सोलन बद्दी और सिरमौर के उद्योगों में राज्य कर एवं आबकारी विभाग की दबिश
जीएसटी चोरी मामलों की जांच शुरू, जानें कितनी हुई रिकवरी
राज्य कर एवं आबकारी विभाग के दक्षिण प्रवर्तन क्षेत्र परवाणू ने मार्च महीने में जीएसटी चोरी के विभिन्न मामलों की जांच शुरू कर दी है। इस दौरान जिला सोलन, बद्दी और सिरमौर स्थित विभिन्न उद्योगों में दबिश दी। जांच के दौरान टीमों ने जीएसटी चोरी से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज अपने कब्जे में लिए। कुछ उद्योगों ने उसी समय जीएसटी सरकारी कोष में जमा करवा दिया।
राज्य कर एवं आबकारी विभाग के दक्षिण प्रवर्तन क्षेत्र परवाणू ने मार्च महीने में जीएसटी चोरी के विभिन्न मामलों की जांच शुरू कर दी है। इस दौरान जिला सोलन, बद्दी और सिरमौर स्थित विभिन्न उद्योगों में दबिश दी।
जांच के दौरान टीमों ने जीएसटी चोरी से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज अपने कब्जे में लिए। कुछ उद्योगों ने उसी समय जीएसटी सरकारी कोष में जमा करवा दिया। इस माह अभी तक ऐसे मामलों में लगभग 1 करोड़ 20 लाख रुपए सरकारी खजाने में जमा हो चुके।
विभाग के संयुक्त आयुक्त जीडी ठाकुर ने बताया कि जीएसटी पोर्टल पर उपलब्ध जानकारी और सूत्रों से मिली जानकारी की विवेचना करने के पश्चात जीएसटी की वसूली के लिए कई टीमों का गठन किया गया। संबंधित उद्योगों में दबिश दी गई।
जांच के दौरान पाया गया कि विभिन्न उद्योगों द्वारा इनपुट टैक्स क्रेडिट को जीएसटी अधिनियम की विभिन्न धाराओं के विरुद्ध उपयोग किया गया।
ठाकुर ने बताया कि उद्योगों ने ऐसे करदाताओं द्वारा जारी किए गए बिलों के आधार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट ले लिया है, जिनके जीएसटी पंजीकरण को संबंधित अधिकारी द्वारा फर्जी होने के कारण पंजीकरण की तिथि से निरस्त कर दिया है।
उन्होंने कहा कि जीएसटी अधिनियम के अनुसार फर्जी सप्लायरों द्वारा जारी किए गए बिलों के आधार पर लिए गए इनपुट टैक्स क्रेडिट को सरकारी कोष में जमा करवाना पड़ता है।
इसी आधार पर विभिन्न उद्योगों पर जीएसटी अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही की गई है। जीडी ठाकुर ने सभी करदाताओं को समय पर जीएसटी जमा करवाने के लिए कहा, ताकि विभाग को उनके विरुद्ध सख्त कदम न उठाने पड़ें।
उन्होंने बताया कि इसी कड़ी में 11 मार्च को एक फार्मा उद्योग ने 68.91 लाख रुपए बतौर जीएसटी सरकारी कोष में जमा करवाए हैं। अन्य उद्योगों ने भी कुछ जीएसटी सरकारी कोष में जमा करवाया है।
कुल मिलाकर 1.26 करोड़ के लगभग जीएसटी सरकारी कोष में जमा हो चुका है। जीडी ठाकुर ने बताया कि इस प्रकार के मामलों में लेड, दवाओं, लोहे, बैटरी, टेक्सटाइल व पैकेजिंग मटेरियल इत्यादि से संबंधित उद्योग संलिप्त पाए गए।
कुल मिलाकर 383.12 करोड़ के फ़र्जी बिलों के आधार पर गलत इनपुट टैक्स क्रेडिट संबंधित उद्योगों द्वारा विभिन्न वर्षों के दौरान लिया गया और सरकार को 86 करोड़ का चुना लग चुका है।
उन्होंने बताया कि सख्ती से पूछताछ करने पर कुछ उद्योगों ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए जीएसटी अधिनियम की धारा 73 के अंतर्गत कुछ पैसा सरकारी कोष में जमा करवाया व बकाया राशि को जमा करवाने के लिए विभाग से मोहलत मांगी है।
जीडी ठाकुर ने कहा कि यदि उद्योगों ने समय रहते बकाया राशि जमा नहीं करवाई तो विभाग द्वारा जीएसटी अधिनियम की धारा 74 के अंतर्गत उनके विरूद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।
कुछ उद्योगों को नोटिस जारी कर भी जानकारी मांगी गई है। जानकारी मिलने के पश्चात संबंधित उद्योगों के विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही कर उनसे जीएसटी की वसूली की जाएगी।
बता दें कि राज्य कर विभाग द्वारा DGGI की तर्ज़ पर पहली बार प्रदेश इतने बड़े स्तर पर कर चोरों के विरुद्ध कार्रवाई की गई।