in

पांवटा साहिब में करोड़ों के स्टांप पेपर बिक्री में कमिशन घोटाला ? चार साल पहले शुरू हुआ ये गोलमाल

पांवटा साहिब में करोड़ों के स्टांप पेपर बिक्री में कमिशन घोटाला ? चार साल पहले शुरू हुआ ये गोलमाल

पांवटा साहिब में करोड़ों के स्टांप पेपर बिक्री में कमिशन घोटाला ? चार साल पहले शुरू हुआ ये गोलमाल

एसडीएम विवेक महाजन ने तहसीलदार को पत्र लिखकर दिए ये आवश्यक निर्देश..

पांवटा साहिब में स्टांप पेपर बिक्री को लेकर बड़ा गोलमाल सामने आया है। यहां करोड़ों के स्टांप पेपर की बिक्री में लाखों की कमीशन खोरी के लिए नियम कानूनों को दरकिनार किया जा रहा है।

ये गोलमाल यहां 4 साल से चला हुआ है। मामला संज्ञान में आते ही एसडीएम पांवटा साहिब विवेक महाजन हरकत में आ गए हैं। उन्होंने इस पूरे मामले में ट्रेज़री ऑफिसर एसएस पंवार और तहसीलदार वेद प्रकाश अग्निहोत्री से रिपोर्ट तलब की है।

Indian Public school

आधिकारिक सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार यहां भूमि खरीद के मामलों में रजिस्ट्री के लिए स्टांप ड्यूटी हेतू प्रतिदिन लाखों के स्टांप पेपर की बिक्री होती है। जिसमें 4 फीसदी कमिशन विक्रेता एजेंट को देय होती है।

Bhushan Jewellers 2025

नियमानुसार विक्रेता एजेंट एक खरीदार को अधिकतम 20 हजार रुपए के ही स्टांप पेपर बेच सकता है। जबकि अधिक राशि के स्टांप की आवश्यकता होने पर खरीदार को स्टांप पेपर एजेंट के स्थान पर सीधे ट्रेज़री कार्यालय से खरीदने होते हैं। इससे राज्य सरकार को कुल राशि पर 4 फीसदी का फायदा होता है।

लेकिन पांवटा साहिब लघु सचिवालय परिसर के सरकार के इस नियम के विपरीत अलग ही गोरखधंधा चला हुआ है।

जिसके अनुसार खरीदार को रजिस्ट्री के लिए बीस हजार रुपए से अधिक राशि की स्टांप ड्यूटी की आवश्यकता पड़ने पर कुछ स्टांप विक्रेता एजेंट एक दूसरे से तालमेल कर लाखों के स्टांप बेच रहे है।

जिसके चलते ट्रेज़री विभाग बड़ी से बड़ी राशि के स्टांप पेपर भी सीधे उपभोक्ता को बेच नही पाता। ऐसे में राज्य सरकार लाखों का चूना लग रहा है। बल्कि ऐसे में जरूरतमंदों को कम राशि के स्टांप पेपर भी नही मिल पाते।

विभागीय सूत्रों की माने तो ये गोलमाल यहां पिछले चार साल से बिना किसी रोक टोक के चल रहा है। जिससे ट्रेज़री विभाग से सीधे उपभोक्ताओं को बिकने वाले स्टांप पेपर की दर में बड़े पैमाने पर गिरावट आई है।

इस पूरे मामले के सामने आने से खुद ट्रेज़री विभाग भी सवालों के दायरे में आ गया है। चार साल से ये पूरा धंधा विभाग के अधिकारियों की निगरानी में आए बिना कैसे चल सकता है ?

ट्रेज़री कार्यालय की माने तो इसकी निगरानी करना तहसील कार्यालय की जिम्मेदारी है, क्यों कि अलग अलग एजेंटों से खरीदे गए स्टांप पेपर की पहचान रजिस्ट्री के दौरान तहसील कार्यालय में ही की जा सकती है।

उधर, मामले के संज्ञान में आते ही एसडीएम विवेक महाजन हरकत में आ गए हैं। उन्होंने स्टांप पेपर विक्रेताओं को मनमानी रोकने के लिए कड़े कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।

उन्होंने तहसीलदार पांवटा साहिब वेद प्रकाश अग्निहोत्री को पत्र लिख कर इस बारे में रिपोर्ट मांगी है। इसके साथ ही राजस्व के नुकसान को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने को निर्देश दिए हैं।

एसडीएम ने इस मामले में ट्रेज़री ऑफिसर एसएस पंवार से भी विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। इसके साथ की उन्होंने ट्रेज़री ऑफिसर कम राशि के स्टांप पेपर की किल्लत दूर करने के लिए स्टांप पेपर विक्रेताओं के रिकॉर्ड जांचने के आदेश दिए हैं।

“हालंकि देर सांय तहसीलदार वेदप्रकाश अग्निहोत्री ने बताया की भूमि रजिस्ट्रेशन के लिए कोई भी व्यक्ति स्टांप पेपर स्टांप विक्रेताओं से ले सकता है क्योंकि वह सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है। इसके इलावा ट्रेज़री व बैंक से भी स्टांप पेपर ले सकते है और इससे सरकार को राजस्व का कोई नुक्सान नहीं है।”

Written by newsghat

WhatsApp में होने वाला है बड़ा बदलाव, नही रहेगा पहले जैसा, जानें क्या होगा नया

WhatsApp में होने वाला है बड़ा बदलाव, नही रहेगा पहले जैसा, जानें क्या होगा नया

डीसी आरके गौतम ने जिला वासियों से की ये अहम अपील, नही किया ये काम तो पछताना पड़ेगा

डीसी आरके गौतम ने जिला वासियों से की ये अहम अपील, नही किया ये काम तो पछताना पड़ेगा