हिमाचल-उत्तराखंड की सीमा को जोड़ने वाला पुल खस्ताहाल, लामबंद हुई कई सामाजिक संस्थाएं
सरकार को दिया 30 दिन का अल्टीमेटम
हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की सीमा को जोड़ने वाले एकमात्र पुल की खस्ताहाली को देखते हुए कई सामाजिक संस्थाएं लामबंद हो गई है। लिहाजा पांवटा साहिब के गोविंदघाट पुल पर कई संस्थाओं द्वारा रोष प्रदर्शन किया गया।
यमुना पुल की खस्ता हालत और इसके संभावित खतरों को लेकर आईआईटी रुड़की सहित अन्य एजेंसियों की रिपोर्ट्स के दस्तावेज जुटाए जाने पर पता चला है कि सन 2018 में इस पुल की रिपेयर का काम शुरू होना चाहिए था।
सीमाओं को जोड़ने वाला यह पुल ओवरलोडिंग की वजह से पुल खस्ताहाल हो चुका है, जिससे लोगों की जान को खतरा पैदा हो सकता है और शहरवासियों को कभी भी बड़ी परेशानी से जूझना पड़ सकता है।
बात यदि व्यापार की जाए, तो इसकी वजह से दूर दराज क्षेत्रों से आने वाले यात्रियों का आना जाना बंद होने की वजह से पांवटा साहिब व्यापार पर बहुत असर पड़ेगा।
मीडिया से रूबरू होते हुए अनिंद्र सिंह नोटी, अध्यक्ष व्यापार मंडल ने कहा कि हिमाचल और उत्तराखंड की सरकार इस पुल को लेकर अनदेखी बरत रही है। क्या किसी हादसे का इंतजार हो रहा है। यह पता होते हुए कि यदि यह पुल टूट जाता है, तो इसके निर्माण में 7 से 8 साल लग सकते हैं।
उन्होंने कहा कि दोनांे राज्यों को जोड़ने वाला यह पुल पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका है। सुबह 4 बजे से नदी के किनारे अवैध खनन होना शुरू हो जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि इस विषय पर 30 दिन के भीतर कोई कार्रवाई अमल में न लाई गई, तो अनिश्चित काल अनशन किया जाएगा।
इस दौरान एमएस केंथ(सिरमौर उपभोक्ता संगठन), एनडी सरीन(पेंशनर्स एसोसिएशन), टीसी गुप्ता(आरटीआई एक्टिविस्ट फोरम), रविंद्र खुराना (पार्षद), जगदीश चौधरी एकांत गर्ग मनिंदर मनी (क्लीन पांवटा ग्रीन पांवटा), रणजीत फौजी (पूर्व सैनिक), दिनेश शर्मा ,श्यामलाल शर्मा (आज भोज ) चरणजीत जैलदार, गुरजीत नंबरदार, महबूब अली ,इंद्रजीत, अज्जू, संदीप बत्रा मोहन सैनी, विजय कुमार गोयल ,सतवीर सैनी गुरनाम गामा आदि प्रदर्शनकारी शामिल रहे।