शिमला: हिमाचल सरकार को हाईकोर्ट का नोटिस! पर्यावरण को नुकसान का आरोप, दो हफ्ते में जवाब मांगा
शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के एक मामले में राज्य सरकार को कड़ा संदेश दिया है। ऊना जिले में हुए निर्माण पर सवाल उठे हैं। कोर्ट ने सरकार और अधिकारियों से जवाब मांगा है।
हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव, जिलाधीश ऊना, जिला वन अधिकारी रामनगर और एक निजी कंपनी की निदेशक को नोटिस जारी किया। यह फैसला जस्टिस विवेक सिंह ठाकुर और जस्टिस रंजन शर्मा की बेंच ने लिया। मामला भावक पराशर की याचिका से जुड़ा है।
याचिकाकर्ता ने नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के फैसले को चुनौती दी। उनका कहना है कि ट्रिब्यूनल ने पहाड़ी क्षेत्र की गलत व्याख्या की। ट्रिब्यूनल ने माना कि ढलान काटने से पर्यावरण को नुकसान नहीं हुआ। लेकिन याचिकाकर्ता इससे सहमत नहीं हैं।
भावक पराशर का तर्क है कि भारतीय राष्ट्रीय भवन संहिता 2005 के मुताबिक, 600 मीटर से ऊंचे इलाके पहाड़ी कहलाते हैं। साथ ही, 30 डिग्री ढलान वाले क्षेत्र भी इसमें शामिल हैं। ऊना का यह इलाका इन नियमों में आता है।
उन्होंने कहा कि ऐसे संवेदनशील क्षेत्रों में निर्माण गैरकानूनी है। फिर भी, वहां ढलान काटकर जमीन समतल की गई। इससे पर्यावरण को खतरा पैदा हुआ। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कार्रवाई की मांग की है।
हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को दो हफ्ते में जवाब देने को कहा। याचिका में मांग की गई है कि निजी कंपनी को अवैध गतिविधियां रोकने का आदेश दिया जाए। मामले की अगली सुनवाई 21 मई को होगी।
यह मामला पर्यावरण संरक्षण और कानूनी नियमों के पालन का गंभीर सवाल उठाता है। हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य में ऐसी घटनाएं चिंता बढ़ाती हैं। कोर्ट का फैसला इस मुद्दे पर नया मोड़ ला सकता है।