31 करोड़ की वसूली का नोटिस जारी..
फर्जी कंपनी दिखाकर सरकार को लगाया जा रहा था चूना….
न्यूज़ घाट डेस्क
राज्य कर एवं आबकारी विभाग ने फर्जी कंपनी बना कर सरकार को करोड़ों रुपए जीएसटी के चूना लगाने के फर्जीवाड़े का भांडाफोड़ किया है।
आगे पढ़ें कैसे दिया फर्जीवाड़े को अंजाम…
संयुक्त आयुक्त राज्य कर एवं आबकारी मध्यम प्रर्वतन राकेश भारतीय के अनुसार बीते अगस्त माह में जांच के दौरान पाया कि जीएसटी पोर्टल पर यहां की एक फर्म नज़ाएज ढंग से फर्जी फर्मों से अपने लिए खरीद दिखा रही हैं। जो की दरअसल अस्तित्व में ही नहीं हैं।
भारतीय ने बताया कि इस मामले की जांच के दौरान एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी सामने आया कि फर्जी तीनों फर्मों के एक निदेशक के नाम पर भूमि क्रय की गई। जिसकी जानकारी निदेशक को भी नहीं थी।
शेष दो फर्मों के निदेशकों के जीएसटी पोर्टल पर दर्शाए गए पतों की लुधियाना (पंजाब) जाकर जांच की गई। जिसमें पाया गया कि वे फर्में भी वहां मौजूद नहीं हैं।
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इसके अतिरिक्त दो और ऐसी फर्में, जिन्हें यह फर्म सामान बिक्री करती थीं, वे भी फर्जी पाई गईं। तीन फर्मे जिनसे खरीद करती थी, वे भी जांच में फर्जी पाईं गईं।
आगे पढ़ें, बैंक से ऋण लेने के लिए किया फर्जीवाड़ा….
उन्होंने बताया कि इस मामले में फर्म द्वारा बैंक से ऋण लेने के लिए जाली बिल जारी किए गए तथा जीएसटी की चोरी का मामला सामने आया।
इस मामले में फर्म ने अक्टूबर 2018 से लेकर अगस्त 2020 तक किसी भी स्तर पर कोई जीएसटी नहीं दिया। सर्कुलर बिलिंग करके लगभग 99 प्रतिशत बिल आपस में जारी करके टैक्स की बड़े स्तर पर चोरी को अंजाम दिया गया।
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भारतीय ने बताया कि इस तथ्य को फर्म के सीईओ ने शपथ पत्र देकर कबूल कर लिया है, कि ये तीनों फर्में उन्होंने अनुचित रूप से आईटीसी का लाभ लेने के लिए पंजीकृत करवाईं हैं।
फर्जीवाड़े को अंजाम देने वालों पर कारवाई की तलवार…..
अब राज्य कर एवं आबकारी विभाग ऊना द्वारा गगरेट स्थित इस फर्म को गलत तरीके से तीन अन्य फर्जी फर्मों से अपने लिए खरीद दिखाकर टैक्स चोरी के मामले में 4 करोड़ 35 लाख, 90 हजार रुपये ब्याज के साथ-साथ 13 करोड़ 2 लाख 41 हजार अस्वीकार्य आईटीसी तथा इतने ही जुर्माना राशि सहित कुल लगभग 30 करोड़ 40 लाख 72 हजार 355 राशि वसूल करने की मांग की गई है।
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राकेश भारतीय ने बताया कि जीएसटी में 5 करोड़ से अधिक टैक्स की चोरी का मामला होने के कारण धारा 132(5) में जीएसटी के अंतर्गत यह अपराध संज्ञेय व गैरजमानती बनता है। इस फर्जीवाड़े में शामिल लोगों मुख्यतः फर्म के सीईओ के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई की जा रही है।