पांवटा साहिब में ट्रामा सेंटर की घोषणा अधूरी, मरीज परेशान…..
पांवटा साहिब का सिविल अस्पताल सुविधाओं के अभाव में रेफर सेंटर बना हुआ है। 150 बिस्तर का दर्जा मिलने के बावजूद यहां न रेडियोलॉजिस्ट है, न एनेस्थीसिया विशेषज्ञ। मरीजों को चंडीगढ़ या देहरादून भेजा जाता है।
क्षेत्र में सड़क हादसे आम हैं। ट्रामा सेंटर की कमी घायलों के लिए जानलेवा साबित होती है। वन विभाग की 2.13 बीघा जमीन स्वास्थ्य विभाग को मिली, लेकिन प्रस्तावित अस्पताल भवन और ट्रामा सेंटर फाइलों में अटका है।
2017 में जेपी नड्डा ने ट्रामा सेंटर, डायलिसिस सेंटर और एमआरआई की घोषणा की थी। डायलिसिस सेंटर आंशिक रूप से शुरू हुआ, लेकिन ट्रामा सेंटर का वादा अधूरा रहा। पूर्व सीएम जयराम ठाकुर का 2018 का आश्वासन भी खोखला साबित हुआ।
राष्ट्रीय राजमार्ग-07 पर रोजाना दुर्घटनाएं होती हैं। घायलों को पांवटा या नाहन अस्पताल लाया जाता है, लेकिन सुविधाओं के अभाव में उन्हें प्राथमिक उपचार के बाद रेफर करना पड़ता है। इससे कई जिंदगियां खतरे में पड़ती हैं।
अस्पताल प्रभारी डॉ. सुधि गुप्ता के अनुसार, नया भवन और ट्रामा सेंटर बनाने की योजना है। निर्माण विभाग को साइट प्लान तैयार करना है। स्थानीय लोग नई सरकार से बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की उम्मीद कर रहे हैं।
पांवटा साहिब में दुर्घटनाओं का ग्राफ ऊंचा है। माजरा, कोलर, मिश्रवाला जैसे क्षेत्रों में हादसे आम हैं। ट्रामा सेंटर शुरू होने से आपात स्थिति में तुरंत इलाज मिलेगा, जिससे हजारों जिंदगियां बच सकती हैं।
जनप्रतिनिधियों के कमजोर प्रयासों के चलते यह मुद्दा दबा रहा। स्थानीय लोग मांग उठाते हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी ध्यान नहीं देते। अब नई सरकार से उम्मीद है कि ट्रामा सेंटर का सपना हकीकत बनेगा।