पांवटा साहिब: मुस्लिम कारीगरों के हाथों से बन रहे रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले, पेश की भाईचारे की मिसाल
पांवटा साहिब : अच्छाई की जीत का पर्व दशहरा इस बार भी पूरे उत्साह से मनाया जाएगा। जगह-जगह रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतले तैयार किए जा रहे हैं।
खास बात यह है कि इन पुतलों को तैयार करने वाले कारीगर मुस्लिम समाज से हैं, जो भाईचारे और गंगा-जमुनी तहज़ीब की अनोखी मिसाल पेश कर रहे हैं।
हरिद्वार के ज्वालापुर निवासी 40 वर्षीय जाहिर अहमद पिछले कई सालों से दशहरे के पुतले बना रहे हैं। उनके साथ परिवार और 7 लोग मिलकर इस काम में जुटे हैं। पांवटा साहिब में इस बार भी वही रावण के पुतले तैयार कर रहे हैं।

करीब 10 से 12 दिन की मेहनत से तीन पुतले बन कर तैयार होते है। बांस, कपड़ा और रंग-बिरंगे कागज से कारीगर पुतले को आकार देते हैं और फिर उसे सजाकर मैदान में खड़ा किया जाता है।
जाहिर अहमद कहते हैं, “धर्म अलग हो सकता है, लेकिन इंसानियत सबसे ऊपर है। दशहरा हम सबका पर्व है और हमें खुशी है कि हमारे हाथों से तैयार पुतलों से हर साल हजारों लोग खुशी महसूस करते हैं।”
पांवटा साहिब में मुस्लिम कारीगरों की यह भागीदारी न सिर्फ एक सांप्रदायिक सौहार्द की झलक है, बल्कि यह संदेश भी देती है कि त्यौहार इंसान को जोड़ने के लिए होते हैं, बांटने के लिए नहीं।