हिमाचल के किसानों के लिए बुरी खबर: सरकार ने खरपतवार नाशक दवाओं पर बंद की सब्सिडी! किसानों के लिए बढ़ी मुश्किलें
हिमाचल के किसानों के लिए बुरी खबर: प्रदेश सरकार ने खरपतवार नाशक दवाइयों पर देने वाले अनुदान को रोक दिया है। अब किसानों को इन दवाइयों को पूरे दाम पर खरीदना पड़ेगा। इसके चलते, खेतीबाड़ी अब और भी महंगी हो जाएगी।
हिमाचल के किसानों के लिए बुरी खबर: सरकार ने खरपतवार नाशक दवाओं पर बंद की सब्सिडी! किसानों के लिए बढ़ी मुश्किलें
कृषि विभाग ने कहा है कि अनुदान के लिए बजट उपलब्ध नहीं होने के कारण यह कदम उठाया गया है। बजट उपलब्ध होने पर ही अनुदान दिया जा सकेगा।
महंगाई बढ़ने के साथ-साथ, अब किसानों के लिए खरपतवार नाशक दवाइयों पर अनुदान का भी बंद होना उनकी मुश्किलें बढ़ा देगा। पहले, किसानों को इन दवाइयों पर 50 प्रतिशत अनुदान मिलता था। लेकिन अब इस बार उन्हें यह सुविधा प्राप्त नहीं होगी।
खरपतवार नाशक दवाइयाँ जैसे कि अटराजीन, ब्यूटाक्लोर और कार्बेन्डाजिम, मुख्य रूप से मक्की की खेती के बाद 72 घंटे के भीतर अनावश्यक खरपतवार को नष्ट करने के लिए उपयोग होती हैं, ताकि मक्की की फसल को किसी भी प्रकार की हानि न हो।
खरपतवार नाशक दवाइयों का उपयोग करके, खेतों में अनावश्यक घास नहीं उगती है। प्रदेश के किसान मुख्यतः कृषि विभाग से अनुदान के आधार पर खरपतवार नाशक दवाइयों की खरीदारी करते हैं।
इस बार उन्हें अटराजीन की एक बोतल के लिए 450 रुपये प्रति लीटर, ब्यूटाक्लोर के लिए 570 और कार्बेन्डाजिम के लिए 620 रुपये प्रति बोतल देने होंगे।
“राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना (एनएफएसएम) के तहत बजट की उपलब्धता होने पर ही किसानों को खरपतवार नाशक दवाइयां अनुदान पर मिलेंगी।
वर्तमान में बजट की कमी के कारण किसानों को यह दवाइयां अनुदान के बिना ही बांटी जा रही हैं।” – डॉ. अतुल डोगरा, उपनिदेशक, कृषि विभाग हमीरपुर।