प्राकृतिक खेती से बदली किसानों की तक़दीर! आमदनी हुई दोगुनी
पांवटा साहिब के 29 किसानों से खरीदी गई 119.34 क्विंटल गेहूं
हिमाचल प्रदेश सरकार की प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना किसानों के लिए उम्मीद की नई किरण बनकर उभरी है। इस योजना के तहत पांवटा साहिब के किसानों ने न केवल रासायनिक खेती को छोड़ा, बल्कि प्राकृतिक खेती अपनाकर अपनी आमदनी में भी इज़ाफा किया।
मुगलावाला करतारपुर के साधुराम, कांशीपुर की जसविंदर कौर, शिवपुर के जसप्रीत और सालवाला के अमरजीत सिंह जैसे किसानों ने बताया कि रासायनिक खेती से मिट्टी की उर्वरता घट रही थी और स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा था।
उन्होंने प्राकृतिक खेती की ओर रुख किया। देसी गाय के गोबर, गोमूत्र और स्थानीय वनस्पतियों से बनी जैविक खाद और कीटनाशकों का इस्तेमाल शुरू किया। इसका असर उन्हें जल्दी दिखा।
जहां पहले रासायनिक गेहूं 25 रुपये प्रति किलो बिकती थी, वहीं अब प्राकृतिक गेहूं की कीमत 60 रुपये प्रति किलो मिल रही है। किसानों को खरीद केंद्र तक पहुंचाने के अतिरिक्त 2 रुपये भी दिए जा रहे हैं।
प्राकृतिक खेती से उनकी लागत घटी और मुनाफा बढ़ा। इससे न केवल परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई, बल्कि गांव के अन्य किसान भी प्रेरित हुए।
ब्लॉक टेक्नोलॉजी मैनेजर प्रवीण कुमार ने बताया कि नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा 15 मई से गेहूं की खरीद शुरू हुई है। अब तक 29 किसानों से 119.34 क्विंटल गेहूं खरीदी जा चुकी है। कुछ किसानों की फसल की जांच प्रक्रिया भी जारी है।
भुगतान की राशि सीधे किसानों के बैंक खातों में डीबीटी के माध्यम से भेजी जा रही है।
यह योजना किसानों के जीवन में बदलाव ला रही है और प्रदेश को रासायनिक मुक्त खेती की ओर ले जा रही है।