हिमाचल प्रदेश : पति के लिए खाना बनाया… और फिर हमेशा के लिए छोड़ गई ये दुनिया
मंडी की सड़कों पर रोज़ की तरह चहल-पहल थी। लेकिन एक घर में, एक पत्नी अपने रोज़ के फ़र्ज़ निभा रही थी—सुधा पुरी। उसने रोज़ की तरह उस दिन भी अपने पति के लिए खाना बनाया, बड़ी ममता से। खाना पैक किया, दुकान पर पहुंचाया… और फिर लौटी, लेकिन शायद इस बार मन भारी था।
सुधा घर लौटी, धीरे से दरवाज़े खोले और किसी को बिना कुछ कहे निकल गई। कोई शोर नहीं, कोई अलविदा नहीं। दोपहर के करीब 1 बजे के आस-पास वह कहीं चली गई। घर के दरवाजे खुले रह गए—जैसे कोई बिना लौटने की तैयारी में निकला हो।
जब पड़ोसियों ने यह देखा, तो अनहोनी का अंदेशा हुआ। पति राकेश को सूचना दी गई। तलाश शुरू हुई। हर गली, हर कोना देखा गया… लेकिन सुधा कहीं नहीं मिली।
शाम होते-होते खबर आई जिसने सब कुछ बदल दिया। मंडी शहर के भ्यूली पुल से एक महिला ने ब्यास नदी में छलांग लगा दी थी। प्रत्यक्षदर्शियों ने उसे बाहर निकाला, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। अस्पताल ले जाया गया, मगर डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया।
वह महिला सुधा थी। वही पत्नी, जिसने चुपचाप अपने जीवन का आखिरी दिन जिया।
कहते हैं, जो बाहर से सामान्य दिखता है, उसके भीतर अक्सर तूफान होता है। सुधा भी उसी तूफान में घिरी थी—पर किसी को भनक तक नहीं लगी।
क्यों किया सुधा ने ऐसा? क्या कोई दर्द था, जो किसी से कह नहीं सकी? क्या जिम्मेदारियों का बोझ बहुत भारी हो गया था?
पुलिस जांच कर रही है, पर सुधा के परिवार के लिए यह सिर्फ एक केस नहीं, जीवनभर का खालीपन है। एक सवाल है जो शायद कभी जवाब न पाएगा—क्या हम अपनों का दर्द वक़्त पर समझ पाते हैं?
सुधा चली गई, लेकिन पीछे छोड़ गई एक खामोश चीख—जिसे अब हर कोई महसूस कर रहा है।