हिमाचल में सुक्खू सरकार का कड़ा फैसला: अब भवन निर्माण के लिए पहले करना होगे ये काम! इस आवश्यक अनुमति के बिना नहीं बना सकेंगे मकान
प्रदेश में अवैध निर्माण के खिलाफ हिमाचल प्रदेश सरकार की सख्ती
परिस्थिति की गंभीरता: हिमाचल प्रदेश की पहाड़ी भूमि की संरचना और जलवायु उसे अन्य प्रदेशों से अलग बनाती है। पर्वतीय भूमि के उपर बिना विचार और योजना के निर्माण कार्य सिर्फ आपदा की ओर इशारा करता है।
हिमाचल में सुक्खू सरकार का कड़ा फैसला: अब भवन निर्माण के लिए पहले करना होगे ये काम! इस आवश्यक अनुमति के बिना नहीं बना सकेंगे मकान
अवैध निर्माण: एक बड़ी समस्या
हिमाचल प्रदेश में जमीन की अधिक मांग और सीमित स्थान के चलते लोग बिना नक्शे के भवन निर्माण में लगे हैं। जहां चार मंजिला भवन का नक्शा पास होता है, वहां पांच या छह मंजिला भवन खड़ा हो जाता है।
जलनिकासी: एक अनदेखी जाती समस्या
नक्शे और योजना के बिना की गई निर्माण कार्य में जलनिकासी का सही तरीका नहीं अपनाया जाता। इससे ज़मीन में पानी जमा होता है, जिससे ज़मीन दलदल में बदल जाती है।
आपदा: सोचने पर मजबूर करनेवाली स्थिति
हाल ही में हिमाचल में भूस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से कई मकान ढह चुके हैं। इसके प्रमुख कारणों में से एक अवैध और अयोजित निर्माण कार्य है।
सरकार ने लिया ये अहम फैसला
इस घातक स्थिति को देखते हुए, हिमाचल प्रदेश सरकार ने निर्माण नियमों को सख्त करने का निर्णय लिया। अब जमीन की जांच के बिना भवन निर्माण की अनुमति नहीं होगी।
आगे की राह: एनजीटी ने पहले ही शिमला प्लानिंग एरिया में ढाई मंजिल से अधिक भवन निर्माण पर रोक लगाई थी। आज की स्थिति में, लोगों को इस फैसले की अहमियत समझ में आ रही है।
यदि हम अवैध और अनियोजित निर्माण से बचना चाहते हैं, तो हमें सही योजना और नक्शे का पालन करना होगा। हिमाचल प्रदेश सरकार की इस सख्ती से उम्मीद है कि भविष्य में अवैध निर्माण की समस्या कम होगी।