हिमाचल प्रदेश : किसानों के लिए जून की खेती-पशुपालन गाइड! अपनाएं उन्नत तकनीक, पाएं अधिक लाभ
हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर के प्रसार शिक्षा निदेशालय ने जून 2025 के पहले पखवाड़े के लिए मौसम आधारित कृषि और पशुपालन कार्यों की विस्तृत मार्गदर्शिका जारी की है। इसमें उन्नत खेती से जुड़ी तकनीकों को अपनाकर किसानों को अधिक लाभ कमाने की सलाह दी गई है।
धान व मक्का की खेती पर सुझाव
जहां धान की नर्सरी अभी नहीं लगी है, वहां जून के पहले सप्ताह तक बिजाई की जा सकती है। बीज को बैविस्टिन से उपचारित करें। खरपतवार नियंत्रण के लिए रासायनिक छिड़काव समय से करें। श्री विधि से रोपाई कर उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।
मक्की की उपज बढ़ाने के लिए पौधों की उचित दूरी रखें। खरपतवार नियंत्रण हेतु टेम्बोट्रियोन या टोप्रामेजोन+एट्राजीन का छिड़काव करें।
सब्जियों की बुआई का सही समय
निचले व मध्यवर्ती क्षेत्रों में अदरक, हल्दी, अरबी और जिमीकंद की बुआई शुरू की जा सकती है। उन्नत किस्मों का चयन करें और संतुलित खाद का प्रयोग करें। भिंडी, फ्रेंचबीन्स और फूलगोभी की बुआई के लिए भी यह उपयुक्त समय है।
चारे की फसल और संरक्षण उपाय
मक्की और अफ्रीकन टॉल किस्में चारे के लिए उत्तम हैं। चरी व बाजरे के मिश्रण से बेहतर गुणवत्ता वाला चारा प्राप्त किया जा सकता है। बीजाई से पूर्व कीटनाशक रेत में मिलाकर प्रयोग करें।
राजमाश के बीज को उपचारित कर बोएं ताकि बीज जनित रोगों से बचाव हो सके। सब्जियों में कीट नियंत्रण हेतु उचित रसायनों का छिड़काव करें।
पशुपालन में बरतें सावधानी
गर्मी में पशुओं को साफ पानी, नमक मिश्रित चारा दें और उन्हें लू से बचाएं। खुरपका-मुंहपका, गलघोंटू, और बकरी पॉक्स जैसी बीमारियों से बचाव के लिए टीकाकरण कराएं। पशुशाला को स्वच्छ रखें।
मछली पालन की सावधानियां
जून में तालाब में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है। सुबह ताजे पानी का प्रवाह करें। रोग के लक्षण दिखने पर खाद देना बंद करें। बायोगैस स्लरी और वर्मीकम्पोस्ट का संतुलित प्रयोग करें।
सलाह और संपर्क
किसान भाई अपने क्षेत्र की स्थितियों के अनुसार कृषि विज्ञान केंद्र या नजदीकी कृषि अधिकारी से संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए एटिक (01894-230395) से भी संपर्क किया जा सकता है।