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सरकारी खजाने से भरा जा रहा हिमाचल के मंत्रियों और विधायकों का टैक्स

सरकारी खजाने से भरा जा रहा हिमाचल के मंत्रियों और विधायकों का टैक्स

सरकारी खजाने से भरा जा रहा हिमाचल के मंत्रियों और विधायकों का टैक्स

कोर्ट में याचिका दायर, सरकार से मांगा जवाब

आम हो या खास सब अपनी जेब से आयकर चुकाते हैं। लेकिन 60 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक कर्ज के बोझ तले डूबे हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मंत्री व विधायक का आयकर सरकार जनता के पैसे से भर रही है। इस पर हर साल करोड़ो का  बोझ खजाने पर पड़ता है।

माननीय का औसतन वेतन (भत्तों सहित) सवा दो लाख रुपये है जबकि मंत्रियों का इनसे पंद्रह से बीस हजार ज्यादा है। कुल 68 विधायकों का सालाना वेतन 15 करोड़ रुपये से अधिक बनता है।

वही आज हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार द्वारा मंत्रियों और विधायकों की ओर से आयकर के भुगतान से संबंधित मामले में राज्य सरकार को नोटिस जारी किया। ओर जवाब तलब किया है।

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मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रेवाल दुआ की खंडपीठ ने यशपाल राणा और अन्य द्वारा दायर  याचिका पर यह आदेश पारित किया।

याचिकाकर्ताओं ने तत्काल याचिका दायर की है। विधान सभा (सदस्यों के भत्ते और पेंशन) अधिनियम, 1971, जिसके तहत विधान सभा के सदस्यों और मंत्रियों को उनके द्वारा अर्जित आय पर विभिन्न भत्तों और अनुलाभों के साथ आयकर का भुगतान करने से छूट दी गई है।

इसके अलावा याचिकाकर्ता भी मंत्रियों के वेतन और भत्ते (हिमाचल प्रदेश) अधिनियम, 2000 के समान प्रावधानों से व्यथित हैं, जिसके आधार पर मंत्रियों को उनके द्वारा अर्जित आय पर आयकर का भुगतान करने से छूट दी गई है। इन अधिनियमों के तहत उन्हें दिए जाने वाले वेतन, भत्ते और अन्य अनुलाभ।

याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि इन अधिनियमों के विभिन्न प्रावधानों के अनुसार, हिमाचल प्रदेश सरकार इन अधिनियमों में प्रावधानों को शामिल करने की तिथि से विधायकों और मंत्रियों के आयकर का भुगतान कर रही है।

याचिकाकर्ताओं ने प्रार्थना की है कि हिमाचल प्रदेश विधान सभा (सदस्यों के भत्ते और पेंशन) अधिनियम, 1971 की धारा 6एए, जो एक सदस्य को देय वेतन और प्रतिपूरक, निर्वाचन क्षेत्र, सचिवीय, डाक सुविधाएं और टेलीफोन भत्ते और अन्य अनुलाभों के लिए स्वीकार्य है।  उसके लिए, इस अधिनियम के तहत, राज्य सरकार द्वारा देय आयकर को छोड़कर, असंवैधानिक घोषित किया जा सकता है और रद्द किया जा सकता है और अलग रखा जा सकता है।

प्रदेश हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता रजनीश मनिकतला ने कहा कि आम लोग अपनी जेब से टैक्स भर रहे है लेकिन विधायको मंत्रियों का टैक्स सरकार सरकारी खजाने से भर रही है। हर साल करोड़ो का टैक्स भरा जा रहा है। देश मे पांच राज्यो में इस तरह की व्यवस्था है जबकि अन्य राज्यो में विधायक मंत्री अपनी जेब से भर रहे है। कोर्ट ने आज सरकार से इसको लेकर जवाब तलब किया गया है ।

2017-18,  में 1,11,87,863 विधायको ओर मंत्रियों का टैक्स दिया गया। 2018-19 में सरकार ने  1,79,30,873 टैक्स भरा जबकि 2019-20 में 1,78,12,311 टैक्स भरा है।

 

 

 

Written by Newsghat Desk

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