in

पहली बार मूल छतरधारी चाल्दा महाराज सिरमौर भ्रमण पर, पश्मी में एक वर्ष तक रहेंगे विराजमान

पहली बार मूल छतरधारी चाल्दा महाराज सिरमौर भ्रमण पर, पश्मी में एक वर्ष तक रहेंगे विराजमान

पहली बार मूल छतरधारी चाल्दा महाराज सिरमौर भ्रमण पर, पश्मी में एक वर्ष तक रहेंगे विराजमान

काफिले में शामिल होंगे 50 हजार से अधिक श्रद्धालु, होगा विशाल भंडारे का आयोजन

श्री मूल महाशिव छतरधारी चाल्दा महाराज का इतिहास में पहली बार जिला सिरमौर मे आगमन होगा, 14 मार्च 2022 को श्री मूल महाशिव बाशिक महाराज के स्थान मेंद्रथ मे शांठीबील के बजीर दीवान सिंह राणा, बावर जोंसर के चार सदर सयानो, व सिरमौर के शिलाई क्षेत्र के लोगों की मोजुदगी में आयोजित सभा मे फैसला लिया गया कि 2025 को श्री मूल महाशिव छतरधारी चाल्दा महाराज शिलाई के लिए प्रस्थान करेंगे तथा एक वर्ष तक पश्मी गांव मे विराजमान रहेंगे।

पश्मी चाल्दा महाराज बजीर दिनेश चौहान व भंडारी रघुवीर सिंह चौहान ने बताया कि लगभग एक वर्ष पूर्व पश्मी गांव में एक बकरे का आगमन हुआ था, देवता के काफिले में चलने वाले इस बकरे से लोग अज्ञात थे, समाल्टा गांव में भ्रमण पर पहुचे चाल्दा महाराज के दर्शन के लिए पश्मी गांव से एक काफिला समाल्टा पंहुचा।

Bhushan Jewellers Nov

जहां उन्होंने महाराज से पश्मी के भ्रमण का अग्रेह किया, महाराज ने बताया कि पश्मी भ्रमण का मन पहले से बना चुके है। इसलिए काफिले में चलने वाले बकरे को पहले ही पश्मी क्षेत्र में भेज दिया है।

मान्यता है कि देवता के काफिले में कारदारों के अलावा बकरे भी शामिल रहते हैं, जोकि उस क्षेत्र में जहां देवता ने जाना होता है, वहां उनके पहुंचने से पहले ही पहुंच कर लोगों को देवता के आगमन की सूचना दे देते हैं। लोग इन बकरों की श्रद्धापूर्वक खूब सेवा करते हैं।

ढिमेदार बारु राम ने बताया कि कई सभाओं के बाद श्री मूल महाशिव छतरधारी चाल्दा महाराज ने साल 2025 को दसौउ से सीधे पश्मी आगमन की अनुमति दी है, महाराज एक वर्ष तक पश्मी गांव में विराजमान रहेंगे, श्री मूल महाशिव छतरधारी चाल्दा महाराज के काफिले में लगभग पन्द्रह हजार लोगों की उपस्थिति रहेगी।

चाल्दा महाराज के तीन अन्य भाई उत्तराखंड के हनोल व इसके आसपास स्थापित मंदिरों में विराजमान हैं, जबकि चाल्दा महासू चलायमान है व यह जौनसार, बाबर, रोहड़ू, जुब्बल, कोटखाई, चौपाल, नेरवा आदि क्षेत्रों में विचरण करते रहते हैं अथवा कई क्षेत्रों में कुछ समय के लिए प्रवास पर रहते हैं तथा इतिहास में पहली बार श्री मूल महाशिव छतरधारी चाल्दा महाराज सिरमौर भ्रमण पर आएंगे।

छतरधारी महारज दर्शन, समाल्टा, उतराखण्ड ऐसी मान्यता है कि अपने संपूर्ण जीवन काल में एक आम इंसान चालदा महाराज के एक बार ही दर्शन कर पाता है और यदि किसी व्यक्ति को अपने जीवन काल में दो बार चालदा महाराज के दर्शन हो जाए तो वह व्यक्ति बहुत ही भाग्यशाली होता है। जिस क्षेत्र में चाल्दा महाराज तीन बार प्रवास कर लेते हैं। वह क्षेत्र धन-धान्य से भरपूर हो जाता है।

पौराणिक मान्यता है कि जिन मार्गों से छत्रधारी चालदा महाराज गुजरते है, वहां के ग्रामीण देव डोली पर पुष्प वर्षा कर खुशहाली की मनत मांगते हैं। चालदा महाराज के प्रवास के दौरान उनका छत्तराई आकर्षण का केंद्र होता है।

मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु इस छत्र के नीचे से गुजरता है तो उसे पूरी यात्रा के दौरान छत्र के साथ साथ चलना पड़ता है। इस बार 250 छत्तराई उनके साथ चल रहे थे। छत्तराई को देखते ही लोगों के सिर श्रद्धापूर्वक झुक जाते हैं।

महासू भाइयों का इतिहास बहुत ही प्राचीन है। इन्हें बहुत ही बलशाली माना जाता है व इन्हें क्षेत्र के रक्षा के लिए जम्मू-कश्मीर से लाया गया है। ये चार भाई वाशी, पवासी, बौठा व चालदा महासू के नाम से जाने जाते हैं। देवता की भव्य पालकी, मोहरें व डोरिया भी बड़े आकर्षण का केंद्र रहती हैं। पालकी डोरिया व मोहरें प्राचीन कला का बड़ा बेजोड़ नमूना है।

Written by Newsghat Desk

वाह ! शाओमी लेकर आया है शानदार पंप, एक बार की चार्जिंग में 8 टायरों को कर देगा फुल, जानिए क्या है कीमत

वाह ! शाओमी लेकर आया है शानदार पंप, एक बार की चार्जिंग में 8 टायरों को कर देगा फुल, जानिए क्या है कीमत

बाजार में आने वाला है Mahindra Bolero का नया अवतार, लुक ऐसा की देखतें हो जाएगें दीवाने!

बाजार में आने वाला है Mahindra Bolero का नया अवतार, लुक ऐसा की देखतें हो जाएगें दीवाने!