Good Parenting Tips: क्या 10 साल की उम्र में आते ही बदल गया है आपके बच्चे का स्वभाव! जिद्दी अड़ियल गुस्सैल स्वभाव को ऐसे करें डील
Good Parenting Tips: जैसे-जैसे बच्चों की उम्र बढ़ने लगती है बच्चे वैसे ही वैसे बड़ों की बातों को इग्नोर करके अपनी मनमानी करने लगते हैं। 10 से 11 साल की उम्र में आते ही बच्चा जिद करना शुरू कर देता है, ऐसे में एक अच्छे माता-पिता बनकर अपने बच्चों को इस तरह से डील कर सकते हैं।
Good Parenting Tips: क्या 10 साल की उम्र में आते ही बदल गया है आपके बच्चे का स्वभाव! जिद्दी अड़ियल गुस्सैल स्वभाव को ऐसे करें डील
बढ़ती उम्र में बच्चे मां और घर से अलग दुनिया में एक्सप्लोरर करना ज्यादा पसंद करते हैं। परिवार की बजाय उनका मन बाहर दोस्तों में अधिक लगता है, साथ ही पढ़ाई में कम दिलचस्पी लेते हैं।
अपने पेरेंट्स की बात ना सुनकर बच्चे अधिक पैसे खर्चने में रुचि दिखाने लगते हैं। ध्यान रहे जब बच्चा घर की बजाय बाहरी दुनिया में ज्यादा दिलचस्पी लेने लगे और अधिक पैसा खर्च करना शुरू कर दे तो ऐसे में माता-पिता का फर्ज है कि अपने बच्चों पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान दिया जाए। कुछ आसान ट्रिक के माध्यम से आप अपने अड़ियल जिद्दी बच्चों को हैंडल कर सकते हैं।
इस आसान टिप्स को फॉलो कर बच्चों के नेचर को बदलने में मिलेगी मदद…
बच्चे की हर बात पर ना बोलें यस
आपने देखा होगा बढ़ती उम्र के बच्चे अपने डिमांड्स को मनवाने के लिए अकसर चीखना-चिल्लाना शुरु कर देते हैं। लेकिन शांति से उनके इस तरह के व्यहार को इग्नोर करना चाहिए। बच्चे को बताना चाहिए कि अगर वह चीखना-चिल्लाना बंद नहीं करेगा तो उसकी किसी भी बात को नहीं माना जाएगा।
थोड़ी आजादी भी है जरूरी
पेरेंट्स के हर बार बच्चों की किसी डिमांड पर ना बोलने से बच्चों के मन में पेरेंट्स के लिए नेगेटिव इमेज बन जाती है। ऐसे में जरूरी है कि आप अपने बच्चों को थोड़ी आजादी दें। जैसे कि उसे दोस्तों के साथ खेलने दें, बातें करने दें, आसपास घूमने की परमिशन दें, लेकिन उस पर पूरी नजर बनाए रखें।
हर बात पर ना डांटे
यदि आपका बच्चा कोई भी गलती कर उसे एक्सेप्ट करता है तो उसे डांटने की बजाय उसका ढांढस बंधाए और उसकी बात को शांतिपूर्वक सुने। उसके बाद माहौल शांत हो जाने पर अपने बच्चों को समझाएं, ना कि डांटे। ऐसा करने से आपका बच्चा आगे से ऐसा कुछ नहीं बताएगा।
बच्चे से बहस ना करें
बच्चा जैसा देखता है वैसा सीखता है यदि आप अपने बच्चों की बातों में उलझ कर उससे बहस करना शुरू कर देंगे तो आगे से आपका बच्चा भी बहस की आदत बना लेगा। इसलिए उसकी बातों पर कुछ शब्दों में ही रिएक्ट करें, इससे आपके बच्चे को सीखने और समझने का मौका मिलेगा।
रोने-चिल्लाने से घबराकर हां ना बोलें
यदि बच्चा अपनी किसी बात को मनवाने के लिए रो रहा है, चिल्ला रहा है और हर बात पर आपसे बहस कर रहा है तो उसके नेक्स्ट टाइम ऐसा ड्रामा न करने के लिए कतई भी हमें हामी नहीं भरनी चाहिए। बल्कि उसे सुधारने की कोशिश करनी चाहिए।
यदि पेरेंट्स इस उम्र में अपने बच्चों को समझा लेते हैं तो बच्चा बड़ा होकर एक समझदार इंसान बनेगा। लेकिन अपने बच्चों को मैनर्स सिखाने में कमी नहीं करनी चाहिए।
सजा ना देकर बोलना सिखाएं
अगर आपका बच्चा कोई गलती कर रहा है ऐसे में सीधे पनिशमेंट ना देकर उसे बोलने का मौका दें। इससे बच्चे का कम्युनिकेशन स्किल बेहतर होगा और वह खुद की बात अच्छे से आपके सामने रख पाएगा।
जैसे यदि आपका बच्चा किसी चीज को लेकर जिद कर रहा है परमिशन मांग रहा है तो ऐसे में आप अपने बच्चों को कहे वह उन्हें अपनी बातों से कन्वेंस करें ऐसा करने से बच्चों में खुद को एक्सप्रेस करने की ताकत आएगी।
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