Cryptocurrency : क्या होते है स्टेबलकॉइन ?
ये दूसरी क्रिप्टोकरेंसी से कैसे हैं अलग, पढ़ें पूरी जानकारी…
आज के समय मे क्रिप्टोकरेंसी को उसके उतार-चढ़ाव के लिए हम सब जानते है, और इसका मतलब यह है कि क्वॉइन्स की कीमतें कभी भी बढ़ सकता है और कभी भी गिर सकता हैं, एवं इससे निवेशकों के लिए किसी एक क्वॉइन को चुनना बेहद मुश्किल हो जाता है, पर वर्तमान समय मे स्टेबलक्वॉइन इस मुश्किल का एक मात्र समाधान है।
वर्तमान दौर की बात करे तब क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) पिछले कुछ समय में लोगों के बीच निवेश का काफी लोकप्रिय विकल्प बनकर सामने आया है, तथा लोग बड़ी संख्या में खासतौर पर युवा क्रिप्टोकरेंसी में अपना पैसा लगातर निवेश कर रहे है।
लेकिन क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने से पूर्व क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी कुछ अहम बातों के बारे में जान लेना जरूरी हो जाता है और इनमें से एक स्टेबलक्वॉइन (stablecoin) है, जिसे समझ लेना चाहिए, तथा क्रिप्टोकरेंसी को उसके उतार-चढ़ाव के लिए जाना जाता है व इसका अर्थ यह है कि क्वॉइन्स की कीमतें कभी भी बढ़ तथा कभी भी गिर सकता है, इससे निवेशकों के लिए किसी क्वॉइन को चुनना बेहद मुश्किल हो जाता है। आइए इसके बारे में डिटेल में समझते हैं।
स्टेबलक्वॉइन्स क्या हैं ?
स्टेबलक्वॉइन्स एक डिजिटल करेंसी होता है, जिन्हें एसेट्स जैसे fiat करेंसी, या फिर किसी दूसरी क्रिप्टोकरेंसी या सोने का समर्थन प्राप्त होता है, और स्टेबल एसेट्स की मदद से इन क्वॉइन्स में ज्यादा उथल-पुथल नहीं होता है व इनकी कीमतें काफी स्थिर रहता है और कुछ स्टेबलक्वॉइन अपनी वैल्यू को तुलनात्मक तौर पर स्थिर रखने के लिए कंप्यूटर एलगोरिदम का उपयोग किया जाता है, तथा यह शुरुआती क्रिप्टो निवेशकों की जरूरत का नतीजा है, और जिन्हें बेहद उतल-पुथल का सामना करना पड़ा। इस तरह से स्टेबलकॉइन होता है।
स्टेबलक्वॉइन्स कैसे काम करते हैं ?
स्टेबलक्वॉइन्स का लाभ यह है कि इन्हें इस तरह बनाया जाता है कि इस पर किसी दूसरी क्रिप्टोकरेंसी के तरह उतार-चढ़ाव का असर न हो, तथा इसके अलावा यह हमेशा मोबिलिटी ऑफर करता है और यह दूसरे क्रिप्टोकरेंसी के मुकाबले ज्यादा स्थिर क्रिप्टोकरेंसी है, तथा यह डिसेंट्रलाइज्ड होता है, इसका अर्थ यह है कि यह किसी सेंट्रलाइज्ड सिस्टम या एजेंसी से नहीं जुड़े हुआ रहता है और इससे इन्हें स्वतंत्रता मिला होता है।
आज के समय मे निवेशकों के बीच स्टेबलक्वॉइन्स के लोकप्रिय होने के कुछ दूसरे कारण भी आमतौर में देखा जाता है, तथा इससे पैसे को ज्यादा तेजी के साथ ट्रांसफर किया जा सकता है, और इसके साथ वित्तीय डेटा की प्राइवेसी भी प्राप्त होता है, और इसके अलावा स्टेबक्वॉइन्स की मदद से यूजर्स फाइनेंशियल सर्विस फीस से भी बच सकते हैं।
आज के समय मे कई तरीकों से, स्टेबलक्वॉइन्स दूसरे क्रिप्टोकरेंसी में निवेश से बिल्कुल अलग होता हैं, तथा इन्हें इस तरीके से डिजाइन किया जाता है, कि जिससे इनकी वैल्यू में गिरावट कभी न आये, एवं इसका अर्थ यह है कि जहां इनकी वैल्यू में गिरावट नहीं आता है वहीं, इसके साथ वैल्यू में बढ़ोतरी भी नहीं होता है तथा इसे USD क्वॉइन की बिटक्वॉइन से तुलना करके समझा जा सकता है और इसकी शुरुआत से, USD क्वॉइन 1 डॉलर की वैल्यू से ज्यादा नहीं हटा है, वही दूसरी तरफ, बिटक्वॉइन की वैल्यू 2019 में 4,000 डॉलर था जो कि मई 2021 तक 60,000 डॉलर तक पहुँच गया था।
आज के समय मे स्टेबक्वॉइन्स को डिजिटल कैश के एक तरीके के तौर पर भी देखा जा सकता है, लेकिन हम बात करे स्थिरता की तब तब यह इसके साथ क्रिप्टोकरेंसी ही है, और इसलिए, यह एक नई चीज ही है, जिसमें कई ऐसे जोखिम हो सकते हैं, पर इसके बारे में लोगों को अधिक जानकारी नहीं है।