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दृष्टिबाधित बेटे ने कठिन परिश्रम से पाया मुकाम, IAS बने उमेश ने बताया सफलता का मूलमंत्र

दृष्टिबाधित बेटे ने कठिन परिश्रम से पाया मुकाम, IAS बने उमेश ने बताया सफलता का मूलमंत्र

दृष्टिबाधित बेटे ने कठिन परिश्रम से पाया मुकाम, IAS बने उमेश ने बताया सफलता का मूलमंत्र

सिरमौरी बेटे ने किया कमाल, रच डाला इतिहास, देशभर में 397वां रेंक

परिवार में खुशी की लहर, बधाई देने वालों का भी लगा तांता

Bhushan Jewellers Nov

हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला के कोलर गांव के रहने वाले उमेश लबाना ने हाल ही में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की कठिन परीक्षा उत्तीर्ण कर देश भर में 397वां रेंक हासिल किया है। आईएसए बने उमेश लबाना ने न केवल प्रदेश बल्कि सिरमौर जिला का नाम भी देश भर में गौरवान्वित किया है। लिहाजा कोलर गांव में उमेश के घर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है।

दृष्टिबाधित बेटे उमेश की इस सफलता के पीछे उनके माता-पिता सहित परिवार का कठिन परिश्रम भी छिपा है। साथ ही एक दृष्टिबाधित शिक्षक की प्रेरणा ने उन्हें आज हर मुश्किल को पार करते हुए इस मुकाम तक पहुंचाने में सफलता दिलाई है। परीक्षा उतीर्ण करने के अपने घर पहुंचे उमेश लबाना ने मीडिया से बात करते हुए अपने सफलता के राज सांझा किए।

उमेश लबाना ने बताया कि यूपीएससी की परीक्षा में उन्होंने 397वां रेंक हासिल किया है और वह इस सकारात्मक परिणाम के लिए सर्वप्रथम अपने पिता दलजीत सिंह, माता कमलेश कुमारी, बड़े भाई जितेंद्र व भाभी नीरू देवी को देखते हैं।

उमेश ने बताया कि उनके परिवार ने उस वक्त उनका साथ दिया, जब उन्हें लगता था कि वह स्वयं अपने साथ नहीं रह पाएंगे। इसके अलावा उनके शैक्षणिक सफर में जब वह मैट्रिक में थे, तो वह इस बात को लेकर चिंतित थे कि वह अपनी शिक्षा कैस जारी रखें। इसी बीच नाहन के शमशेर स्कूल में शिक्षक दिनेश सूद जोकि स्वयं दृष्टिबाधित थे, उन्होंने उनका मार्गदर्शन किया। वास्तव में शिक्षक दिनेश सूद ने उन्हें तकनीक बताई कि किस तरह से वह शिक्षा कर सकते हैं। इस सफलता के वह शिक्षक दिनेश सूद को भी धन्यवाद करते हैं, क्योंकि जो सफर उनका आज सभी देख रहे हैं, वह शायद यहां तक नहीं पहुंचता।

उमेश लबाना ने बताया कि यूपीएससी का यह उनका तीसरा एटेंप्ट था। इंग्लिश मीडियम में ही उन्होंने यह परीक्षा दी है। दृष्टिबाधित होने के चलते सरकार द्वारा उपलब्ध करवाई की सुविधाओं की बदौलत ही उन्होंने यह परीक्षा उत्तीर्ण की है। वह अपनी पढ़ाई लेपटॉप व मोबाइल पर स्कीनिंग रीडर साफटवेयर इस्तेमाल करके करते हैं। उमेश लबाना ने कहा कि किसी भी लंबी यात्रा की शुरूआती कदम बहुत मुश्किल होते हैं और ऐसा ही कुछ उनके साथ भी हुआ था, लेकिन उन्हें अपने परिवार का बहुत सहयोग मिला।

युवाओं को संदेश देते हुए उमेश लबाना ने कहा कि कामयाबी खुद चलकर नहीं आती, उसे ढूंढना पड़ता है। कामयाबी को ढूंढने के लिए रास्ते बनाने पड़ते हैं और रास्ते बनाने के लिए भटकना पड़ता है। इसलिए युवा भटकने से न डरे और रास्ते बनाते चले जाएं।

वहीं दूसरी तरफ आईएएस बने उमेश लबाना के पिता दलजीत सिंह व माता कमलेश कुमारी ने बातचीत में बेटे की कामयाबी पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि बेटे के सपने को पूरा करने के लिए जितना प्रयास कर सकते थे, वह उन्होंने किया। आज बेटे की सफलता ने गर्व से सीना चौड़ा कर दिया है।

वहीं सिरमौरी बेटे की इस कामयाबी से जिला सहित कोलर के लोग भी खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। उमेश के घर बधाई देने वालों को तांता लगा हुआ है। कोलर गांव के निवासियों का कहना है कि गांव के उमेश ने यह परीक्षा उत्तीर्ण कर पूरे गांव में खुशी का माहौल है। उमेश की कामयाबी ने यहां के युवाओं को भी आगे बढ़ने का संदेश दिया है।

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