

Sirmour News: गिरिपार में बूढ़ी दिवाली की धूम! मशाल जुलूस के साथ पर्व शुरू, पारंपरिक व्यंजनों से महका गिरिपार
Sirmour News: देशभर में जहाँ 20 अक्टूबर को दिवाली का पर्व मनाया गया था तो वही इसके ठीक एक माह बाद हिमाचल के सिरमौर जिला में यह पर्व बूढ़ी दिवाली (Budhi Diwali) के रूप में मनाया जाता है।

Sirmour News: गिरिपार में बूढ़ी दिवाली की धूम! मशाल जुलूस के साथ पर्व शुरू, पारंपरिक व्यंजनों से महका गिरिपार
जिला सिरमौर के गिरिपार इलाके की 100 के करीब पंचायतों में लोगों द्वारा मनाया जाने वाला बूढ़ी दियाली (दिवाली) पर्व बीती शाम से शुरू हो चुका है। बूढ़ी दिवाली के माैके पर लोग वीरवार सुबह उठकर अंधेरे में घास व लकड़ी की मशाल जलाकर एक जगह एकत्रित हुए।
जिसके बाद अंधेरे में ही शौर्य गाथाओं समेत गीत व संगीत का कार्यक्रम शुरू हो गया। तड़के 4 बजे से सुबह 7 बजे तक लोग पारंपरिक वाद्ययंत्रों सहित नाटी पर खूब थिरके।

बताते चले कि पौने तीन लाख आबादी वाले गिरिपार हाटी क्षेत्र में बूढ़ी दीवाली एक सप्ताह तक मनाई जाती है। इस पर्व पर घर पहुंचने वाले मेहमानों व लोगों को मुड़ा-शाकुली और बेडोली-असकली परोसे जाते है।
मुड़ा गेंहू को उबालकर सूखाने के बाद कड़ाई में भूनकर तैयार किया जाता है। इस मूड़े के साथ अखरोट की गीरी, खीले, बताशे व मुरमुरे आदि मिलाए जाते है। इसके अलावा शाम को पारंपरिक व्यंजन भी बनाए जाते हैं।


क्या है मान्यता
बूढ़ी दीवाली के संबंध में मान्यता है कि दीपावली के समय के बाद सर्दी का मौसम शुरू होता है। किसानों को अपनी फसल व पशुओं का चारा एकत्रित करना होता है। इसलिए एक महीने तक सारा काम निपटाने के बाद आराम से बूढ़ी दीवाली आनंद उठाते है।

एक अन्य मान्यता के अनुसार ये क्षेत्र पहले अन्य शहरी इलाकों से कटा रहता था। जिस कारण इस पर्व की जानकारी देरी से मिली। पटाखे नही होते थे तो मशाल जलाते हैं।
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