हिमाचल प्रदेश सरकार का बड़ा फैसला! बारोट घाटी में अब मत्स्यपालन हेतु मिलेगी सब्सिडी
हिमाचल प्रदेश में ट्राउट मछली पालन एक नई दिशा में अग्रसर हो रहा है। यह व्यवसाय न केवल मत्स्यपालकों की आय बढ़ा रहा है बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को भी पहले से बेहतर कर रहा हैं।
हिमाचल प्रदेश राज्य सरकार भी लगातार प्रदेश में नई-नई पॉलिसीज लागू कर जहां राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था को बेहतर कर रही है वहीं नई प्रकार की आर्थिक सुविधाओं से कृषकों और मत्स्य पॉयलकों को भी आत्मनिर्भर बना रही है।
हिमाचल प्रदेश राज्य सरकार ने राज्य में ट्राउट मछली पालन को बढ़ाने हेतु नए नई प्रोत्साहन योजनाएं आरंभ कर दी हैं। हिमाचल की भौगोलिक स्थिति ट्राउट मछली के लिए काफी अनुकूल होती है ,ऐसे में यहां के साफ और ठंडे जल स्रोत इस मछली के पनपने के लिए बेहतर वातावरण प्रदान करते हैं। इसी बात का लाभ उठाते हुए अब हिमाचल प्रदेश राज्य सरकार ने ट्राउट मछली पालन हेतु मत्स्यपालकों को सब्सिडी देने का निर्णय कर लिया है।
ट्राउट मछली पालन के लिए 60% सब्सिडी
हिमाचल प्रदेश की जलवायु ट्राउट मछली की विशेष प्रजाति रेनबो और ब्राउन ट्राउट के लिए काफी अनुकूल सिद्ध होती है। बरोट घाटी के अलावा हिमाचल के कुल्लू, चंबा ,किन्नौर और लाहौल स्पीति जिलों में भी ट्राउट मछली पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। आंकड़ों की माने तो यदि सरकार किसानों को 60% तक की सब्सिडी ट्राउट मछली पालन के लिए देती है और किस 50000 से ₹70000 का निवेश करता है तो वह आसानी से 3 से 5 लाख रुपए सालाना कमा सकता है।
ट्राउट मछली कुल 250 ग्राम से 1 किलो तक की होती है और बाजारों में यह मछली ₹400 से ₹1000 किलो की बिकती है। यहां तक कि भारत के साथ-साथ विदेशों में भी ट्राउट मछली की बहुत ज्यादा मांग है। ऐसे में इसी मौके को भुनाते हुए हिमाचल प्रदेश राज्य सरकार यहां के किसानों और मत्स्यपालकों को न केवल प्रशिक्षण प्रदान कर रही है बल्कि उन्हें सब्सिडी और तकनीकी सहायता भी दे रही है।
बारोट घाटी के मत्स्यपालको को मिलेगा प्रशिक्षण और पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
इस सहायता के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश मत्स्य पालन विभाग ,किसानों को ट्राउट मछली को पालने हेतु प्रशिक्षण दे रहा है। जहां मछली को किस तापमान पर रखें? ऑक्सीजन स्तर कैसा हो? भोजन क्या दें? साथ ही बायो फिल्टर, सरकुलेशन सिस्टम और अन्य आधुनिक तकनीक से परिचित कराया जा रहा है। ट्राउट मछली पालन को पर्यटन की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
घाटी अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए काफी मशहूर है यहां आने वाले पर्यटकों को अब साफ पानी के जल स्रोतों से मछली पकड़ने की एक्टिविटी करने का भी मौका दिया जाएगा ताकि पर्यटक फिशिंग जैसी एक्टिविटी का भी मजा ले सके। यह न केवल बारोट घाटी के टूरिज्म में इजाफा करेगी बल्कि इस घाटी के आर्थिक विकास को भी मजबूत बनाएगी।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर यदि सही योजना ,प्रशिक्षण और विपणन की व्यवस्था बनाई गई तो आने वाले कुछ वर्षों में हिमाचल प्रदेश ट्राउट फिशिंग का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन सकता है जिससे ग्रामीण लोगों का जीवन तो बदल ही जाएगा साथ ही हिमाचल का भी विकास सुनिश्चित होगा।