रेणुका बाँध निगल गया 7 किलोमीटर सड़क, वैकल्पिक मार्ग की डीपीआर बनकर तैयार
गिरी नदी पर बनने वाले 26 किलोमीटर लंबे रेणुकाजी बांध से डूबने वाले संगड़ाह-नाहन मार्ग के विकल्प के रूप मे बनने वाली नई सड़क के सर्वे व डीपीआर का काम लोक निर्माण विभाग द्वारा शुरू किया जा चुका है। जलमग्न होने वाली 7 किलोमीटर सड़क के वैकल्पिक रोड की दूरी 14 किलोमीटर के करीब होगी और ऐसे मे नागरिक उपमंडल संगड़ाह व चौपाल की 5 दर्जन के करीब पंचायतों की दूरी सिरमौर जिला मुख्यालय नाहन, पांवटा व चंडीगढ़ आदि से 7 किलोमीटर बढ़ जाएगी।
ऐसे मे इन पंचायतों का 7 किलोमीटर का बस किराया व मालभाड़ा बढ़ जाएगा और आजीविका बचाओ समिति सिरमौर पहले ही इन पंचायतों को बांध प्रभावित घोषित करने की मांग कर चुकी है। नई सड़क व इसमे मे दनोई खड्ड पर बनने वाले पुल पर जानकारों के अनुसार 80 करोड़ से अधिक बजट खर्च हो सकता है, हालांकि लोक निर्माण विभाग के संबधित इन्जीनियरों के अनुसार डीपीआर बनने पर ही इस बारे सही जानकारी दी जा सकेगी।
मात्र 40 मेगावाट की रेणुकाजी बांध परियोजना का वास्तविक निर्माण कार्य शुरू होने से पहले ही इस पर करीब 780 करोड़ का बजट खर्च हो चुका है, जिसमे से 447 करोड़ से अधिक की राशि विस्थापित होने वाले किसानो को मुआवजे के रुप मे जारी हो चुकी है। उधर बांध से विस्थापित होने वाले किसानों की संघर्ष द्वारा एमपीएफ पहचान पत्र व मुआवजे का ब्यौरा जारी करने के लिए एक माह का अल्टीमेटम दिया गया है।
1962 से बजट के अभाव मे लंबित रही परियोजना
वर्ष 1962 से प्रस्तावित अथवा बहुचर्चिच रेणुकाजी बांध के शिलान्यास से एक तरफ जहां क्षेत्रवासियों मे काफी उत्साह है, वही साईड इफेक्ट की चिंता भी है। विडंबना यह भी है कि, गिरी नदी के साथ लगते उपमंडल संगड़ाह, पच्छाद, नाहन व पांवटा के दर्जनों गांवों मे आज भी पेयजल संकट है और पानी दिल्ली भेजे जाने से “घर मे नही दाने, अम्मा चली भुनाने” की कहावत भी क्षेत्र मे चर्चा में है। राजनीतिक इच्छाशक्ति व बजट के अभाव मे 1960 के दशक सिरे न चढ़ सकी रेणुकाजी बांध परियोजना का 1993 मे फिर से इंवेस्टिगेशन कार्य शुरू होने के बाद से हर विधानसभा व लोकसभा चुनाव मे यह मांग मुख्य मुद्दा रहती थी।
रेणुकाजी बांध परियोजना के महाप्रबंधक इंजीनियर रूपलाल ने कहा कि , इस परियोजना से देश की राजधानी दिल्ली सहित आधा दर्जन राज्यों को एमओयू के अनुसार पानी की सप्लाई होंगी। निर्माण राशि का 90% हिस्सा केंद्र सरकार जबकि 10 प्रतिशत 6 राज्य वहन करेंगे। जीएम के अनुसार गर्मियों व सर्दी मे बेशक नदी मे पानी काफी कम है, मगर बरसात में आने वाला बाढ़ का पानी इकट्ठा कर कईं दिन सप्लाई किया जा सकेगा।
जीएम के अनुसार बांध के डूब क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले संगड़ाह-रेणुकाजी-नाहन रोड की डीपीआर लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियन्ता संगड़ाह से मांगी गई है। अधिशासी अभियन्ता संगड़ाह रतन शर्मा ने कहा कि, बांध से डूबने बाली सड़क के वैकल्पिक रोड की डीपीआर तैयार करने व सर्वे का काम शुरू हो चुका है। जानकारी के अनुसार डीपीआर लिए परियोजना से करीब 14 लाख का शुरूआती बजट भी उपलब्ध करवाया जा चुका है।