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पांवटा साहिब में वन विभाग की खास पहल: मानव-हाथी संघर्ष कम करने के लिए मिर्च धुआं तकनीक का प्रयोग

पांवटा साहिब में वन विभाग की खास पहल: मानव-हाथी संघर्ष कम करने के लिए मिर्च धुआं तकनीक का प्रयोग

पांवटा साहिब में वन विभाग की खास पहल: मानव-हाथी संघर्ष कम करने के लिए मिर्च धुआं तकनीक का प्रयोग

पांवटा साहिब में वन विभाग की खास पहल: मानव-हाथी संघर्ष कम करने के लिए मिर्च धुआं तकनीक का प्रयोग

 

73वें वन्यजीव सप्ताह के समापन पर पांवटा साहिब डिवीजन में विशेषज्ञों का मार्गदर्शन और फील्ड दौरे

Paonta Sahib: वन विभाग पांवटा साहिब लगातार नई तकनीकों का उपयोग करके मानव-हाथी संघर्ष को कम करने के प्रयास में जुटा हुआ है।

पांवटा साहिब में वन विभाग की खास पहल: मानव-हाथी संघर्ष कम करने के लिए मिर्च धुआं तकनीक का प्रयोग

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हाल ही में, 73वें वन्यजीव सप्ताह के समापन के अवसर पर, पांवटा साहिब डिवीजन में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें हाथियों से होने वाले संघर्ष को कम करने और सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने पर फोकस किया गया।

इस कार्यक्रम में 35 वर्षों के अनुभव वाले हाथी प्रबंधन विशेषज्ञ रुद्रदित्य ने वन विभाग के फील्ड स्टाफ को संघर्ष प्रबंधन के बारे में प्रशिक्षित किया।

बता दें कि पांवटा साहिब वन विभाग ने मानव-हाथी संघर्ष को कम करने और मानव-वन्यजीव सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक अनूठी पहल शुरू की है।

73वें वन्यजीव सप्ताह के समापन के अवसर पर, पांवटा साहिब डिवीजन के फील्ड स्टाफ के लिए विशेष अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया।

इस दौरान, हाथी प्रबंधन के अनुभवी विशेषज्ञ रुद्रदित्य ने कर्मचारियों को मानव-हाथी संघर्ष को समझने और उसे कम करने के तरीकों पर प्रशिक्षण दिया।

कार्यक्रम के बाद, विभाग ने स्थानीय समुदायों के साथ बातामंडी, बेहल ब्लॉक, माजरा रेंज में फील्ड दौरा किया और मिर्च-धुआं तकनीक का प्रदर्शन किया।

इस तकनीक का उद्देश्य हाथियों को इंसानी बस्तियों से दूर रखना है, जिससे संघर्ष की घटनाओं को कम किया जा सके।

क्या है मिर्च-धुआं तकनीक?

मिर्च-धुआं तकनीक में मिर्च का पाउडर और अन्य सामग्री का मिश्रण बनाकर धुआं किया जाता है, जिसे हाथियों के रास्ते में छोड़ने पर वे वहां से दूर चले जाते हैं। यह तकनीक पूरी तरह से प्राकृतिक है और इससे हाथियों को नुकसान भी नहीं पहुंचता।

स्थानीय लोगों की भागीदारी

इस कार्यक्रम में गांव बातामंडी के नसीम अली, गुरुचरण, पंडित शिवराम, लियाकत अली और कई अन्य ग्रामवासियों ने भाग लिया। सभी ने मिर्च-धुआं तकनीक के बारे में विस्तार से सीखा और इसे अपने-अपने गांव में इस्तेमाल करने की योजना बनाई।

क्या है आगे की योजना

पांवटा साहिब वन विभाग के डीएफओ ऐश्वर्य राज ने बताया कि 11 अक्टूबर तक सभी संघर्ष प्रभावित पंचायतों में मिर्च-धुआं तकनीक का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

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इसके तहत, स्थानीय समुदायों को भी इस तकनीक का प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वे स्वयं हाथियों से सुरक्षित रहते हुए संघर्ष को कम कर सकें।

वन विभाग का यह प्रयास मानव-हाथी संघर्ष को कम करने और जंगल के राजा के साथ सह-अस्तित्व की भावना को मजबूत बनाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।

Written by Newsghat Desk

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