लहुसन, टमाटर, अदरक पर आधारित उद्योग लगाए सरकार : कुलदीप सिंह तंवर
-राज्य अध्यक्ष की मौजूदगी में किसानों की समस्याओं पर विस्तृत चर्चा
संयुक्त हिमाचल किसान सभा राजगढ़ खंड की बैठक रविवार को आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता हिमाचल किसान सभा के राज्य अध्यक्ष कुलदीप सिंह तंवर ने की। इस बैठक में 3 दर्जन के करीब अलग-अलग गांव के किसानों ने हिस्सा लिया।
बैठक को संबोधित करते कुलदीप सिंह तंवर ने सबसे पहले किसान आंदोलन की ऐतिहासिक जीत पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि जिला सिरमौर का राजगढ़ एरिया अपनी कृषि के लिए जाना जाता है और साथ ही आड़ू के क्षेत्र में इसका अपना महत्व है।
राज्य अध्यक्ष ने कहा कि राजगढ़ में किसानी में अधिकांश लोग काम करते है और उनका जिसमें दूध उत्पादन से लेकर मटर, लहुसन, अदरक का उत्पाद बहुत अधिक मात्रा में होता है, लेकिन किसानों को आज भी फसलों के सही दाम नहीं मिल पाते। इस वजह से किसानों को ओने पौने दामों पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
तंवर ने कहा कि यदि सिरमौर में फसलों पर आधारित उद्योग लगाए जाएं और कोल्ड स्टोर, सीए स्टोर खोले जाए, तो किसानों को अपनी फसल को लंबे समय तक रखने में मदद होगी, जिससे जब चाहे रेट बढ़ने पर किसान अपनी फसल बेच सकेंगे।
इससे पूर्व बैठक को किसान सभा के जिला अध्यक्ष रमेश वर्मा ने भी सभी किसानों को संबोधित किया। रमेश वर्मा ने कहा कि जिला के अंदर किसान सभा के बंदरो की समस्याओं और आवारा पशुओ द्वारा फसलों की बर्बादी पर भी चिंता व्यक्त की। साथ ही कहा कि इन सबसे लड़ने के लिए किसान और किसानी को बचाने के लिए किसान सभा का निर्माण करना है। इसके इलावा पच्छाद किसान सभा के पच्छाद खंड के अध्यक्ष बाबूराम ने भी बैठक को संबोधित किया।
बैठक में सीटू जिला कोषाध्यक्ष आशीष कुमार ने कहा कि हम सभी को हिमाचल किसान सभा की सदस्यता को बढ़ाकर किसानों और किसानी से जुड़ी समस्यओं को उठाना है और किसान आंदोलन को मजबूत करना है। आशीष कुमार ने कहा कि जिला सिरमौर के सभी ब्लॉक में मक्की की फ़सल होती है, जिससे 36 किस्म के उत्पाद तैयार हो सकते है। लिहाजा सरकार को इस दिशा में ध्यान देना चाहिए।
वहीं सीटू जिला सचिव राजेंद्र ठाकुर ने कहा कि आज सिरमौर में टमाटर, अदरक, लहुसन आदि का उत्पाद भरपूर मात्रा में होता है, जिसके लिए सभी फसलों को किसान सभा MSP पर ख़रीदने की व्यवस्था करने की मांग करती है।
इसके इलावा बैठक में 19 सदस्यों की कमेटी का चयन किया गया, जिसमें 5 सदस्यों की समन्वय समिति बनाई गई और इसमें बलदेव सिंह, नैन सिंह, अमर दत्त, राजेंद्र, रतनलाल, धर्म दास आदि को शामिल किया गया।