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Essay On Newspaper In Hindi | समाचार पत्र पर निबंध

Essay On Newspaper In Hindi | समाचार पत्र पर निबंध
Essay On Newspaper In Hindi | समाचार पत्र पर निबंध

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Essay On Newspaper In Hindi | समाचार पत्र पर निबंध

इस आर्टिकल Essay On Newspaper In Hindi | समाचार पत्र पर निबंध में हम समाचार पत्र का अर्थ, समाचार पत्र की विशेषताएं, समाचार पत्र ज्ञान और मनोरंजन के साधन, शिक्षा के क्षेत्र में समाचार पत्र का महत्व, लोकतंत्र में समाचार पत्र का महत्व, हिंदी समाचार पत्र व दैनिक समाचार पत्र, समाचार पत्र का इतिहास, समाचार पत्र के नियम कानून, समाचार पत्र के प्रकार, लाभ व हानी के बारे में विस्तार से जानेंगे।

Essay On Newspaper In Hindi | समाचार पत्र पर निबंध, प्रस्तावना :

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वर्तमान काल में यदि संसार के किसी भी स्थान पर कोई भी घटना घटित हो, तो उसके अगले दिन हमारे पास उसकी खबर आ जाती है। ऐसा सिर्फ समाचार पत्रों के कारण ही संभव हो पाता है।

आज के समय में बिना समाचार पत्र के जीवन की कल्पना करना भी काफी कठिन है। यह वो पहली और आवश्यक वस्तु है, जिसे हर व्यक्ति सुबह उठते ही समाचार पत्र को ढूंढता है और आस पास, देश विदेश की सारी जानकारियां को लेकर खुद को आधुनिक भारत का जागरूक नागरिक कहलाने में मदद करता है।

समाचार पत्र या अख़बार, समसामायिक खबरों पर आधारित एक प्रकाशन है, जिसमें मुख्यत: समाजिक घटनायें, राजनीति, खेल-कूद, व्यक्तित्व, विज्ञापन इत्यादि जानकारियां होती है। समाचार पत्र संचार के साधनो में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। समाचारपत्र प्रायः दैनिक होते हैं लेकिन कुछ समाचार पत्र साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक एवं छमाही भी होते हैं। अधिकतर समाचारपत्र स्थानीय भाषाओं में और स्थानीय विषयों पर केन्द्रित होते हैं।

समाचार पत्र का इतिहास :

भारत मे छापे की पहली मशीन 1674 ईस्वी में आयी थी। भारत का पहला अख़बार इस के 100 साल बाद, 1776 ईस्वी में प्रकाशित हुआ। इस का प्रकाशक ईस्ट इंडिया कंपनी का भूतपूर्व अधिकारी विलेम बॉल्ट्स था। यह अख़बार स्वभावतः अंग्रेज़ी भाषा में निकलता था।

भारत में प्रथम समाचार पत्र निकालने का श्रेय जेम्स ऑगस्टस हिक्की को मिला। उन्होंने 1780 ई. में ‘बंगाल गजट’ पत्र का प्रकाशन किया। इस पत्र में कम्पनी सरकार की आलोचना की गई थी।

1819 ईस्वी में भारतीय बंगाली भाषा में पहला समाचार-पत्र प्रकाशित हुआ, जो संवाद कौमुदी था। जिसके प्रकाशक राजा राममोहन राय थे।

1826 ईस्वी में उदंत मार्तंड नाम से हिंदी के प्रथम समाचार-पत्र का प्रकाशन प्रारंभ हुआ। यह साप्ताहिक पत्र 1827 ईस्वी तक चला और पैसे की कमी के कारण बंद हो गया।

1830 ईस्वी में राममोहन राय ने हिंदी साप्ताहिक ‘बंगदूत’ का प्रकाशन शुरू किया। यह एक बहुभाषीय पत्र था, जो अंग्रेज़ी, बंगला, हिंदी और फारसी भाषा में कोलकाता से निकलता था ।

1846 ईस्वी में राजा शिवप्रसाद सिंह ने हिंदी पत्र ‘बनारस अख़बार’ का प्रकाशन शुरू किया ।

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1868 ईस्वी में भारतेंदु हरिशचंद्र ने साहित्यिक पत्रिका ‘कविवचनसुधा’ निकालना प्रारम्भ किया। 1854 ईस्वी में हिंदी का पहला दैनिकपत्र ‘समाचार सुधा वर्षण’ निकला।

1833 ईस्वी में भारत में 20 समाचार-पत्र थे, 1850 ईस्वी में 28 हो गए और 1953 ईस्वी में 35 हो गये। इस तरह अख़बारों की संख्या में बढ़ोतरी होती रही ।

समाचार पत्रों से सम्बंधित नियम

(1) लार्ड वैल्ज़ली ने 1799 में समाचार-पत्र पत्रेक्षण अधिनियम पारित किया । इस अधिनियम के अनुसार-

(अ ) समाचार-पत्र को अपने सम्पादक, मुद्रक और स्वामी का नाम स्पष्ट अक्षरों में छापना पड़ता था.

(ब ) समाचार-पत्र के प्रकाशक को प्रकाशित किए जाने वाले सभी तत्वों को सरकार के सचिव के सम्मुख पूर्व-पत्रेक्षण के लिए भेजना पड़ता था।

(2) समाचार-पत्र पंजीकरण अधिनियम 1867, 1867 में पारित इस अधिनियम का उद्देश्य समाचार पत्रों पर प्रतिबंध लगाना नही बल्कि उन्हें नियमित करना था ।

(अ ) इसके द्वारा समाचार पत्रों का पंजीकरण करवाना अनिवार्य कर दिया गया।

(ब ) प्रत्येक मुद्रित सामग्री पर मुद्रक, प्रकाशक और प्रकाशन स्थान का उल्लेख किया जाना अनिवार्य था ।

(3) भारतीय भाषा समाचार पत्र अधिनियम, 1878

(अ) इस अधिनियम के द्वारा सरकार ने भारतीय भाषाई समाचार पत्रों को और अधिक नियंत्रित करने का प्रयास किया ।

(ब) इस अधिनियम के द्वारा जिला दण्डनायकों को एक महत्वपूर्ण अधिकार दिया गया ।

(स) इस अधिकार के तहत वह समाचार पत्र के प्रकाशक को यह आदेश दे सकता था कि वे कोई ऐसी सामग्री प्रकाशित नहीं करें जिससे सरकार विरोधी भावना भड़कती हो।

(4) समाचार पत्र अधिनियम,1908
1908 में पारित इस अधिनियम के अनुसार–

(अ) जो समाचार पत्र आपत्तिजनक सामग्री प्रकाशित करता था उसका मुद्रणालय जब्त कर लिया जाता था।

(ब) सरकार किसी भी समाचार पत्र के पंजीकरण को रद्द कर सकती थी ।

(स) मुद्रणालय के जब्त होने की स्थिति में 15 दिन के भीतर उच्च न्यायालय में अपील की जा सकती थी ।

समाचार पत्र के प्रकार :

(1) खेल कूद समाचार
(2) तकनीकी समाचार
(3) उधमी समाचार
(4) राजनीतिक
(5) विधि समाचार
(6) विकास समाचार
(7) जन समस्यात्मक समाचार ।

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भारत मे प्रकाशित होने वाले पत्र :

हिंदी भाषा में समाचार होने वाले पत्रो के नाम :
(1) फरीदाबाद की आवाज़
(2) नवभारत टाइम्स (मुम्बई, दिल्ली से प्रकाशित)
(3) दैनिक जागरण
(4) हिन्दुस्तान
(5) दैनिक भास्कर (भोपाल से प्रकाशित)(6) अमर उजाला (आगरा, बरेली, मेरठ से प्रकाशित)
(7) राष्ट्रीय स्वरुप
(8) स्वतन्त्र चेतना
(9) जन सन्देश
(10) स्वतन्त्र भारत
(11) संजीवनी टुडे
(12) हरिभूमि
(13) हिन्दी मिलाप
(14) जनसत्ता (कोलकाता, दिल्ली से प्रकाशित)
(15) प्रभात खबर (रांची, जमशेदपुर, कोलकाता से प्रकाशित)

अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित समाचार पत्र :

(1) इंडियन एक्सप्रेस (दिल्ली, मुम्बई, लखनऊ)
(2) फाइनेंशियल एक्सप्रेस (दिल्ली, मुम्बई)
(3) स्वतंत्र भारत (लखनऊ)
(4) हिन्दू ( चैन्नई, कोयम्बटूर, दिल्ली)
(5) इकोनॉमिक टाइम्स ( मुम्बई )
(6) नॉर्दन इण्डिया ( लखनऊ, इलाहबाद)
(7) हिन्दुस्तान टाइम्स ( दिल्ली , पटना )

इसके अतिरिक्त इंटरनेट एवं प्रिंट दोनो पर उपलब्ध हिन्दी समाचार पत्र

* दैनिक जागरण भारत के कई शहरों से प्रकाशित, भारत का सर्वाधिक पढा जाने वाला अखबार माना जाता है ।

* नवभारत टाइम्स, टाइम्स समूह का समाचारपत्र नई दिल्ली से प्रकाशित होता है , जो सर्वाधिक प्रसिद्ध है ।

* हिन्दुस्तान नई दिल्ली से प्रकाशित होता है।

* राजस्थान पत्रिका राजस्थान के सभी प्रमुख शहरों के साथ साथ चेन्नई से प्रकाशित होती है ।

समाचार पत्र का महत्व

समाचार पत्र बहुत ही महत्वपूर्ण साधन है जो व्यक्ति के आत्मविश्वास और व्यक्तित्व को विकसित करता है। यह लोगों और संसार के बीच सम्प्रेक्षण का सबसे अच्छा माध्यम है।

यह अधिक ज्ञान और सूचना प्राप्त करने के साथ ही कुशलता के स्तर को बढ़ाने का सबसे अच्छा स्रोत है। यह लगभग सभी क्षेत्रों में उपलब्ध होता है। यह देश की विभिन्न भाषाओं में प्रकाशित होता है। बहुत सारे लोगों के दिन की शुरुआत समाचार पत्र को पढ़ कर होती है ।

छात्रों के लिए समाचार पत्र का मह्त्व :

छात्रों को समाचार पत्र पढ़ने से विभिन्न लाभ मिल सकते हैं। जैसे अख़बार पढ़ने से शब्दावली बढ़ जाती है। अंग्रेजी सीखने वाले अख़बार से अपनी अंग्रेजी को और बेहतर बना सकते हैं।

यहां तक ​​कि अर्थशास्त्र के छात्र, हिन्दी भाषा के छात्र, राजनीति विज्ञान के छात्र और विभिन्न विषयों के विद्यार्थियों को अखबार से नए शब्दावली सीखने को मिलती है ।

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उदाहरण के लिए, अर्थशास्त्र के छात्रों के लिए यह अच्छा है कि वे “अखबार में राजनीति विज्ञान से संबंधित संपादकीय पृष्ठ पढ़ सकते हैं। अखबार पढ़ने से न केवल छात्रों को अपने विषयों में लाभ पहुंचाता है बल्कि देश के विभिन्न भागों में सामान्य ज्ञान और संस्कृति का ज्ञान भी प्राप्त किया है।

इसके अलावा, कैरियर पेज, कैरियर प्वाइंट, जॉब, कैरियर आदि एक साप्ताहिक प्रकाशित अख़बार हैं, जो छात्रों को विभिन्न नौकरियों, परीक्षाओं और कैरियर संबंधी मुद्दों के बारे में जानकारी प्राप्त करने में मदद करता है।

प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले विद्यार्थी भी अपने मन को वर्तमान सामाजिक विकास एवं तकनीकी पद्धतियों को अच्छे से जानने की इच्छा ही आज के युवाओं को भी समाचार पत्र को नियमित रूप से अखबार पढ़ने की ओर अग्रसर करता है।

शिक्षकों के लिए समाचार पत्र का महत्व:

समाचार पत्र का लोगों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है । शिक्षकों के लिए भी समाचार पत्र महत्वपूर्ण है ।

शिक्षक अखबार पढ़कर कई लोगों का भविष्य उज्जवल कर सकते हैं या उन्हें भविष्य में आर्थिक, सामाजिक और व्यक्तिगत समस्याओं को बेहतरीन तरीके से सुलझाने के लिए प्रशिक्षित कर सकते हैं।

ऐसा इसलिए है क्योंकि, कुछ विशेषज्ञ को पूर्ण ज्ञान होता है, उन्हें पता है कि ऐसा कुछ क्यों हो रहा है और इसका सबसे अच्छा जवाब क्या होगा, ताकि ऐसी चीजों फिर कभी भविष्य में नहीं दुहरायी जाये।

जैसे- कि अगर अखबार में काले धन की खबर है, तो शिक्षक छात्रों को बता सकते हैं कि कैसे काला धन समाज समाज की नींव को कमजोर करता है। इसके साथ हमारी आर्थिक उन्नति में भी बाधक बनता है ।

आप यह भी कह सकते हैं, कि आज, छात्र इंटरनेट पर भी सीख सकते हैं, लेकिन यह हमेशा याद रखें कि इंटरनेट पर लोग अपनी परिस्थितियों या ज्ञान के आधार पर विश्लेषण करते हैं और कक्षा के शिक्षकों द्वारा कक्षा लक्ष्यों के आधार पर विश्लेषण किया जाता है।

गृहिणियों के लिए समाचार पत्र का महत्व:

हिंदी अंग्रेजी अखबारों के साप्ताहिक विशेष पृष्ठों में गृहिणियों को नए खाना पकाने के व्यंजनों के बारे में जानकारी मिलती है। जैसे अमर उजाला हिंदी अखबार में खाना पकाने के व्यंजनों, मिठाई बनाने की युक्तियां आदि प्रकाशित होती हैं, जो वास्तव में गृहिणियों को नए-नए व्यंजनों बनाने के लिए उत्तेजित करती हैं।

इसके साथ गृहिणियों को रसोईघर से सम्बंधित , घर की सजावट से सम्बंधित एवं गृहव्यवस्था से संबंधित जानकारी मिलती है।

प्रकाशकों के लिए समाचार पत्र का महत्व:

अख़बार प्रकाशन दुनिया भर में सबसे बड़ा उद्योग है। यहां आप भारत या दुनिया भर में अख़बारों के प्रकाशन से इतिहास के बारे में सीख सकते हैं। समाचार पत्र प्रकाशक विज्ञापन से राजस्व उत्पन्न करते हैं।

अखबार के प्रकाशन में, विज्ञापन, डिजाइन और प्रबंधन में कई लोग शामिल होते हैं। अख़बारों के प्रकाशक, कंपनियों और एजेंसियों ने लोगों के लिए रोजगार उपलब्ध कराया है और सबसे जरूरी यह है कि यह जनता तक सच्चाई और तरक्की के साथ ताज़ा जानकारी पहुंचा रहे है।

करियर में समाचार पत्र का योगदान :

नौकरी तलाशने वालों को अखबारों में नई नई नौकरियां और रोजगार के मौके मिलते हैं। ओर अक्सर निजी कंपनियों और कई अन्य विभागों में भर्ती, एजेंसियां समाचार पत्रों को नौकरी विज्ञापनों के लिए एक प्रमुख स्रोत का उपयोग करती है।

यही कारण है कि नौकरी चाहने वालों के लिए मौजूदा सरकार और निजी क्षेत्र के रोजगार के अवसरों के बारे में जानकारी मिलती है।

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अगर नौकरी की तलाश वालों ने एक सार्वजनिक पुस्तकालय या घर में एक महीने में भिन्न भिन्न प्रकार के अखबार पढ़े तो यह उन्हें नई नई जानकारी व ज्ञान प्राप्त करने में मदद करते है जो प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं और में उनकी मदद करता है । यही कारण है कि अख़बार या ई-पेपर हमारे दिन को सुगम बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

बुजुर्ग लोगों के लिए समाचार पत्रों का मह्त्व :

शहरों में रहने वाले बुजुर्ग लोग अपने जीवन के एक हिस्से के रूप में अखबार का उपयोग करते हैं। वे बचपन से अख़बार के शिक्षार्थियों में से एक हैं। इससे उन्हें समझने में मदद मिलती है कि लोग, समाज, आज के समय में क्या कर रहे हैं और क्या समय था।

अब वे आज के समय की समस्याओं को संभालने के लिए युवा पीढ़ी, अपने परिवार और समाज को मार्गदर्शन करने के लिए अपने स्वयं के अनुभवों और ज्ञान का उपयोग कर सकते हैं। अखबार बुजुर्ग लोगों के लिए एक दोस्त की तरह है। जब वे घर पर रहकर अकेला महसूस करते हैं तो अख़बार उनका समय काटने में मदद करता है।

समाचार पत्र से होने वाले लाभ :

समाचार पत्र पढ़ने से हमें बहुत सारे फायदे हैं। समाचार पत्रों से हमें देश-विदेश में हो रही हर तरह के घटनाओं का बोध होता है। समाचार पत्र पढ़ने से हमारी भाषा और विचार प्रकट करने की क्षमता का विकास होता है।

नए अनुसंधान, नयी खोजें और नई खबरों की जानकारी हमें समाचार पत्रों से ही मिलती है। इसमें प्रकाशित होने वाली सरकारी सूचनाओं, आज्ञाओं और विज्ञापनों से हमें आवश्यक और महत्वपूर्ण जानकारी मिल जाती है, कहीं कोई दुर्घटना हो जाये, भूकंप या बाढ़ जैसी आपदा आ जाए तो इसकी जानकारी हमें समाचार पत्रों के माध्यम से तुरंत मिल जाती है।

समाचार पत्रों में न्यूज़ के साथ साथ मनोरंजन के लिए भी खास चीजे होती है. समाचार पत्रों में हॉलिवुड बॉलीवुड, एवं प्रेरणाप्रद कहाँनियाँ कई चीजे होती है, जो मनोरंजन के लिए खास होती है ।

समाचार पत्रों से हानि :

समाचार पत्र अपनी थोड़ी सी भूल से समाज का भारी अहित भी कर सकते हैं । अतः समाचार पत्रों को अपने कर्त्तव्य के प्रति सजग रहना चाहिए।

समाचार पत्र साम्प्रदायिक भावनाओं को को भड़काने का कार्य करते हैं, जिसके कारण समाज में दंगे जैसी घटनाएं उत्पन्न हो जाती है। जिससे चारों ओर अशांति का माहौल व्याप्त हो जाता है। इसके साथ ही सरकार की सही नीतियों को भी कभी-कभी गलत तरीके से पेश करके जनता को भ्रमित करने का कार्य किया जाता है। जो अनुचित माना जाता है ।

वर्तमान समय में समाचार पत्रो से लाभ कमाने के उद्देश्य से विज्ञापन की अधिकता होती जा रही है। पाठक अपना समाचार पत्र खबरों को पढ़ने के उद्देश्य से खरीदते है और विज्ञापनो की भरमार के कारण उनके हाथ निराशा आती है ।

निष्कर्ष :

अखबार सरकार के लिए कर संग्रहण का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। यह कई लोगों के लिए आय और नौकरी का स्रोत है।

समाचार पत्र कभी-कभी घटनाओं के सबूत के रूप में काम कर रहा है और सबसे ज्ञान वर्धक के विषय मे भी यह सूचनाओं का स्रोत है, जो किसी देश की जागरूकता बढ़ाने एवं नागरिकों के ज्ञान की बृद्धि करने में सहायता प्रदान करता है।

समाचार पत्रों में विभिन्न विषयों जैसे – सामाजिक मुद्दों, मानवता, संस्कृति, परम्परा, जीवन-शैली, ध्यान, योगा आदि जैसे विषयों के बारे में अच्छे लेख संपादित होते हैं। यह सामाजिक तथा आर्थिक विषयों को समझने में हमारी सहायता करता है।

इसके साथ ही समाचार पत्रों के द्वारा हमें , सरकारी नीतियों तथा विपक्षी दलों के नीतियों के बारे में भी जानकारी प्राप्त होती है।

समाचार पत्र ज्ञानवर्धन का साधन होते हैं इसलिए हमें नियमित रूप से उनका अध्ययन करनी की आदत डालनी चाहिए। यहीं कारण है कि वर्तमान समय में समाचार पत्र को ज्ञान के विषय में चौथा स्तंभ भी कहा जाता है।

Written by newsghat

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