सिरमौर : सिरमौरी ताल के खेत में खुदाई के दौरान मिली भगवान गणेश की मूर्ति
सिरमौरी ताल को सिरमौर रियासत की राजधानी के नाम से जाना जाता था माना जाता है कि दंत कथा के मुताबिक ये राजधानी नटनी के श्राप से गर्क हो गई थी, और कुछ दशक पहले तक इस जगह पर अवशेष मिलते रहे हैं।
हाल ही में सिरमौरी ताल के रहने वाले संत राम पुत्र रंगी राम को खेत में बिजाई करते समय भगवान गणेश की एक प्राचीन मूर्ति मिली है। यह मूर्ति मिले हुए दो सप्ताह हो गए हैं लेकिन इसका खुलासा पिछले कल हुआ है।
भगवान गणेश जी की इस पत्थर की मूर्ति को पत्थर पर उकेरा गया है जिसका वजन 2 से 3 किलो के बीच में है मूर्ति मिलने के बाद व्यक्ति ने इस बारे में एक पंडित से संपर्क किया और उस पंडित ने इस मूर्ति को मंदिर में स्थापित करने की सलाह दी जिसके बाद से ही पूरा परिवार मंदिर निर्माण में जुट गया है।
संतराम का कहना है कि यह सिरमौरी ताल यहां पर बहुत से प्राचीन मंदिर रह चुके हैं, और यहां मौजूद प्राचीन मूर्तियों व रियासत के अवशेषों को समय-समय पर अनजान लोग ले जाते रहे हैं, और वह भी अपने स्तर पर भगवान गणेश का मंदिर निर्माण में जुट गए हैं।
संतराम का कहना है कि वैसे तो उसे यह मूर्ति मिले करीब 14 से 15 दिन हो गए हैं यह मूर्ति उसे उस वक्त मिली जब व ट्रैक्टर से खुदाई कर रहा था घर लौटते वक्त मिट्टी में कुछ दबा हुआ प्रतीत हुआ हाथ से मिट्टी हटाकर देखने पर पाया कि उसमें भगवान गणेश जी की मूर्ति दबी हुई थी।
बता दें कि कंवर रणजौर सिंह द्वारा लिखित पुस्तक ‘तारीख-ए-सिरमौर’ के तीसरे अध्याय में नटनी के श्राप को दंत कथा से जोड़ा गया है। माना गया है कि सिरमौर के शासक ने नथनी को धागे पर गिरी नदी पार करने पर आधे रियासत देने का वचन दिया था।
आधा रास्ता तय करने के बाद धागे को काट दिया था तभी नथनी ने गिरते वक्त रियासत को गर्क होने का श्राप दिया था।
अपने इस कथा पर इस बात का जिक्र किया है कि गिरी नदी में बाढ़ की घटना को इस श्राप से जोड़ा गया है। खुद का मानना है कि गिरी नदी में बाढ़ आने के कारण सिरमौरी ताल अवश्य ही नष्ट हुआ होगा क्योंकि यह स्थान गिरी नदी के बहुत पास में स्थित है। सिरमौरी ताल में अभी भी भवनों के पुराने अवशेष मौजूद है जिसका शासक मदनसिंह था।