हिमाचल प्रदेश : बांस की कारीगरी से अजय ने बदली जिंदगी, हर महीने कमा रहे 60 हजार
यूट्यूब से सीखा हुनर, महिलाओं को भी दी राह
हिमाचल के अजय ने बांस से बनी वस्तुओं से अपनी जिंदगी संवारी है मेहनत और हुनर से वे हर महीने 50-60 हजार रुपये कमाते हैं उनकी यह कहानी गांव की महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बनी है।
लॉकडाउन में शुरू हुआ सफर
43 साल के अजय ऊना के दगडूं गांव से हैं और होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई के बाद नौकरी करने के बाद 2020 के लॉकडाउन में यूट्यूब से बांस कला सीखी और फिर जागृति बैंबू क्राफ्ट शुरू किया।
पहला कदम और प्रशासन का साथ
उन्होंने तिरंगे का बेस बनाया जिसपर बीडीओ ने उनकी तारीफ की, जिसने उनका हौसला और भी बढ़ा दिया।
उनकी मदद डीसी ऊना और नाबार्ड ने भी की जिसके बाद उन्होंने 25 महिलाओं को ट्रेनिंग दी और विभिन्न मेलों में स्टॉल लगा कर बम्बू से बने उतापादों को बेचा।
मेहनत का फल, बना व्यवसाय
अजय के उत्पादों में ट्रे, फूलदान, लैंप शामिल हैं, और मंडी के शिवरात्रि मेले में 50 हजार का कारोबार किया। बंगाणा में आउटलेट खोला और अब ऑनलाइन बिक्री की तैयारी चल रही है।
महिलाओं को मिला रोजगार
गांव की अंकिता, रजनी जैसी महिलाएं अजय के साथ काम करती हैं। हर महीने 5-6 हजार रुपये कमाती हैं। बांस की कारीगरी उनके लिए आमदनी का साधन बनी है।
पर्यावरण के साथ आत्मनिर्भरता
अजय कहते हैं, बांस आसानी से मिलता है। एक बांस से 30 पेन स्टैंड बनते हैं जिनकी कीमत 30 से 2000 रुपये तक है और यह काम सालभर चलता है।
परिवार और प्रशासन का सहयोग
पत्नी पूजा उनका काम में हाथ बंटाती हैं जिला प्रशासन ने 2 लाख की मशीनरी दी, डीसी जतिन लाल ने इसे प्रेरणादायक बताया। सरकार बांस कारोबार को बढ़ावा दे रही है।
अजय की सफलता हुनर और मेहनत की मिसाल है। यह कहानी न सिर्फ आत्मनिर्भरता की राह दिखाती है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की भी प्रेरणा देती है।