बड़ी ख़बर: हिमाचल प्रदेश में अब सामने आए इस गंभीर बीमारी के लक्षण! हो जाएं सतर्क आपके इलाके में भी हो सकता है ये रोग! एक क्लिक में देखें पूरी ख़बर
बड़ी ख़बर: हिमाचल प्रदेश में अब सामने आए इस गंभीर बीमारी के लक्षण! हिमाचल प्रदेश के शिमला में हाल ही में लाइम रोग के मामले सामने आए हैं, जो राज्य में इसकी पहली पहचान है।
इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) के विशेषज्ञों ने इस रोग की जांच के लिए 232 लोगों के नमूने एकत्रित किए, जिनमें से 144 मामले पॉजिटिव पाए गए। इन नमूनों को अंतिम पुष्टि के लिए दिल्ली के एम्स में भेजा गया है।
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लाइम रोग बैक्टीरिया स्पाइरोकीट यानी बोरेलिया बर्गडोरफेरी सेंसु लेटो के कारण होता है, जो टिक कीड़े के काटने से फैलता है।
यह रोग मुख्यतः मई से सितंबर के बीच होता है और जंगलों तथा आसपास के इलाकों में पाए जाने वाले टिक से फैलता है।
इस रोग का संक्रमण तीन चरणों में होता है। पहले चरण में टिक के काटने की जगह पर दाने उभरते हैं और बुखार, सिरदर्द, थकान और मांसपेशियों में दर्द होता है।
दूसरे चरण में, बिना उपचार के 3-10 सप्ताह में कई चकत्ते दिखाई देते हैं। इस चरण में गर्दन में दर्द, चेहरे की मांसपेशियों में कमजोरी, अनियमित दिल की धड़कन, पीठ दर्द, हाथ-पैरों का सुन्न होना, आंखों में दर्द और घुटने में दर्द जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
तीसरे और अंतिम चरण में, जो टिक के काटने के 2-12 महीने बाद शुरू होता है, हाथों और पैरों के पीछे की त्वचा पतली हो जाती है और अन्य गंभीर लक्षण प्रकट हो सकते हैं।
लाइम रोग के लिए निदान और उपचार महत्वपूर्ण हैं। जल्दी पहचान और उचित उपचार से इस रोग के गंभीर प्रभावों को रोका जा सकता है।
हिमाचल प्रदेश में इस रोग की पहचान और उपचार की सुविधाएं बढ़ाने के लिए चिकित्सा अनुसंधान परिषद की मदद से चेक गणराज्य से विशेष डायग्नोस्टिक किट खरीदी गई हैं।
इसके अलावा, लोगों को जागरूक करने के लिए विशेष शिक्षा और जानकारी के प्रोग्राम भी चलाए जा रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश में लाइम रोग की उपस्थिति की खोज और इसके उपचार के लिए किए जा रहे प्रयास यह सुनिश्चित करते हैं कि राज्य इस दुर्लभ बीमारी का सामना करने के लिए तैयार है।
इस तरह के प्रयास न केवल लाइम रोग के प्रसार को रोकेंगे बल्कि आम जनता में इसके प्रति जागरूकता भी बढ़ाएंगे।