा फुटबॉल के खेल से मिलता-जुलता है लेकिन इसमें सिर्फ या फर्क है कि जो गेम फुटबॉल में होती है वह बड़ी होती है और जो गेंद हॉकी में होती है वह क्रिकेट जैसी छोटी होती है।

इस खेल में भी ड्यूटी में होती है और प्रत्येक टीम में 11 खिलाड़ी होते हैं। इस खेल का मैदान भी आयताकार होता है और छोटे-छोटे घास से भरा हुआ होता है।

इसके साथ ही दोनों छोर पर गोल बना हुआ रहता है और इस खेल में भी यही होड लगी रहती है कि एक टीम को अपने विपक्षी टीम के गोल में गेंद को फेंक देनी है।

इस खेल को खेलने के लिए प्रत्येक खिलाड़ियों को एक हॉकी स्टिक दिया जाती है जिसके माध्यम से वह बोल को चलाते रहते हैं और उसे गोल में फेंकते हैं।

अगर इस खेल में भी अंत तक कोई निर्णय नहीं निकलता है तो पेनाल्टी मारा जाता है ताकि खेल किसी एक टीम की तरफ जाए। अंत समय तक जो टीम ज्यादा गोल करती है वह टीम विजई होती है।

लेकिन अंत तक यदि स्कोर बराबर आता है या फिर कोई भी टीम गोल नहीं कर पाती है तो प्रणानिकी आउट सूट का मौका दिया जाता है और उसमें जो तुम ज्यादा को मारती है उस दिन को विजई बनाया जाता है। हम आपको बता दें कि हॉकी का खेल हमारे भारत देश का राष्ट्रीय खेल है।

Written by newsghat

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