बड़ी खबर: प्रदेश में अब माताएं करेंगी मिड-डे मील की निगरानी! मिड-डे मील की गुणवत्ता में कैसे होगा सुधार देखें पूरी ख़बर
बड़ी खबर: हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में मिड-डे मील योजना की गुणवत्ता की जांच के लिए एक नई पहल की गई है।
इस नई व्यवस्था के अनुसार, बच्चों की माताएं और स्थानीय महिला मंडलों को भोजन की गुणवत्ता और प्रबंधन की निगरानी में शामिल किया जाएगा। इस पहल के माध्यम से समुदाय की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।
शिक्षा सचिव राकेश कंवर के निर्देशानुसार, 300 से 500 मीटर के दायरे में स्थित स्कूलों को ‘क्लस्टर स्कूल’ के रूप में विकसित किया जाएगा। इसका उद्देश्य संसाधनों का समुचित उपयोग और गुणात्मक शिक्षा को बढ़ावा देना है।
प्रत्येक क्लस्टर स्कूल में एक प्रमुख, एक शिक्षक, और स्कूल प्रबंधन समिति (एसएमसी) का एक प्रतिनिधि होगा, जो मिलकर शैक्षिक और प्रशासनिक कार्यों का संचालन करेंगे।
राज्य के विभिन्न स्कूलों में मिड-डे मील की व्यवस्था के लिए, अगर स्कूल दूरी पर हों, तो अन्य माध्यमों से भोजन पहुंचाने की व्यवस्था की जाएगी। इसके अलावा, क्लस्टर स्कूल बनने पर भोजन बनाने वाले कर्मचारियों की नौकरी सुरक्षित रखी जाएगी।
इस प्रणाली के तहत, हिमाचल प्रदेश में कुल 1,984 राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल, 960 उच्च स्कूल और 1,885 मिडल स्कूलों को क्लस्टर स्कूलों के रूप में विकसित किया जाएगा।
इसके अलावा, प्रदेश में 10,300 प्राथमिक स्कूल भी इस योजना का हिस्सा होंगे। इस व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य संसाधनों का उचित उपयोग और शैक्षिक गतिविधियों में सुधार लाना है।
इस नए निर्देश के अनुसार, जिला उपनिदेशकों को दिसंबर के अंत तक अपने-अपने क्षेत्रों में क्लस्टर स्कूलों की स्थिति और प्रगति की रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। क्लस्टर स्कूलों के प्रिंसिपल और हेडमास्टर दैनिक समन्वय और प्रशासनिक कार्यों में मुख्य भूमिका निभाएंगे।
इस पहल के माध्यम से, हिमाचल प्रदेश सरकार शैक्षिक सुधारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठा रही है, जिससे छात्रों को बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्यपूर्ण मिड-डे मील प्राप्त हो सकेगा।