जेसी जुनेजा मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल की बड़ी उपलब्धि, महिला के पेट से निकली 32 किग्रा की रसौली
इतनी बड़ी रसौली निकालने का पूरे उत्तर भारत का पहला मामला..
हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के तहत सूरजपुर में स्थित मैनकाइंड ग्रुप द्वारा संचालित जेसी जुनेजा मल्टी स्पेशलिस्ट अस्पताल ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है।
यहां अत्याधुनिक तकनीक के सहारे एक युवा सर्जन डॉक्टर ने 32 किलो की रसौली निकालकर महिला को नया जीवन दिया है। जिससे पावंटा साहिब ही नहीं, साथ लगते राज्य में भी खासी चर्चा हो रही है।
जानकारी अनुसार जेसी जुनेजा मल्टी स्पेशलिस्ट अस्पताल सूरजपुर के डॉक्टर नीलेश जगणे (सर्जन) ने यह कीर्तिमान स्थापित करते हुए महिला के पेट से 32 किलो रसौली निकाली है। बताया जा रहा है कि परवीन बेगम को लंबे समय से पेट में रसौली के कारण दर्द व तकलीफ रहती थी।
जिस के इलाज के लिए वह कई जगह मारी मारी फिर रही थी, लेकिन उसे कहीं से भी आशा की किरण नजर नहीं आई। सभी जगह से उसे मात्र दवाइयां खाने को लेकर राय दी गई।
वहीं, अंतिम समय में उन्होंने एक बार जेसी जुनेजा मल्टी स्पेशलिस्ट अस्पताल सुरजपुर में प्रयास किया, तो वहां के डॉक्टरों ने एक टीम गठित कर पहले बीमारी को लेकर गहन मंथन किया।
फिर उसके बाद अत्याधुनिक तकनीक व प्रबंधक के सहयोग से इस ऑपरेशन को करने की ठान ली। हालांकि इस ऑपरेशन को करने में मरीज की जान को भी बहुत ज्यादा खतरा बना हुआ था, फिर भी उन्होंने सफलतापूर्वक यह ऑपरेशन कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया।
बताया जा रहा है कि 42 वर्षीय महिला का भजन पहले 70 किलो था, जिसमें से 32 किलो रसौली निकालकर अब वह 30 किलो रह गई है। महिला अभी भी अस्पताल में एडमिट है, लेकिन खतरे से बाहर है।
जेसी जुनेजा अस्पताल प्रबंधन ने जहां एक और युवा सर्जन डॉक्टर नीलेश जगणे की तारीफ की है वहीं, उनके सहयोगी डॉक्टर अवकाश कुमार हड्डी रोग विशेषज्ञ, डॉक्टर रोमानी बंसल बाल रोग विशेषज्ञ, डॉ रजत मंगला एनेस्थीसिया को भी इस कामयाबी के लिए बधाई दी है।
युवा सर्जन नीलेश जगणे का कहना है कि उनके जीवन में यह पहला ऐसा केस होगा, जिसमें इतनी भारी-भरकम मात्रा में रसौली निकाली गई है।
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उन्होंने कहा की है कि यह पूरे नॉर्थ भारत में पहला ऐसा मामला होगा, जिसमें इतने भारी भरकम वजन की रसौली निकालने बाद भी मरीज सुरक्षित है।
मैनकाइंड ग्रुप के प्रमुख डॉ. संजीव सहगल, आरपी तिवारी, बीडी त्यागी ने इस कामयाबी के लिए युवा सर्जन व उनकी टीम को बधाई दी है, और उम्मीद की है कि वह भविष्य में भी इसी तरह मरीजों के लिए देवदूत बने रहेंगे।
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