राहुल गांधी की पहल: हिमाचल में रोहित वेमुला अधिनियम लागू करने की मांग
पिछले कुछ समय से कांग्रेस के नेता राहुल गांधीराजनीतिक गतिविधियों में काफी एक्टिव दिखाई दे रहे हैं। वह लगातार एक सक्षम विपक्ष के सक्षम नेता की तरह व्यवहार करने लगे हैं।
इसी क्रम में हालहि में उन्होंने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को निवेदन पत्र लिखा है जहां उन्होंने हिमाचल प्रदेश में रोहित वेमुला अधिनियम लागू करने का आग्रह किया है।
यह अधिनियम हिमाचल प्रदेश के छात्रों को शिक्षा का समान अधिकार प्रदान करेगा जिसके चलते आने वाले समय में हिमाचल के पिछड़े वर्ग और जनजातीय छात्रों को बेहतर पढ़ाई के अवसर भी मिलेंगे।
क्या है रोहित वेमुला अधिनियम?
रोहित वेमुला, हैदराबाद विश्वविद्यालय के एक दलित छात्र थे जिन्होंने भेदभाव के कारण आत्महत्या कर ली थी। इसके पश्चात से ही देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में जाति आधारित भेदभाव पर बहस छिड़ गई थी और कई शिक्षण संस्थानों से इस भेदभाव को समाप्त करने की भी मांग की गई थी। इसी क्रम में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री को भी राहुल गांधी ने पत्र लिखकर संपूर्ण हिमाचल से इस भेदभाव को समाप्त करने का आवेदन किया है।
बता दें कांग्रेस पार्टी ने अपने 85 वें अधिवेशन में यह वादा किया था कि यदि सत्ता में कांग्रेस आती है तो वह हर शैक्षणिक संस्थान में रोहित वेमुला एक्ट लागू करेंगे जिसके चलते अब कांग्रेस सरकार और ज्यादा गंभीर हो चुकी है। अब कांग्रेस पार्टी उन सभी राज्यों में रोहित वेमुला एक्ट लागू करने का मन बना चुकी है जहां उनकी सरकार है ताकि युवाओं के बीच कांग्रेस पार्टी के प्रति विश्वास बढ़ाया जा सके और हर छात्र और हर युवा को बिना भेदभाव के बड़े से बड़े शैक्षणिक संस्थान में शिक्षा व्यवस्था सुविधा उपलब्ध कराई जा सके।
राहुल गांधी के इस पत्र का हिमाचल प्रदेश पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
हिमाचल प्रदेश में वर्तमान में कांग्रेस की सरकार काम कर रही है और राहुल गांधी पार्टी के शीर्ष नेता हैं, ऐसे में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह के ऊपर राजनीति और नैतिक दबाव बनेगा कि वह प्रदेश में इस अधिनियम को लागू करें। इस अधिनियम के लागू होते ही हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस को दलित और पिछड़े समुदायों का सहयोग प्राप्त होगा खासकर युवा छात्रों का जिससे कांग्रेस सरकार को हिमाचल प्रदेश में मजबूती मिलेगी।
यदि हिमाचल प्रदेश में इस एक्ट को लागू कर दिया जाता है तो राज्य के कई विश्वविद्यालय और कॉलेज में जातीय भेदभाव समाप्त हो जाएगा और छात्रों को उनके अधिकार मिलने लगेंगे।
हालांकि इस महत्वपूर्ण फैसले के लागू होने के पश्चात संपूर्ण हिमाचल प्रदेश जो अब तक एक शांत राज्य था वहां जाति आधारित भेदभाव पर खुले रूप से चर्चा हो सकती है जिसकी वजह से जातीय भेदभाव को लेकर संवेदनशीलता भी बढ़ सकती है।
कुल मिलाकर राहुल गांधी द्वारा शुरू की गई यह पहल न केवल सामाजिक न्याय में एक सकारात्मक प्रयास होगा बल्कि यदि इस पहल को हिमाचल प्रदेश में लागू कर दिया जाता है तो हिमाचल प्रदेश में भी शिक्षा स्तर बेहतर हो जाएगा। साथ ही हिमाचल प्रदेश के युवाओं में कांग्रेस पार्टी को लेकर विश्वास और ज्यादा प्रबल हो जाएगा।