सरकारी vs प्राइवेट बैंक: कौन सा है आपके पैसे के लिए बेहतर! कहां करवाए FD, जाने किसमें फायदा और किसमें नुकसान
हम भारतीयों को दो चीजें बहुत ज्यादा पसंद आती हैं एक है पैसा कमाना और दूसरा है उस पैसे पर अच्छा खासा ब्याज प्राप्त करना। जी हां, जब बात आती है पैसा निवेश करने के बाद ब्याज प्राप्त करने की तो हम सभी लोग ऐसी जगह पर निवेश करना पसंद करते हैं जहां निवेश पर किसी प्रकार का जोखिम न हो।
सरकारी vs प्राइवेट बैंक: कौन सा है आपके पैसे के लिए बेहतर! कहां करवाए FD, जाने किसमें फायदा और किसमें नुकसान
सबसे ज्यादा भारतीय फिक्स्ड डिपॉजिट की तरफ ही आकर्षित होते हैं। फिक्स्ड डिपॉजिट मतलब पैसा बैंक में रख दो और हर साल थोड़ा-थोड़ा ब्याज प्राप्त करते रहो। परंतु फिक्स्ड डिपॉजिट शुरू करने से पहले अक्सर सवाल आता है कि सरकारी बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट करें या प्राइवेट बैंक में?

सरकारी बैंक जिनके साथ भरोसे और सरकार का समर्थन होता है, वहीं प्राइवेट बैंक जहां सेवा और कस्टमर फर्स्ट वाली पॉलिसी होती है। अब लोग इसी बात को लेकर असमंजस में आ जाते हैं कि दोनों में से किसे चुने और कहां पर अपना FD खुलवाएं? आज के इस लेख में हम आपकी इसी परेशानी का निदान लेकर आए हैं जहां हम बताएंगे कि दोनों में से कौन सा विकल्प आपके लिए बेहतर हो सकता है।

सरकारी बैंक FD या प्राइवेट बैंक FD?
ब्याज दर: फिक्स्ड डिपॉजिट खातों पर सरकारी बैंक जहां 6 से 6.5% का ब्याज देती है वहीं प्राइवेट बैंक 7% से 7.5% का ब्याज उपलब्ध कराती है। ऐसे में ब्याज दर की तुलना की जाए तो लोग प्राइवेट बैंक को ज्यादा प्रेफरेंस देते हैं हालांकि ब्याज ज्यादा है तो रिस्क भी ज्यादा ही होता है।
ग्राहक सेवा: यदि आपको बैंक से जुड़ी कोई कार्यवाही पूरी करनी हो तो सरकारी बैंक में आपको अलग-अलग इस काउंटर से उस काउंटर पर नचाया जाता है। वहीं प्राइवेट बैंक के कर्मचारी आपकी सेवा में हमेशा तत्पर रहते हैं। यहां तक की प्राइवेट बैंक इतने हाईटेक हो चुके हैं कि कियोस्क से ही सारे काम दो क्लिक में हो जाते हैं। ऐसे में शानदार सर्विस की बात हो तो प्राइवेट बैंक बाजी मार ले जाते हैं।
डिजिटलिकरण: सरकारी बैंक में हाल ही में धीरे-धीरे डिजिटलीकरण किया जा रहा है परंतु आज भी कई सारी प्रक्रियाएं पूरी करने के लिए आपको भौतिक उपस्थिति दर्ज करानी पड़ती है। परंतु बात हो जब प्राइवेट बैंक की तो प्राइवेट बैंक की ऐप्स इतनी सक्षम हो चुकी है कि आप घर बैठे ही दो क्लिक से सारा काम समाप्त कर सकते हैं।
FD तोड़ना: यदि आप FD तोड़कर पैसे निकालना चाहते हैं तो इसके लिए सरकारी बैंक में एप्लीकेशन, पासबुक लो इत्यादि का झंझट से निपटना पड़ता है, परंतु प्राइवेट बैंक आपको एप के माध्यम से दो बटन में पैसा ट्रांसफर करने की सुविधा उपलब्ध कराती है जिसकी वजह से प्राइवेट बैंक एक कदम और आगे हो जाता है।
आकर्षक ऑफर: प्राइवेट बैंक अपने ग्राहकों को आए दिन FD के साथ नए-नए ऑफर भी देते हैं। फ्री क्रेडिट कार्ड, फ्री इंश्योरेंस, फेस्टिवल स्कीम ,वाउचर इत्यादि परंतु सरकारी बैंक इन सब में आज भी पीछे हैं हालांकि सरकारी बैंक सरकार समर्थित होने की वजह से टाइम पर ब्याज जरूर दे देते हैं।
डिपॉजिट इंश्योरेंस: चाहे सरकारी बैंक हो या प्राइवेट बैंक यदि किसी कारण से बैंक डूब गया तो सभी खाताधारकों को खातों में जमा पैसा वापस कर दिया जाता है। हालांकि इसकी अधिकतम सीमा 5 लाख की होती है।
अर्थात यदि आपका 10 लाख भी डूबा तो आपको अधिकतम 5 लाख रुपए ही वापस मिलेंगे ऐसे में सरकारी बैंक यदि डूबने की कगार पर आ भी गया तो सरकार उसे बचा लेगी और नए कानून भी बना देगी। परंतु प्राइवेट बैंक यदि डूबने को आया तो सरकार उसके लिए कोई कदम नहीं उठाएगी।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर यदि तुलना करें तो दोनों बैंक के अपने फायदे अपने नुकसान हैं। हालांकि यदि आप बिना रिस्क के अच्छा खासा इंटरेस्ट कमाना चाहते हैं तो सरकारी बैंक परफेक्ट है परंतु आप रिस्क लेते हुए सुविधाओं के साथ ज्यादा इंटरेस्ट प्राप्त करना चाहते हैं तो प्राइवेट बैंक आपके लिए सही विकल्प सिद्ध हो सकती है।
जैसा कि हम सब जानते हैं किसी भी बैंक में अपना खाता खोलते समय हम बैंक की कुछ बातों पर ध्यान देते हैं और उन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए आज हम यह तुलना करेंगे कि प्राइवेट बैंक में FD खोलनी चाहिए या सरकारी बैंक मे?
सुरक्षा: जब बात आती है सुरक्षा की तो हम सभी के दिमाग में सरकार समर्थित बैंक के नाम आते हैं जैसे कि SBI, PNB, BOB इत्यादि क्योंकि इन बैंक के पीछे खुद सरकार खड़ी होती है और जरूरत पड़ने पर सरकार इन बैंक को हर तरह से मदद उपलब्ध कराती है।
परंतु इसी की तुलना यदि HDFC, ICICI कोटक इत्यादि से की जाए तो सरकार उतनी मुस्तैद नहीं होती। ऐसे में सुरक्षा की बात जब भी आती है तो सरकारी बैंक को एक अंक ज्यादा मिल जाता है।

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