सिविल अस्पताल पांवटा साहिब को न मिला रेडियोलॉजिस्ट ना सुधरी व्यवस्था, फिर संघर्ष करेगा व्यवस्था परिवर्तन मंच
व्यवस्था परिवर्तन मंच ने एसडीएम को भेजा ज्ञापन….
पांवटा साहिब के सिविल अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन के ना चलने की वजह से आ रही महिलाओं को परेशानी के चलते व्यवस्था परिवर्तन मंच ने एक बार फिर इस आंदोलन को बढ़ाने का फैसला लिया है। के चलते आज व्यवस्था परिवर्तन मंच ने तहसीलदार के माध्यम से एसडीएम को ज्ञापन सौंपा है।
जानकारी देते हुए व्यवस्था परिवर्तन मंच संयोजक सुनील चौधरी ने बताया कि सिविल अस्पताल पांवटा साहिब की हालत इतनी दयनीय है कि यहां पर इलाज के लिए आने वाली गर्भवती महिलाएं जोकि दूरदराज इलाकों से इलाज के लिए इस अस्पताल में आती है तो यहां आकर उन्हें अल्ट्रासाउंड के लिए दूर-दूर जी अस्पतालों में भेज दिया जाता है जहां पर उनसे मनमाने पैसे वसूले जाते हैं जिसे लेकर व्यवस्था परिवर्तन मंच ने कुछ महीनों पहले एक विशाल प्रदर्शन किया था।
अल्ट्रासाउंड मशीन को चलाने हेतु प्रशासन व व्यवस्था परिवर्तन संघ के पदाधिकारियों के मध्य एक समझौता किया गया था, जिसकी प्रति लिपि सलंग्न की गई है तथा उस समझोते को 7 महीने से अधिक का समय हो चुका है परन्तु स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
व्यवस्था परिवर्तन मंच के संयोजक सुनील चौधरी, अधिवक्ता नरेश चौधरी और मयंक ने कहा राजपुरा अस्पताल में किसी भी प्रकार के टेस्ट, ऑपरेशन थिएटर, एक्स-रे इत्यादि की सुविधा उपलब्ध नहीं है।
भवन की हालत भी जर्जर हो चुकी है, जिसमें की बैठना भी खतरे से खाली नहीं है। 30 बेड के इस हॉस्पिटल में केवल मात्र 10 से 12 बेड ही लगे हैं ,जोकि मरीजों के बैठने के लायक भी नहीं हैं। जहां पर दवाइयां स्टोर की गई हैं वो भी दयनीय स्थिति में हैं। बरसात के दिनों में छत से पानी टपकता है जिससे कि दवाइयों को बचा पाना बहुत कठिन है।
स्कूलों, कॉलेजों व महिलाओं को दिए जाने वाले सेनेटरी पैड भी अस्पताल के स्टोरों में पड़े पड़े सड़ चुके हैं जिन पर प्रबंधन का ध्यान नहीं है। मंच ने तहसीलदार से कहा है कि आंजभोज क्षेत्र बने एकमात्र अस्पताल में सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए ताकि लोगों को परेशानी का सामना ना करना पड़े।
इस अस्पताल से संबंधित बनी आवासीय कॉलोनी की हालत भी अत्यंत दुर्लभ है। किसी प्रकार का रखरखाव आज तक नहीं किया गया है। किसी भी प्रकार की 108 एम्बुलेंस की सुविधा भगानी क्षेत्र व राजपुरा अस्पताल में नहीं है।
उन्होंने कहा कि अभी तक सिविल अस्पताल में गर्भवती महिलाओं के निशुल्क अल्ट्रासाउंड शुरु नहीं हो पाए हैं और समझौते के अनुसार किसी अन्य निजी अस्पताल में भी निशुल्क अल्ट्रासाऊंड नही करवाए जा रहें है।
उन्होंने बताया कि जिन निजी अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड के लिए भेजा जा रहा है उनका मापदंड सही नहीं है तथा इस तरह से अस्पताल प्रबंधन मरीजों की जान को जोखिम में डाल रहा है, अतः शीघ्र ही समझोते लागू करे अन्यथा परिणाम अच्छे नही होंगे।
उसके अलावा कुछ अन्य शर्तें ऐसी थी जिन्हें भी नहीं लागू किया गया है जो निम्न प्रकार से हैं।
1. अल्ट्रासाउंड मशीन को जल्द शुरू किया जाए।
2. डॉक्टरों द्वारा महंगी दवाएं गरीब मरीजों को ना लिखी जाए।
3. महंगे टेस्ट बाजार से ना लिखे जाए।
4. अस्पताल में एक पूछताछ कक्ष स्थापित किया जाए।
5.अस्पताल में दवाओं की स्टॉक सूची लगाई जाए।
6. दिव्यांगों के प्रमाण पत्र महीने में 4 दिन बनने चाहिए।
7. निशुल्क दवाइयां अस्पताल में 24 घंटे उपलब्ध होनी चाहिए।
8. सभी संस्थाओं की एंबुलेंस के मोबाइल नंबर अस्पताल परिसर में अंकित किए जाने चाहिए।
9. अस्पताल में जितने भी डॉक्टर्स के रिक्त पद है उनको जल्द से जल्द भरा जाए।
10. स्टाफ समय पर चिकित्सालय पहुंचे व मरीजों से दूर व्यवहार ना करें।
11. धरना स्थल पर बैठे किसी भी व्यक्ति पर किसी भी तरह की कार्यवाही नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि यदि आप अपनी ही बातों से फिसलने का कार्य करते हैं, ऐसे प्रशासनिक अधिकारियों पर आम जन मानस का विश्वास कैसे रह जाएगा ?
पांवटा साहिब व्यवस्था परिवर्तन मंच के समस्त सदस्य आपको आग्रह करते हैं कि जो समझोता हो पक्षो के मध्य हुआ है, उसे शीघ्र लागू करे अन्यथा मंच के समक्ष संघर्ष के इलावा कोई रास्ता शेष नहीं होगा।
इस मौके पर व्यवस्था परिवर्तन मंच के संयोजक सुनील चौधरी, मयंक चौहान, अनिल कुमार, अधिवक्ता नरेश कुमार चौधरी, धर्मपाल, पंकज गुप्ता, अमित कुमार कमलजीत सिंह आदि मौजूद रहे।