

Flexi Cap and Multicap Fund Difference: नहीं समझेंगे यह अंतर तो हो जाएगा सबसे बड़ा नुकसान! एक क्लिक में जानिए
Flexi Cap and Multicap Fund Difference: निवेश की दुनिया में एक छोटी सी गलती आपके सालों की कमाई को जीरो में बदल सकती है। जी हां, जब बात हो फ्लेक्सी कैप और मल्टी कैप फंड की जिसे देखकर ज्यादातर लोग यही सोचते हैं कि यह दोनों एक ही प्रकार के फंड है। परंतु यहीं वह सबसे बड़ी गलती करते हैं।

Flexi Cap and Multicap Fund Difference: नहीं समझेंगे यह अंतर तो हो जाएगा सबसे बड़ा नुकसान! एक क्लिक में जानिए
क्योंकि इसके अंतर को ना समझना आपको भारी भरकम नुकसान में धकेल सकता है। देखने में दोनों काफी एक जैसे फंड लगते हैं। दोनों ही लार्ज कैप, मिड कैप, स्माल कैप कंपनी में निवेश करते हैं परंतु दोनों की रणनीति, निवेश नीति, लचीलापन, रिस्क लेवल और SEBI के नियम अलग-अलग है।
ऐसे में यदि आपने इन दोनों के बीच के फर्क को नहीं समझा तो इतना तय है कि आपको नुकसान का झटका जरूर लगेगा। ऐसे में आज हम आपको इसी का अंतर बताएंगे ताकि आप भी समझ सके की फ्लेक्सी कैप और मल्टी कैप में क्या अंतर है? और कौन सा फंड आपको मजबूत रिटर्न दे सकता है?

Flexi Cap है क्या?
Flexi Cap SEBI द्वारा रेगुलेटेड एक ऐसी कैटेगरी है जिसमें फंड मैनेजर को मार्केट के किसी भी कैप में अपनी सुविधा अनुसार निवेश करने की सुविधा होती है। जिसके लिए कोई निश्चित प्रतिशत अनिवार्य नहीं होता। मैनेजर समय-समय पर अपना पोर्टफोलियो आसानी से बदल सकता है।
Multi Cap फंड क्या है?
Multi Cap देखने में भले ही फ़्लैक्सी कैप की तरह लगता है परंतु इसके नियम बिल्कुल अलग होते हैं। इसमें अनिवार्य रूप से 25% लार्ज कैप, 25% मिड कैप और 25% स्मॉल कैप में निवेश करना होता है। बाकी 25% फंड मैनेजर अपनी रणनीति के अनुसार किसी भी कैटेगरी में लगा सकता है। यह एक डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो वाला फंड है जिसमें संतुलन अनिवार्य होता है। इसमें फ्लेक्सी कैप की तरह लचीलापन नहीं होता।


आईये समझते हैं इन दोनों के मुख्य अंतर

● फ़्लैक्सी कैप में पूरा पोर्टफोलियो फंड मैनेजर कभी भी बदल सकता है। वही मल्टी कैप में 25-25-25 के नियम का पालन करना अनिवार्य है।
● फ्लैक्सी कैप में रिस्क मॉडरेटल होता है क्योंकि मैनेजर कभी भी सेक्टर बदल सकता है। लेकिन मल्टीकैप में रिस्क बहुत ज्यादा हाई होता है क्योंकि स्मॉल कैप में 25% निवेश अनिवार्य है।
● फ्लेक्सी कैप में मार्केट की सिचुएशन के अनुसार बेहतर रिटर्न को भुनाया जा सकता है। मल्टी कैप में डायवर्स एलोकेशन होने की वजह से ग्रोथ ज्यादा तेजी से नहीं होती पर स्थिर होती है।
क्या सलाह है एक्सपर्ट्स की?
● एक्सपर्ट्स का मानना है कि ऐसे निवेशक जो लचीले पोर्टफोलियो चाहते हैं, जो मार्केट साइकिल का ज्यादा फायदा लेना चाहते हैं और जो मॉडरेट रिस्क लेने में सक्षम है वह फ़्लैक्सी कैप में पैसा डालें।
● परंतु बैलेंस और डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो रखने की इच्छा वाले, इक्विटी में निवेश, फिक्स स्ट्रक्चर लॉन्ग टर्म स्टेडी ग्रोथ का लक्ष साधने वाले निवेशक भी मिडकैप को चुन सकते हैं।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर यह दोनों फंड काफी अलग हैं। दोनों के लिए SEBI द्वारा बनाए गए नियम भी अलग है ऐसे में म्युचुअल फंड में निवेश करने से पहले अपने लक्ष्य, समय अवधि और जोखिम का आंकलन करें उसके बाद ही बेहतर फंड का चुनाव करें।
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