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बिन मैकेनिक के बेकार हो रही बसें, समय पर मरम्मत न होने से रूट पर भेजी जा रही खराब बसें

बिन मैकेनिक के बेकार हो रही बसें, समय पर मरम्मत न होने से रूट पर भेजी जा रही खराब बसें

बिन मैकेनिक के बेकार हो रही बसें, समय पर मरम्मत न होने से रूट पर भेजी जा रही खराब बसें

एचआरटीसी में 2890 पद खाली, समय पर मरम्मत न होने से रूट पर भेजी जा रही खराब बसें!

हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम में मैकेनिकल स्टाफ के पदों में भारी टोटा होने से बसों की मरम्मत समय पर नहीं हो पा रही है। इससे समय से पहले ही निगम की बसें खस्ताहाल हो रही हैं। साथ ही कई-कई दिनों तक डिपों में खड़ी रहती हैं, जिससे निगम के कई रूटों पर दूसरी बसों को भेजा पड़ रहा है।

बता दें कि एचआरटीपी में हिमाचल में मैकेनिकल स्टाफ में 4690 पद हैं, जिसमें से वर्तमान समय में 2890 पद खाली हैं। इस कारण प्रदेश में करीब 30 डिपों में चल रही 3350 बसों की मरम्मत सिर्फ 1800 पदों पर कार्य कर रहे कर्मचारी ही कर रहे हैं। इनमें से भी दिन के कई कर्मचारी छुट्टी पर होते हैं, जिससे डिपो में कई-कई दिनों तक बसों की मरम्मत न होने से एक ही स्थान पर खड़ी रहती है। इसके साथ मैकेनिकल स्टाफ के पद खाली होने से कई बसों को बिना मरम्मत के रूटों पर उतारना पड़ रहा है, जिसके बाद रूटों के बीच में ही बसें खराब हो रही हैं।

वहीं हिमाचल पथ परिवहन ड्राइवर्स यूनियन के प्रांतीय अध्यक्ष मान सिंह ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में निगम की बसों की फिटनेस को बनाकर रखने के लिए मैकेनिकल स्टाफ का पूरा होना जरूरी है। फिटनेस प्रमाणपत्र बनाने के लिए हर डिपो में एक हैड मैकेनिक, यार्ड मास्टर, जेटीओ व डब्ल्यूएम की टीम होनी जरूरी है, जिससे बसों को रूटों पर भेजने से पहले उनकी फिटनेस की जांच हो सके। उधर, एचआरटीसी मंडी डिवीजन के एमडी डा. संतोष कुमार ने कहा कि खस्ताहाल बसों की जगह नई बसों को लाने के लिए सरकार कार्य कर रही है। जल्द ही नई बसें डिपो में पहुंच जाएंगी। मैकेनिकल स्टाफ का मामला सरकार के ध्यान में है, इन पदों को कब भरा जाएगा, इस बारे में प्रदेश सरकार की निर्धारित करेगी।

(एचडीएम) 40 फीसदी बसों की हालत खराब
प्रदेश में एचआरटीसी के 30 डिपो हैं, जिनमें 3350 बसें चल रही हैं। इन बसों में से 40 प्रतिशत के करीब बसें खस्ताहाल हो चुकी हैं, जिन्हें ठीक करने के लिए मैकेनिकल स्टाफ की जरूरत है और प्रदेश में 4690 में से 2890 मैकेनिकल स्टाफ के पद खाली हैं, लेकिन इस ओर प्रदेश सरकार कोई भी ध्यान नहीं दे रही है।

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बिना फिटनेस सर्टिफिकेट के निकलती हैं डिपों से बसें
प्रदेश भर के यात्रियों ने एचआरटीसी से मांग की है कि डिपो से निकलने से पहले बसों का फिटनेस प्रमाणपत्र देकर ही उन्हें रूटों पर उतारना चाहिए। इससे यात्रियों को यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।

यात्रियों के अनुसार अगर डिपो से फिटनेस प्रमाणपत्र के बाद बसों को रूटों पर उतारा जाएगा, तो जिला मंडी के पंडोह एचआरटीसी बस हादसे और चंबा के तहत लंगेरा मार्ग पर घराटनाला के पास एचआरटीसी हादसा जैसी घटनाएं नहीं होंगी। यात्रियों ने कहा कि बिना फिटनेस प्रमाणपत्र के बसों को रूटों पर उताना यात्रियों की जिंदगियों के साथ खेलने के सामान है।

Written by Newsghat Desk

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