BDC Full Form In Hindi | बीडीसी चुनाव पूरी जानकारी
इस आर्टिकल BDC Full Form In Hindi | बीडीसी चुनाव पूरी जानकारी में जानेंगे कि BDC की फुल फॉर्म क्या है ? BDC चुनाव के लिए योग्यता ? चुनाव प्रक्रिया पूरी जानकारी ?
नमस्कार दोस्तों, आप सभी का स्वागत है, आज के समय मे राजनीति में कौन नही जाना चाहता है, या फिर राजनीति के बारे में कौन नही जानता है, वर्तमान समय मे आपने चुनाव के बारे में सुना होगा, भारत मे चुनाव दो संस्थान द्वारा कराया जाता है, पहला है केंद्रीय चुनाव आयोग (CEC) व दुसरा है राज्य चुनाव आयोग (SEC)।
आज हम इस पोस्ट के माध्यम से बीडीएस व डीडीसी चुनाव के बारे में बात करेंगे। बीडीएस क्या होता है, डीडीएस क्या होता है, बीडीएस का फुल फॉर्म, डीडीएस का फुल फॉर्म, डीडीएस व बीडीएस चुनाव के लिए योग्यता, व चुनाव प्रक्रिया क्या है, आदि के बारे में बात करेंगे।
CEC भारत मे 6 तरह के चुनाव कराता है राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा व विधानपरिषद का चुनाव कराता है, वही SEC 2 तरह के चुनाव कराता है शहरी निकाय चुनाव व ग्रामीण निकाय चुनाव। आज हम इस पोस्ट के माध्यम से ग्रामीण निकाय चुनाव के बारे में जानेगे की आखिर यह क्या होता है, व विस्तार से बात करेंगे, तो चलिए BDC के बारे में विस्तार से जानते है।
बीडीसी का फुल फॉर्म | बीडीएस का फुल फॉर्म in english
बीडीएस का फुल फॉर्म “Block Development Council” होता है इसे हिंदी में “ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल” कहते है। इसके साथ साथ इसे “ब्लॉक डेवलपमेंट कमेटी” भी कहा जाता है, तथा हिंदी में जनपद पंचायत सदस्य भी कहते है, इसका शार्ट फॉर्म बीडीसी (BDC) सबसे ज्यादा प्रचलित शब्द है, बहुत जगहों पर इसे “प्रखंड विकास समिति” भी कहा जाता है, इसके अलावा बिजनेस के क्षेत्र में भी, यह काफी फेमस शब्द है, इस क्षेत्र में इसे “Bussiness Development Company” भी कहा जाता है।
बीडीसी का फुल फॉर्म in hindi
बीडीएस का फुल फॉर्म block development council होता है जिसे हिंदी में जनपद पंचायत सदस्य या फिर प्रखंड समिति सदस्य कहते है।
DDC का फुल फॉर्म in hindi
DDC का फुल फॉर्म District Development Council होता है जिसे हिंदी में जिला पंचायत सदस्य कहते है या फिर इसे जिला विकास समिति के नाम से भी जानते है।
BDC व DDC निर्वाचन क्षेत्र में विभाजन :
BDC व DDC के चुनाव के लिए निर्वाचन क्षेत्र होता है जिसे वार्ड कहते है, जिसे जनपद पंचायत क्षेत्र क्रमांक (Number) व जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक (Number) के नाम से जानते है, निर्वाचन क्षेत्र का विभाजन राज्य सरकार करता है, व एक जनपद पंचायत में यदि 50,000 मतदाता से कम जनसंख्या है तब 10 वार्ड होंगे व 50 हजार मतदाता से अधिक है तब उस क्षेत्र में 25 निर्वाचन क्षेत्र हो सकता है।
जिला पंचायत में यदि 5 लाख से कम मतदाता है तब 10 जिला पंचायत क्षेत्र होगा व यदि इससे ज्यादा है तब 35 निर्वाचन क्षेत्र हो सकता है। जनपद पंचायत में 1 प्रतिनिधि, 1 सदस्य जिसे BDC कहते है, इसकी संख्या 10 से 25 सदस्य हो सकता है, वही जिला पंचायत में 1 प्रतिनिधि, 1 सदस्य व 10 से 35 सदस्य हो सकते है इसे DDC कहते है।
BDC व DDC की संरचना :
जनपद पंचायत में 1 जनपद अध्यक्ष, 1 जनपद उपाध्यक्ष व 10 से 25 BDC सदस्य होते है व 2 दिव्यांग (अलग अलग राज्य में अलग अलग) मनोनीत करते है, जनपद पंचायत में 1 विधायक जिसका निर्वाचन क्षेत्र आता हो व 1/5 सरपंच चक्रीय क्रम में जनपद पंचायत का पदेन सदस्य होते है।
जिला पंचायत में 1 जिला पंचायत अध्यक्ष, 1 जिला उपाध्यक्ष उपाध्यक्ष व 10 से 35 DDC सदस्य होते है व 2 दिव्यांग (अलग अलग राज्य में अलग अलग) मनोनीत करते है, जिला पंचायत में विधायक, लोकसभा सांसद, व राज्य सभा सांसद जिसका निर्वाचन क्षेत्र आता हो व जनपद अध्यक्ष पदेन सदस्य होता है।
पंचायत में पदाधिकारियों का निर्वाचन :
जनपद पंचायत व जिला पंचायत सदस्यों के लिए चुनाव होता है, जिसमें BDS व DDS सदस्यों का प्रत्यक्ष चुनाव होता है, वही अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव होता है, जितने BDS व DDS सदस्य चुनकर आते है उसमें से ही एक अध्यक्ष व 1 उपाध्यक्ष, जनपद पंचायत व जिला पंचायत दोनों के लिए चुना जाता है।
जनपद पंचायत में SDO (Revenue) / SDM व जिला पंचायत में District Magistrate चुनाव के पश्चात अध्यक्ष व उपाध्यक्ष चुनने के लिए सदस्यों का बैठक बुलाता है इसके बाद नव निर्वाचित सदस्यों की सूची जारी किया जाता है जिसे निर्वाचन की अधिसूचना कहते है जनपद पंचायत व जिला पंचायत दोनों का अधिसूचना कलेक्टर निकालता है।
BDC व DDC के कार्यकाल :
BDC व DDC सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है, चुनाव नही होने के स्थिति में 6 महीने के लिए कार्य आगे बढ़ सकता है। पंचायत के प्रथम बैठक के बाद से कार्यकाल की गणना किया जाता है।
पंचायत के पदधारियों को इन चीजें के माध्यम से अपना त्याग पत्र देना होता है जैसे अविश्वास प्रस्ताव, स्वेच्छिक त्याग पत्र, सस्पेंस, व सीधे निकाला जा सकता है।
BDC व DDC सदस्य बनने के लिए योग्यता :
BDC व DDC सदस्य बनने के लिए किसी भी व्यक्ति को तीन तरह से योग्य होना चाहिए जो कि निम्न है-
1. कानून से सम्बंधित योग्यता –
• सिविल संरक्षण अधिनियम 1955 एवं नारकोटिक्स अधिनियम के तहत दोष सिद्ध न हो।
• किसी अन्य अपराध में 6 महीने से ज्यादा समय के लिए जेल हुआ रहता है तब आप चुनाव नही लड़ सकते 5 वर्ष तक।
• राज्य मंडल आयोग द्वारा निर्मित कानून के विरुद्ध न हो।
2. व्यक्तिगत योग्यता :
• आपका उम्र 21 वर्ष या इससे अधिक होना चाहिए।
• सक्षम न्यायालय द्वारा दिवालिया घोषित न किया गया हो।
• विकृतचित न हो।
• मानसिक स्वस्थ ठीक हो।
3. पंचायत से सम्बंधित :
• आप किसी लाभ के पद पर न हो।
• आप सार्वजनिक उपक्रम में कार्यरत न हो।
• पंचायत की संविदा में आपका किसी तरह का पैसे या अंस न लगा हो।
BDC व DDC का चुनाव कौन कराता है :
BDC व DDC का चुनाव राज्य निर्वाचन आयोग कराता है, इसका एक अध्यक्ष होता है। राज्य निर्वाचन आयोग की निगरानी केंद्रीय निर्वाचन आयोग द्वारा चीफ एलेक्टरोराल ऑफिसर (CEO) कि नियुक्ति किया जाता है जो कि राज्य चुनाव का विवरण केंद्र को देती है। पंचायत चुनाव का विवरण भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 (K) से 243 ( Z-a) में दिया गया है।
बीडीसी व डीडीसी चुनाव प्रक्रिया
बीडीसी (BDC) व डीडीसी चुनाव के लिए साधारण चुनाव प्रक्रिया होती है, जो की राज्य सरकार के राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा करवाई जाता है, इसका चुनाव बैलेट पेपर के माध्यम से होता है, इस प्रक्रिया में ग्राम सभा की मतदाता सीधे रूप से भाग लेता है व BDC व DDC के लिए मतदान करता है, इसके लिए एक वार्ड या निर्वाचन क्षेत्र निश्चित होता है, उसी के अंतर्गत आने वाले वोटर्स ही इसमें भाग ले सकते है, एक ग्राम पंचायत में एक से अधिक बीडीसी या डीडीसी सदस्य हो सकते है, पंचायत चुनाव में जनपद के लिए जीतते है उस उम्मीदवार को बीडीसी (BDC) कहते है व जिला पंचायत के लिए जो जीतता है उसे DDC कहते है।
जिला विकास परिषद (DDC) क्या होता है
भारत के अधिकतर राज्यों में डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट बोर्ड (DDB) होता है, किंतु केंद्र शासित प्रदेशों, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ व कुछ राज्यों में जिला विकास परिषद (DDC) होता है। विभिन्न राज्य के पंचायती राज कानून के तहत किस केंद्र शासित प्रदेश व राज्यो में डीडीसी का गठन किया गया है, एवं डीडीसी में नगर पालिका एवं नगर पंचायत को शामिल नहीं किया जाता है। DDC का चुनाव जनता स्वंय करती है व इसका चुनाव BDC के साथ ही होता है, डीडीसी से जो प्रत्याशी चुनकर आता है उनमें से 1 सदस्य अध्यक्ष व 1 सदस्य उपाध्यक्ष जिला पंचायत का बनता है।
जनपद पंचायत सदस्य क्या है :
जनपद पंचायत सदस्य को हम शार्ट में BDC कहते है, इसका चुनाव ग्रामीण चुनाव के अंतर्गत पंचायती राज अधिनियम के तहत होता है, अलग अलग राज्य में जनपद पंचायत सदस्य को अलग अलग नाम से जानते है, इसका कार्य क्षेत्र ब्लॉक के अंदर होता है, ब्लॉक के विकास व उन्नित में इनका योगदान होता है। BDC सदस्य को ही जनपद पंचायत सदस्य कहते है, व जनपद पंचायत का एक 1 अध्यक्ष व 1 उपाध्यक्ष होता है जो कि BDC election जीत कर आया रहता है उसमें से ही चुना जाता है।
बीडीसी चुनाव हेतु आवश्यक दस्तावेज
• आधार कार्ड होना चाहिए
• वोटर आईडी कार्ड होना आवश्यक है।
• राशन कार्ड होना जरूरी नही है।
• जाति प्रमाण पत्र
• चरित्र प्रमाण पत्र
• स्व-प्रमाणित शपथ पत्र
• मोबाइल नम्बर
• ईमेल आईडी
• एक्टिव बैंक पासबुक होना जरूरी है।
बीडीसी व डीडीसी के अधिकार
• BDC व DDC को प्रत्येक वर्ष एक जिला परिषद सदस्य को दस लाख रुपये से अधिक के विकास कार्य क्रियान्वित करवाने का अधिकार प्रदान किया जाता है, ताकि जनपद व जिला पंचायत क्षेत्र का विकास हो सके।
• BDC व DDC को 13 वें वित्तायोग में जिला परिषदों को 50 फीसद, बीडीसी को 30 एवं पंचायतों को 20 फीसद धनराशि प्रदान की जाती है।
• बीडीसी पहले केंद्र से मिलने वाली सहायता से दस लाख से 15 लाख रुपये अपने क्षेत्रों के विकास कार्यों पर खर्च करने का अधिकार रखता है।
• इसके बाद 2012 में बीडीसी की वित्तीय शक्तियां बंद कर दी गई थी जैसे- सड़क निर्माण, श्मशानघाट, महिला व युवक मंडल भवन निर्माण, सराय के साथ-साथ डेढ़ दर्जन कार्यों के लिए बीडीसी पैसा दे सकते थे।
• बीडीसी को प्रदान किया जाने वाला बजट 14वें वित्तायोग ने बंद कर दिया था।
BDC व DDC का वेतन :
BDC व DDC का वेतन राज्य सरकार द्वारा निर्धारित मासिक वेतन के अनुसार मिलता है। BDC व DDC को किसी तरह का यात्रा भत्ता, फोन बिल्स व खाने का पैसे नही मिलता है। BDC व DDC का अनुमानित वेतन महीने का 5 हजार रुपये के करीब होता है।
BDC व DDC के कार्य :
BDC (बीडीसी) अपने ब्लॉक स्तर से आये विकास कार्य योजनाओं व DDC जिला पंचायत से आये कार्य योजनाओं को से अपने निर्वाचन क्षेत्र में खडंजा, मिट्टी भराई, सुंदरीकरण, नाली बनवाने, सफाई, रोड व अन्य काम इत्यादि का कार्य कराते है। DDC व BDC का कार्य अपने क्षेत्र का विकास करना होता है ताकि उसका क्षेत्र आसानी से ग्रो कर सके।
DDC व BDC का चुनाव कैसे होता है :
DDC व BDC का चुनाव एक साथ होता है, इनका चुनाव पंचायती राज अधिनियम 1955 के तहत व 1992 में संविधान 73rd संसोधन के तहत होता है। BDC व DDC का चुनाव एक साथ होता है व इसका चुनाव कलेक्टर के निगरानी में होता है, मतदान केंद्र में पीठासीन अधिकारी होता है, व कलेक्टर रिटर्निंग अधिकारी होता है जो कि चुनाव से सम्बंधित सभी काम को देख करता है व राज्य निर्वाचन आयोग को सूचित करता है।
BDC व DDC का चुनाव होता है उससे पहले अधिसूचना आता है व उसमे फॉर्म भरने की तिथि, फॉर्म जमा करने का समय, नाम वापस लेने का समय, व चुनाव से सम्बंधित सभी जानकारी का अधिसूचना जारी करता है व इसका क्रियान्वयन कलेक्टर के माध्यम से होता है।
DDC Election means :
DDC election का अर्थ है जिला विकास समिति के लिए चुनाव करना है, DDC का चुनाव 5 साल में एक बार होता है, व DDC मेम्बर का काम जिला पंचायत क्षेत्र में विकास से सम्बंधित कार्य को देखना है, DDC का कार्यकाल मे ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए अनेक योजनाएं जनता के हित के लिए आता है उसका क्रियान्वयन कराने का काम डीडीसी का होता है। पंचायत में अनेक समितियां होती है जिसका सभापति, उपसभापति, व सदस्य DDC सदस्य होते है।
Frequently Asked Questions :
1. BDC का Full Form क्या है ?
Ans- BDC का फ़ुल फॉर्म Block Development Council है।
2. बीडीसी का हिंदी फुल फ़ॉर्म क्या होता है ?
Ans- बीडीसी का फुल फॉम block डेवल्पमेंट काउंसिल होता है जिसे हिंदी में प्रखंड विकास समिति कहते हैं।
3. BDC Ka Full Form Kya hai in English ?
Ans- Block Development Council is the Full Form of BDC.
4. BDC Full Form in Hindi ?
Ans- BDC का फुल फॉर्म प्रखंड विकास समिति होता है।
5. DDC का फुल फॉर्म क्या है ?
Ans- DDC का फुल फॉर्म District Development Council होता हैं।
6. DDC का फुल फॉर्म हिंदी में ?
Ans- DDC को हिंदी में जिला विकास समिति कहते है जिसे जिला पंचायत सदस्य भी कहते है।
7. BDC व DDC का चुनाव कौन कराता है ?
Ans- BDC व DDC का चुनाव राज्य निर्वाचन आयोग कराता है।