साक्या संप्रदाय के विचारों को विश्व में फैलाने की आवश्यकता : आर्लेकर
राज्यपाल श्री राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि दलाई लामा की बौद्ध धर्म की शिक्षाएं प्रेम का संदेश देती हैं, जिनके अनुसरण की अधिक आवश्यकता है।
राज्यपाल आज सिरमौर जिले के पांवटा साहिब स्थित पुरुवाला में साक्या संप्रदाय के 43वें पदाधिकारी श्री ज्ञान वज्र रिनपोछे के आध्यात्मिक सिंहासन गद्दी आरोहण कार्यक्रम में बतौर मुख्यतिथि संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि करीब एक हजार वर्ष पुराने साक्या संप्रदाय की शिक्षा और विचारों को विश्व में प्रचारित करने की आवश्यकता है ताकि सकारात्मकता की भावना पैदा हो।
उन्होंने कहा कि भारत एक शांतिप्रिय देश है और यहाँ लोगों में आध्यात्मिकता की भावना अधिक है, जिसे हमारी संस्कृति से कोई दूर नहीं कर सका। भारत अपनी समृद्ध संस्कृति और परंपराओं के लिये जाना जाता है।
भारत विश्व की सबसे पुरानी सभ्यता वाला देश है तथा भारतीय लोग आज भी अपनी परंपराओं व उच्च मूल्यों को बनाए हुए हैं। यह देश सदियों से धार्मिक सहिष्णुता, सहयोग और अहिंसा का जीवंत उदाहरण रहा है।
श्री आर्लेकर ने कहा कि दुनिया में कई देशों की संस्कृति लुप्त हो चुकी है और कई देशों की संस्कृति लुप्त होने की कगार पर है। भारत एक ऐसा देश है, जहां संस्कृति आज भी जीवित है जिसका श्रेय हमारे गुरुओं को जाता है।
उन्होंने कहा कि देश की बहुमूल्य वस्तुओं को लूटने के लिए कई अक्रान्ता यहां आए लेकिन हमारी पुरातन संस्कृति, जोकि इस देश की असली दौलत है, को नहीं ले जा सके। इसके विपरीत, हम जबभी दूसरे देशों तक गए वहां अपने सांस्कृतिक मूल्यों को देकर आया।
उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद केवल आध्यात्मिकता साथ लेकर घर से निकले थे जिसे उन्होंने न केवल अमेरिका बल्कि पूरे संसार में फैलाया। इसी प्रकार, भगवान बुद्ध ने जो संदेश दिया वो पूरे संसार के लिए मिसाल बना।
इस अवसर पर साकय समाज के 41वें गुरु गोंडमा टीछैन रिनपोछे, 41वें गुरु टीजिन रिनपोछे और 43वें पदाधिकारी श्री ज्ञान वज्र रिनपोछे ने भी उपस्थित जनसमूह को सम्बोधित किया।
ऊर्जा मंत्री सुख राम चौधरी, उपायुक्त सिरमौर राम कुमार गौतम, पुलिस अधीक्षक ओमापती जमवाल, उपमंडल दंडाधिकारी पांवटा साहिब विवेक महाजन, प्रदेश सरकार के अन्य अधिकारी, साकय समाज के पदाधिकारी तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।