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Himachal Latest News: हिमाचल के भुपिंद्र दुग्ध उत्पादन से हर माह कमा रहे एक लाख रुपए

Himachal Latest News: हिमाचल के भुपिंद्र दुग्ध उत्पादन से हर माह कमा रहे एक लाख रुपए

Himachal Latest News: हिमाचल के भुपिंद्र दुग्ध उत्पादन से हर माह कमा रहे एक लाख रुपए

Himachal Latest News: हिमाचल के भुपिंद्र दुग्ध उत्पादन से हर माह कमा रहे एक लाख रुपए

Himachal Latest News: पशुपालन विभाग द्वारा चलाए जा रहे त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम (एक्सेलरेटेड ब्रीड इम्प्रूवमेंट प्रोग्राम) के अंतर्गत लिंग वर्गीकृत वीर्य (सेक्स-सार्टेड सीमेन) तकनीक के माध्यम से कृत्रिम गर्भाधान के क्षेत्र में सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। इससे बछियों की जन्म दर बढ़ने से दुग्ध उत्पादकों को लाभ सुनिश्चित हो रहा है।

Himachal Latest News: हिमाचल के भुपिंद्र दुग्ध उत्पादन से हर माह कमा रहे एक लाख रुपए

वर्तमान में देश व प्रदेश में बछड़ों व बैलों की संख्या बढ़ रही है, जबकि खेतों में उनके उपयोग की आवश्यकता न्यूनतम रह गई है। इससे यह पशु अनुपयोगी होकर सड़कों पर बेसहारा घूमते हैं, जो दुर्घटनाओं का कारण भी बनते हैं। ऐसे में मादा पशुओं की संख्या में वृद्धि होने से इन बेसहारा गायों को आश्रय भी मिल सकेगा। इसके लिए पशुपालन विभाग लिंग वर्गीकृत वीर्य तकनीक का उपयोग कर बछड़ों की तुलना में बछियों की जन्म दर बढ़ाने के प्रयास कर रहा है।

नस्ल सुधार और दुग्ध उत्पादन को मिल रही नई दिशा
मंडी जिले के सरकाघाट के उपमण्डलीय पशु चिकित्सालय सरकाघाट के प्रभारी चिकित्सक डॉ. राजिन्दर सिंह जस्वाल ने बताया कि इस तकनीक के अंतर्गत वीर्य से “वाई” क्रोमोसोम को अलग कर केवल “एक्स-एक्स” क्रोमोसोम का उपयोग किया जाता है, जिससे बछिया पैदा होने की संभावनाएं 90 से 95 प्रतिशत तक होती है।

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इस तकनीक के विस्तार से उन्नत नस्ल की बछियों की संख्या बढ़ रही है, जिससे दुग्ध उत्पादन में भी वृद्धि हो रही है। कार्यक्रम के अंतर्गत मात्र 250 रूपये में दो टीके उपलब्ध करवाए जाते हैं। यदि पहले टीके से गर्भधारण नहीं हो पाता है तो दूसरा टीका निःशुल्क लगाया जाता है।

यदि दोनों टीकों के बाद भी बछिया न पैदा हो और दोनों बार बछड़ा ही हो, तो 250 रूपये की राशि वापस कर दी जाती है। यदि दूसरे टीके के बाद बछड़ा पैदा हो, तो 125 रूपये यानी 50% राशि वापस की जाती है। उपमण्डलीय पशु चिकित्सालय सरकाघाट में जर्सी, होल्सटीन, साहिवाल और गिर नस्ल की गायों के लिए लिंग वर्गीकृत वीर्य उपलब्ध है। अब तक यहां 603 गायों को यह टीका लगाया जा चुका है।

पशुपालक उठा रहे समुचित लाभ
सरकाघाट उपमंडल के गांव अल्याणा डाकघर रोपड़ी के भुपिन्दर सिंह ने बताया कि वे 22 गायों का पालन करते हैं। उन्होंने पशु चिकित्सालय सरकाघाट से अपनी 8 गायों को यह टीका लगवाया था। इनमें से 6 ने बछियों को जन्म दिया, जबकि एक गाय ने बछड़े को जन्म दिया। भुपिन्दर ने बताया कि उन्होंने अप्रैल, 2023 से इस क्षेत्र में कार्य शुरू किया।

इसके लिए उन्होंने राजस्थान से 5 साहिवाल नस्ल की गायें खरीदी थीं। इसके बाद जैसे-जैसे कार्य ने गति पकड़ी तो जरूरत के अनुसार फिर हरियाणा से साहिवाल क्रॉस नस्ल, जबकि गुजरात से गिर साहिवाल नस्ल की गाय खरीदी। वर्तमान में उनकी 10 गायों को यह टीका लगाया गया है, जिनमें से 6 गर्भवती हो चुकी हैं और 4 के गर्भधारण की पुष्टि शेष है।

उन्होंने कहा कि आज के समय में खेती में बैलों का प्रयोग न के बराबर रह गया है और अधिकतर लोग ट्रैक्टर तथा अन्य मशीनों का उपयोग कर रहे हैं। ऐसे में बछड़ों को लोग कई बार बेसहारा छोड़ देते हैं। इसके विपरीत यह तकनीक पशुपालकों को न केवल आर्थिक रूप से सशक्त बना रही है, बल्कि निराश्रित पशुओं की समस्या का भी समाधान कर रही है। उन्होंने इस लाभकारी योजना के लिए प्रदेश सरकार व मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू का आभार व्यक्त किया और सभी पशुपालकों से योजना का लाभ उठाने की अपील की।

दुग्ध उत्पादन से हो रही अच्छी आमदनी
भुपिन्दर ने बताया कि उनकी गायों से प्रतिदिन 100 किलो से अधिक दूध का उत्पादन होता है। उनके पास गिर, साहिवाल, साहिवाल क्रॉस और जर्सी क्रॉस नस्ल की गायें हैं। वह दूध सरकाघाट के स्थानीय बाजार में विक्रय करते हैं, जिससे उन्हें प्रतिमाह एक लाख रूपये से अधिक की आमदनी हो रही है। अपने फार्म पर उन्होंने एक व्यक्ति को रोजगार भी प्रदान किया है। उन्हें पशुपालन विभाग से निरंतर सहायता मिलती रही है।

विभाग की सेवाओं से पशुपालक हो रहे लाभान्वित
पशु चिकित्सक डॉ. राजिन्दर सिंह जस्वाल ने जानकारी दी कि विभाग द्वारा फार्म पर नियमित रूप से ऋतु-संबंधी टीकाकरण, पशुओं की स्वास्थ्य जांच, डी-वॉर्मिंग (कृमिनाशन), बीमारियों की रोकथाम, नैदानिक जांच, उपचार और आवश्यकतानुसार कृत्रिम गर्भाधान/वीर्यसेचन की सेवाएं उपलब्ध करवाई जाती हैं। इससे पशुओं का स्वास्थ्य बेहतर बना रहता है और उत्पादन क्षमता में भी वृद्धि होती है।

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Written by News Ghat

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