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Economics in Hindi | Micro Economics in hindi | Economic meaning in hindi

Economics in Hindi | Micro Economics in hindi | Economic meaning in hindi
Economics in Hindi | Micro Economics in hindi | Economic meaning in hindi

Economics in Hindi | Micro Economics in hindi | Economic meaning in hindi

नमस्कार दोस्तों, आप सभी का स्वागत है। आज के समय में यदि आप किसी भी लेनदेन की बात करते है बिजनेस की बात करते है, GDP GST आदि की बात करते है यह सब अर्थशास्त्र के अंदर आता है।

BKD School
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आज के समय में अर्थशास्त्र में अनेक तरह की वर्ड्स का उपयोग किया जाता है प्रॉफिट और लॉस को अलग अलग एंगल से नापा जाता है। ऐसे में इकॉनमॉक्स में अनेक तरह के कॉन्सेप्ट है, जिसे हम डेली लाइफ में डील करते है।

आज हम इस पोस्ट के माध्यम से आपको आसान शब्द में इकॉनमिक्स के बारे में विस्तार से जानकारी देने जा रहे है, ऐसे में आप इस पोस्ट को अंत तक ध्यान से पढ़े, चलिए हम विस्तार में इकोनॉमिक्स के बारे में जानते है।

Economics क्या है :

सामान्य शब्द में देखे तब अर्थशास्त्र सामाजिक विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अन्तर्गत वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन, वितरण, विनिमय एवम् उपभोग का अध्ययन किया जाता है।

‘अर्थशास्त्र’ शब्द संस्कृत शब्दों अर्थ (धन) तथा शास्त्र की संधि से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है कि ‘धन का अध्ययन’, और किसी विषय के संबंध में मनुष्यों के कार्यो के कंटिन्यू ज्ञान को उस विषय का शास्त्र कहते हैं।

इसलिए अर्थशास्त्र में मनुष्यों के अर्थसंबंधी कार्यों का क्रमबद्ध ज्ञान होना आवश्यक है, इसमें डेली लाइफ में डील होता है पैसे का लेनदेन को मापा और तौला जाता है।

वर्तमान समय में अर्थशास्त्र का प्रयोग यह समझने के लिये भी किया जाता है कि अर्थव्यवस्था वास्तव में किस तरह से काम करता है और समाज और विभिन्न वर्गों में आज के समय में आर्थिक सम्बन्ध कैसा है ?

आज के समय में अर्थशास्त्रीय विवेचना का प्रयोग समाज से सम्बन्धित विभिन्न क्षेत्रों में किया जा रहा है जैसे अपराध, शिक्षा, परिवार, शादी, धर्म, स्वास्थ्य, कानून, राजनीति, सामाजिक संस्थान तथा युद्ध आदि में अर्थशास्त्र को नापा जाता है।

प्रो. सैम्यूलसन ने कहा था कि “अर्थशास्त्र कला समूह में प्राचीनतम और विज्ञान समूह में नवीनतम वस्तुतः सभी सामाजिक विज्ञानों की रानी है।” इनका यह कथन आज की वास्तविक सच्चाई है।

अर्थशास्त्र का अर्थ :

एक प्रसिद्ध ब्रिटिश अर्थशास्त्री अल्फ्रेड मार्शल ने इस अर्थशास्त्र को परिभाषित करते हुए इसे ‘मनुष्य जाति के रोजमर्रा के जीवन का अध्ययन’ बताया है, इसके साथ ही मार्शल ने पाया था कि समाज में आज के समय में जो कुछ भी घट रहा है, उसके पीछे सामाजिक शक्ति के साथ आर्थिक शक्तियां बहुत बड़ा रोल प्ले करता है इसीलिए समाज को समझने तथा इसे बेहतर बनाने के लिए हमें इसके अर्थिक आधार को समझने की जरूरत वर्तमान समय में।

अर्थशास्त्र का आज के समय में अध्ययन महत्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि लोगो को रोटी कपड़ा और मकान के साथ ही आजकल सुख सुविधा चाहिए ऐसे में इकोनॉमिक्स जितना अच्छा होता है, लिविंग स्टाडर्ड बढ़ता है, बेरोजगारी घटती है, अनेक तरह की समस्याओं से निजात मिलता है।

अर्थशास्त्र के प्रकार (types of economics)

वर्तमान समय में यदि हम अर्थशास्त्र की बात करते है तब इसका विस्तृत रूप देखने को मिलता है लेकिन दो महत्वपूर्ण भागो में बांटा गया है जो कि निम्न है–

Micro Economics :

माइक्रो इकोनॉमिक्स को हिंदी में व्यष्टि अर्थशास्त्र कहा जाता है, और Ragnar Frisch को माइक्रो इकोनॉमिक्स का फादर कहा जाता है।

आपको बता दे कि माइक्रो इकोनॉमिक्स के तहत हम बहुत छोटे स्तर पर बात करते हैं, हम एक एग्जांपल से इसे समझ सकते है कि मोबाइल में micro sd card होता है।

इसका अर्थ यह है कि इसे और भी छोटा कर दिया गया है, अर्थात व्यष्टि मतलब छोटा होता है, वर्तामान समय में माइक्रो इकोनॉमिक्स का उदहारण निम्न है–

उपयोगिता (utility) के आधार पर

• प्राइस थ्योरी पर

• मांग सिद्धान्त के आधार पर

• प्रति व्यक्ति आय (per capita income) के माध्यम से

• मांग एवम् आपूर्ति (demand and supply) के आधार पर

• राजस्व आय के आधार पर।

2. मैक्रो इकॉनमिक्स

मैक्रो इकॉनमिक्स को हिंदी में समष्टि अर्थशास्त्र कहते है, और John keynes को मैक्रो इकॉनमिक्स का फादर कहा जाता है, और इसके अन्तर्गत हम बहुत बड़े स्तर की बात और अध्ययन करते है, जिसका इंपैक्ट माइक्रो इकोनॉमिक्स से काफी अलग और विस्तृत होता है।

Macro Economics अर्थशास्त्र की वह शाखा है, जो कुल पदों के व्यवहार तथा प्रदर्शन के आधार पर ध्यान को केंद्रित किया जाता है, और कुल पदों के व्यवहार तथा प्रदर्शन को पूरे अर्थव्यवस्था में प्रभाव डालने का कार्य करता है, आज के समय में मैक्रो इकॉनमिक्स के निम्न एग्जांपल अप्लाई होता है–

बैंकिंग सेक्टर
• राष्ट्रीय आय
• योजना (planning)
• कर (tax)
• बजट (budget)
• प्रोजेक्ट
• कंस्ट्रक्शन एंड मैन्यूफैक्चरिंग इन एमएनसी
• इंडस्ट्रियल कॉरिडोर

एडम स्मिथ के अनुसार इकोनॉमिक्स की परिभाषा :

एडम स्मिथ को इकोनॉमिक्स का फादर कहा जाता है, सबसे पहले इकोनॉमिक्स के बारे में एडम स्मिथ ने सिग्नीफाई किया था इसलिए इसे अर्थव्यवस्था का पिता कहा जाता है।

एडम स्मिथ ने इकोनॉमिक्स के लिए एक परिभाषा दिया है जो वर्तमान समय की अर्थव्यवस्था में भी स्टिक बैठता है।

एडम स्मिथ ने कहा था ‘उपभोग का प्रत्यक्ष संबंध उत्पादन से है’ कोई भी व्यक्ति इसलिए उत्पादन करता करता है, क्योंकि वह उत्पादन की इच्छा रखता है और इच्छा पूरी होने पर वह उत्पादन की प्रक्रिया से किनारा कर सकता है अथवा कुछ समय के लिए उत्पादन की प्रक्रिया को स्थगित आसानी से किया जा सकता है।

इसके साथ ही अर्थशास्त्र में राष्ट्रों के धन की प्रकृति तथा कारणों के अध्ययन के रूप में या केवल धन के अध्ययन के रूप में परिभाषित करता है, और स्मिथ की परिभाषा में केंद्रीय बिंदु धन सृजन को रखा गया है। ऐसे में यह आज के वास्तविक अर्थव्यवस्था के साथ मिलता जुलता है।

अर्थव्यवस्था के क्षेत्र (Sectors of economics)

भारत के केंद्रीय सांख्यिकी संगठन द्वारा अपनी राष्ट्रीय आय में सबसे पहले भारतीय अर्थव्यवस्था को 13 क्षेत्रों में विभाजित किया गया था, लेकिन वर्तमान समय में केंद्रीय सांख्यिकी संगठन ने 1966-67 से भारतीय अर्थव्यवस्था को तीन क्षेत्रों प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक क्षेत्रों में विभाजित किया गया है।

प्राथमिक क्षेत्र : इस क्षेत्र में कृषि, वन क्षेत्र, मत्स्य क्षेत्र तथा खदान आदि प्राकृतिक संसाधन को शामिल किया गया है, तथा इनसे द्वितीयक क्षेत्र के लिए कच्चा माल मिल जाता है, प्राथमिक क्षेत्र में सभी मूल रूप से निर्भर है।

द्वितीयक क्षेत्र : इस क्षेत्र में प्राकृतिक उत्पादों से प्राप्त प्रोडक्ट का विनिर्माण प्रणाली के जरिए अन्य रूपों में परिवर्तित किया जाता है, जैसे कोयला से बिजली बनाना तथा इसे औद्योगिक क्षेत्र भी कहा जाता है, तृतीयक क्षेत्र इंडिरेक्टली इस क्षेत्र पर निर्भर होता है। सर्वाधिक इकोनॉमिक्स इसी पर निर्भर है।

तृतियक क्षेत्र : वर्तमान समय में इस क्षेत्र में परिवहन, शिक्षा, होटल, भण्डारण, सिनेमा, टेलीकॉम, संचार तथा सामुदायिक एवं व्यक्तिगत सेवाएं आदि को शामिल किया है और इसे सेवा क्षेत्र भी कहते हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था में सबसे दूसरे नंबर में इसे ही इकोनॉमिक्स जेनरेट किया जाता है।

अर्थव्यवस्था के प्रकार :

इसमें विभिन्न देशों की अर्थव्यस्था प्रणाली को देखा जाता है कि अनेक देशों में किसी तरह से इकोनॉमिक्स काम करता है। आज के समय में निम्न तरह की इकोनॉमिक्स पॉलिसी विभिन्न देश में है–

खुली अर्थव्यवस्था : यह नियंत्रण मुक्त अर्थव्यवस्था है जो कि स्वतंत्रता प्रतियोगिता को प्रोत्साहित करता है, किसी तरह का बंधन इसमें नही होता है, और आज के समय में वैश्वीकरण के नीति के तहत सभी देश मुक्त अर्थव्यवस्था को अपना रहे हैं, भारत ने इसे 1991 में एडपोट किया है।

बंद अर्थव्यवस्था : भारत में 1991 से पहले आंशिक रूप से यह अर्थव्यवस्था थी, और यह एक ऐसी अर्थव्यवस्था है जो विश्व के साथ किसी प्रकार की विदेशी व्यापार की क्रिया को संपन्न नहीं करता है, और इस प्रकार की आर्थिक क्रियाएं एक देश की सीमा के अंदर तक सीमित होती है।

विकसित अर्थव्यवस्था : वर्तमान समय मे इस प्रकार की अर्थव्यवस्था आर्थिक गतिविधियों तथा विकास के लिए एक बेहतर स्तर का प्रतिनिधित्व करता है, और इस प्रकार की अर्थव्यवस्था में किसी सीमा या मापदंड का निर्धारण करना थोड़ा कठिन रहता है।

वर्तमान समय में इस प्रकार की अर्थव्यवस्था के देशों में USA , जापान और जर्मनी आदि जैसे विकसित देश आते हैं, जिनकी नागरिकों की प्रति व्यक्ति आय उच्च और बेहतर जीवन के आधार पर है ऐसे देश को विकसित देश कहा जाता है क्योंकि ह्यूमन वैल्यू और लिविंग स्टैंडर्ड को बेहतरीन तरीके से समझा जा रहा है।

विकासशील अर्थव्यवस्था : इस प्रकार की अर्थव्यवस्था में ऐसे देश आते हैं जो अपनी पिछड़ी व्यवस्था से उच्च विकास की ओर प्रयासरत है, भारत और ऑस्ट्रेलिया विकासशील देश की श्रेणी में आता है लगातार विकसित होने के लिए सभी प्रयास कर रही है, और 2030 तक भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन जाएगा।

पूंजीवादी अर्थव्यवस्था : आज के समय में यह प्राइवेट सेक्टर में अत्यधिक देखने को मिलता है और इस प्रकार की अर्थव्यवस्था बाजार की शक्तियों अर्थात मांग तथा आपूर्ति के सिद्धांतों के अंतर्गत स्वतंत्र रुप से काम करता है, इसे बाजार अर्थव्यवस्था के नाम से भी जाना जाता है, इसमें सरकार का किसी तरह का कंट्रोल नही होता है।

समाजवादी अर्थव्यवस्था : इस प्रकार की अर्थव्यवस्था कार्लमार्क्स के सिद्धांतों पर आधारित व्यवस्था का प्रतिपादन करता है, और इसके अंतर्गत उत्पादन के समस्त साधनों पर राज्य तथा समुदाय का नियंत्रण रहता है, और इसका बाजार एक तरह से सामाजिक भावनाओं को ध्यान में रखा जाता है, जैसे सोवियत रूस और चीन वर्तमान समय में इसी राह में है।

मिश्रित अर्थव्यवस्था : इस प्रकार की अर्थव्यवस्था में समाजवादी तथा पूंजीवादी अर्थव्यवस्था दोनों का मिश्रण होता है, और आर्थिक संसाधनों के महत्वपूर्ण भाग पर राज्य का नियंत्रण होता है तथा उसी के साथ निजी क्षेत्र को विकास का अवसर प्राप्त होता रहता है, सरकार और निजी दोनों क्षेत्र मिलकर कार्य करती है। जैसे भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था है।

Written by newsghat

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