

Mutual Fund Rule Update : 2025 में म्युचुअल फंड के 6 नियमों में हुआ बदलाव! निवेशकों को होगा फायदा
2025 Mutual Fund Rule Update : 2025 म्युचुअल फंड निवेशकों के लिए बहुत बड़ा साल साबित हुआ है। इस साल SEBI ने निवेशकों की सुरक्षा, पारदर्शिता और लागत सुरक्षा को देखते हुए कई नियमों में बदलाव किया। यह नई नीति सभी के लिए लागू होगी, फिर वे चाहे SIP निवेशक हो या लम्पसम निवेशक, यह नियम सभी निवेशकों पर सीधा असर डाल रहे हैं।

Mutual Fund Rule Update : 2025 में म्युचुअल फंड के 6 नियमों में हुआ बदलाव! निवेशकों को होगा फायदा
इन नए नियमों का उद्देश्य केवल नीतियां बदलना नही रहा बल्कि निवेशकों को ज्यादा नियंत्रण, कम खर्च और पारदर्शिता प्रदान करना रहा। जैसा कि हम सब जानते हैं, हम सब अब एक नए साल में प्रवेश करने वाले हैं। ऐसे में नए साल को देखते हुए कई सारे नए निवेशक निवेश योजनाएं बनाते हैं। निवेश योजना को बनाने से पहले जरूरी है कि निवेशों के नियम भी पता किये जाएँ।
इसी बात को ध्यान में रखते हुए हम आज आपको वर्ष 2025 में SEBI द्वारा लागू किए गए 6 बड़े नियमों के बारे में बताएंगे ताकि आप भी आने वाले वर्ष में समझ सके की आपका निवेश किस प्रकार काम कर रहा है? कौन से खर्च कट रहे हैं ? और कौन सा निवेश सुरक्षित और किफायती है?

म्युचुअल फंड निवेश के 6 नए बदले हुए नियम
Mutual Fund Lite Framework: 16 मार्च 2025 को SEBI ने म्युचुअल फंड लाइट नाम का एक नया फ्रेमवर्क लागू किया। इस नियम के अंतर्गत इंडेक्स फंड्स, ETF और पैसिव फंड्स ऑफ फंड्स में कुछ कंप्लायंस को ढीला कर दिया ताकि निवेशक पैसिव निवेश सरलता से कर पाएं।


Cut Off टाइमिंग में बदलाव: वे निवेशक जो यूनिट्स रिडेंप्शन करना चाहते हैं उनके लिए 1 जून 2025 से SEBI ने नया नियम लागू किया, जिसमें स्पष्ट कर दिया कि यदि कोई निवेशक रिडेंप्शन के लिए 3:00 PM तक आवेदन करता है तो यूनिट्स के लिए उस दिन बंद हुए NAV लगाए जाएंगे। 3:00 PM के बाद रिडेंप्शन के लिए आवेदन करता है तो अगले व्यावसायिक दिन का NAV लागू होगा।

Passive Breaches Rebalancing नियम : कई बार मार्केट की गति या कंपनी के मूल्य में अचानक से बदलाव की वजह से फंड ऐसेट एलोकेशन की सीमा तय सीमा से बाहर हो जाती है। यह पूरी तरह से मार्केट पर निर्भर करता है, इसमें फंड मैनेजर की कोई गलती नहीं होती। ऐसे में SEBI ने निर्णय लिया है कि अब ऐसे मामलों में फंड कंपनियां तय अवधि में पोर्टफोलियो को रिबैलेंसिंग करेंगी ताकि निवेशकों के लिए जोखिम ना बड़े।
एक्जिट लोड की सीमा हुई कम: 2025 में SEBI ने निवेशकों को एक और महत्वपूर्ण सुविधा प्रदान की जिसमें फंड निकालते समय एग्जिट लोड को 3% कर दिया है जो कि पहले 5% तक था जिसकी वजह से निवेशकों को काफी लाभ मिल रहा है।
Liquid जमा निवेश की अनुमति: इस नियम के अंतर्गत SEBI ने इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स और रिसर्च एनालिस्ट को बैंक में मैंडेटरी डिपॉजिट जमा रखने की बजाय लिक्विड या ओवरनाइट म्युचुअल फंड में पैसा जमा रखने की अनुमति दी है जो फंड को पहले से ज्यादा सुरक्षा प्रदान करते हैं।
REIT in Equity: हाल ही में SEBI ने रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट को लेकर भी रीक्लासिफिकेशन का नियम लागू किया है। मतलब अब यदि कोई निवेशक रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट करता है तो वह सीधे रूप से इक्विटी रिलेटेड इन्वेस्टमेंट माना जाएगा। यह नियम 1 जनवरी 2026 से लागू होगा। अन्य फंड हाउस को धीरे-धीरे रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट के पुराने विथहोल्डिंग्स को इक्विटी में ट्रांसफर करने का भरपूर समय दिया जाएगा।
एक्सपेंस रेशों को कम करने की पहल: सेबी ने हाल ही में एक नया प्रस्ताव भी पारित करने का विचार किया है जिसमें ओपन एंडेड स्कीम्स की TER 0.15% , क्लोज एंड स्कीम की TER 0. 25% और इंडेक्स फंड्स और ETF की TER को 1% से 0.85% तक लाने की बात कही है। साथ ही ब्रोकरेज और ट्रांजैक्शन कॉस्ट जो TER में पहले से छुपे होते थे उन्हें अलग से दिखाने का सुझाव दिया है।

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